कांग्रेस ने रायबरेली से राहुल गांधी को उतारकर स्मृति इरानी को दिया झटका, जानिए कैसे

रूपक प्रियदर्शी

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Rahul Gandhi: अमेठी, रायबरेली से नामांकन के आखिरी दिन कांग्रेस ने पत्ता खोला तो राहुल गांधी अमेठी नहीं, रायबरेली में पाए गए. 2024 का चुनाव जब तक चलेगा, इस पर रिसर्च होती रहेगी कि अगर राहुल गांधी को यूपी से लड़ना ही था तो अमेठी से क्यों नहीं लड़े. अमेठी से न राहुल गांधी लड़ने आए, न परिवार से कोई आया. संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी की सीट रही अमेठी से गांधी परिवार आउट हो गया. कांग्रेस के ग्रासरूट वर्कर और परिवार के वफादार किशोरी लाल शर्मा स्मृति इरानी से लड़ेंगे. 

स्मृति पर कांग्रेस का तंज

अमेठी, रायबरेली की स्ट्रैटजी से कांग्रेस खुश लगती है. जयराम रमेश ने लंबे सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा शतरंज की और चालें बाकी हैं, थोड़ा इंतजार कीजिए. स्मृति इरानी की राजनीति से राहुल नाम की USP को खत्म करना ही ये चाल लगती है. रायबरेली और अमेठी से नामांकन के दिन जयराम रमेश ने कहा आज स्मृति इरानी की सिर्फ यही पहचान है कि वो राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से चुनाव लड़ती हैं. अब स्मृति इरानी से वो शोहरत भी छिन गई.

जयराम रमेश ने राहुल की तारीफ में लिखा वो राजनीति और शतरंज के मंजे हुए खिलाड़ी हैं. और सोच समझ कर दांव चलते हैं. साफ इशारा है कि अमेठी नहीं जाने का फैसला राहुल गांधी का था. पार्टी ने बस हामी भरी. स्मृति इरानी से राहुल के डरने की चर्चा पर पार्टी नेता ऐसे मजे लेते हुए जवाब दे रहे हैं. 

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कांग्रेस ने क्यों चला ये दांव?

अमेठी के हाई प्रोफाइल को कांग्रेस ने ही हल्का कर दिया. न रहेंगे राहुल, न चमकेगी स्मृति इरानी की राजनीति. किशोरी लाल शर्मा जीत गए तो करिश्मा होगा. हार गए तब भी कोई करिश्मा नहीं माना जाएगा. किशोरी लाल शर्मा की दावेदारी के बाद स्मृति इरानी ने जीत की कोई हुंकार नहीं भरी. बस राहुल से ये जवाब का मांगा कि रायबरेली, वायनाड दोनों से जीते तो कहां के सांसद रहेंगे, किसको छोड़ेंगे. 

रायबरेली से सोनिया गांधी, अमेठी से राहुल गांधी का न लड़ना बीजेपी के लिए झटके जैसा है. ऐसा हो जाएगा, शायद इसकी उम्मीद नहीं थी. स्मृति इरानी तो पहले से कह रही थीं. राहुल के नामांकन वाले दिन पीएम मोदी ने भी हुंकार भरी कि रायबरेली से सोनिया गांधी भाग गईं और अमेठी से राहुल गांधी.

कांग्रेस ने उम्मीदवार के ऐलान करने में इसलिए की थी देरी!

कांग्रेस ने रायबरेली का पत्ता खोलने का तब तक इंतजार किया कि जब तक बीजेपी ने अपना उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह घोषित नहीं कर दिया. दिनेश प्रताप को तब टिकट मिला जब सामने राहुल गांधी नहीं थे. अब उन पर वैसी ही जिम्मेदारी है जैसे अमेठी में स्मृति इरानी की थी. 

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2004 से अमेठी जीत रहे राहुल गांधी को रोकने के लिए बीजेपी ने 2014 के चुनाव से तैयारी शुरू की थी. 2009 में चांदनी चौक से चुनाव हार चुकीं स्मृति इरानी को अमेठी भेजा. 2014 में राहुल गांधी के आगे स्मृति इरानी नहीं चलीं लेकिन 2019 में उन्होंने वो कर दिखाया जो कल्पना से लगभग परे था. राहुल के कारण राजनीति में स्मृति इरानी का कद बहुत बड़ा हो गया. कांग्रेस ने राहुल के कारण ही स्मृति इरानी का कद घटाने की ये चाल चली है.

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