कांग्रेस में थे तो रुतबा था हेलिकॉप्टर वाला, अब बीजेपी की स्टार प्रचारक लिस्ट से हार्दिक बाहर

रूपक प्रियदर्शी

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Hardik Patel: गुजरात की राजनीति में हार्दिक पटेल की चर्चा हमेशा इसलिए रहेगी क्योंकि उन्होंने तब सत्ता के बड़े-बड़े सूरमाओं की नींद हराम कर दी जब वो चुनाव तक लड़ने लायक नहीं थे. सिर्फ 22 साल की उम्र में हार्दिक पटेल ने पाटीदार समाज के आरक्षण के लिए आंदोलन छेड़कर गुजरात में बीजेपी को हिला दिया था. अब बीजेपी की टोपी पहनते हैं लेकिन पीक चुनावों में वीरमगाम से बाहर कहीं नहीं दिखते हैं. 

बीजेपी की स्टार प्रचारकों की लिस्ट से हार्दिक बाहर

गुजरात में बीजेपी ने स्टार प्रचारकों की जो लिस्ट निकाली है उससे हार्दिक पटेल आउट हैं. स्टार प्रचारक वाला दर्जा नहीं है.  बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार तो कर रहे हैं लेकिन टास्क ये है कि अपने इलाके तक सीमित रहेंगे. वीरमगाम की लोकसभा सीट सुरेंद्रनगर की सीमा के अंदर रहकर बीजेपी का प्रचार करते रहना है. सोशल मीडिया पेज देखने से पता चलता है कि हार्दिक पटेल पिछले दो महीने में वीरमगाम विधानसभा सीट से बाहर कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं किया. एक जमाने के राइजिंग पॉलिटिकल स्टार हार्दिक पटेल लोकसभा चुनाव में वीरमगाम लिमिटेड बन गए हैं .

चुनावों में स्टार प्रचारक की बड़ी अहमियत होती है. नेता, सांसद, विधायक, क्रिकेटर, एक्टर, सेलिब्रिटी कोई भी स्टार प्रचारक बन सकता है. कोई क्वालिफिकेशन नहीं होती. बस पार्टी को लगना चाहिए कि इस नेता का कद बड़ा है. चुनाव आयोग का नियम है कि बड़ी पार्टी 40 स्टार प्रचारक नियुक्त कर सकती है. उसकी लिस्ट चुनाव आयोग को देनी होती है. स्टार प्रचारक के ट्रैवल, स्टे जैसे खर्चे पार्टी के चुनाव खर्चे में शामिल किए जाते हैं. चुनावी दौरे, चुनाव प्रचार के दौरान प्रशासन सुरक्षा, सुख-सुविधा का पूरा बंदोबस्त रखा है. एक बार लिस्ट में नाम चला गया तो पार्टी भी आसानी से उसमें कांट-छांट नहीं कर सकती. 

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2024 के लोकसभा चुनाव में हार्दिक पटेल को ये मलाल रहेगा कि बीजेपी ने इस लायक नहीं समझा. स्टार प्रचारकों की लिस्ट में पीएम मोदी, अमित शाह, योगी, सीएम भूपेंद्र पटेल, विजय रूपानी जैसे बड़े-बड़े चेहरे भी हैं और अल्पेश ठाकोर जैसे नौजवान चेहरे भी. बस हार्दिक पटेल को स्टार प्रचारक लायक नहीं माना गया. 

कांग्रेस में रहते हुए हार्दिक हेलिकॉप्टर से कर रहे थे प्रचार

बीजेपी में जाने के बाद से ही हार्दिक पटेल को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं होती रही हैं. हार्दिक पटेल की यूएसपी भीड़ जुटाने और जोरदार भाषण देने वाले नेता की रही है. 2015 में जब उनका आंदोलन पीक पर था तो बीजेपी के खिलाफ हार्दिक पटेल को सुनने के लिए लाखों लोग जुटते थे. जोरदार भाषण देने और क्राउड पुलर इमेज होने के कारण हार्दिक पटेल को राजनीति में बढ़ना आसान रहा. आंदोलन चलाने के लिए पाटीदार समाज में भी हार्दिक पटेल का बड़ा जनाधार माना जाता है. फिर भी ये सारी काबिलियत काम नहीं आ रही है.

कांग्रेस में ऐसी ही काबिलियत से हार्दिक पटेल का ग्राफ तेजी से बढ़ा था. चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस ने स्टार प्रचारक बनाकर हेलिकॉप्टर दे दिया था. रैलियों के लिए पूरे गुजरात से बहुत ज्यादा डिमांड होती थी. नेशनल अपील और डिमांड के कारण ही हार्दिक पटेल 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रचार करने यूपी तक भेजे गए थे. 

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कांग्रेस छोड़ बीजेपी में हो गए थे शामिल

2015 में 22 साल के लड़के ने पाटीदार अनामत आंदोलन समिति बनाई थी. लक्ष्य था पाटीदारों को आरक्षण दिलाना. जोरदार आंदोलन चलाया. पाटीदारों का आरक्षण धरा रह गया. आंदोलन से हार्दिक पटेल की राजनीति चमक गई. बीजेपी के खिलाफ फेस बने तो कांग्रेस ने हार्दिक का हार्दिक स्वागत किया. राहुल गांधी की नजर हार्दिक पटेल पर पड़ी. सिर्फ डेढ़ साल में गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बनकर हेलिकॉप्टर में उड़ने लगे थे हार्दिक पटेल. आंदोलन के केस में सजा के कारण हार्दिक पटेल 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सके लेकिन उन्होंने कांग्रेस के लिए जोरदार प्रचार किया. फिर भी हार्दिक पटेल को ये सब मोहमाया कांग्रेस में रोक नहीं पाई. 

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2022 में गुजरात विधानसभा से ठीक पहले अचानक हार्दिक पटेल ने कांग्रेस छोड़ दी. उसी बीजेपी में चले गए जिसके खिलाफ आंदोलन छेड़कर उन्होंने खुद को स्थापित किया था. 2022 के चुनाव में पहली बार हार्दिक पटेल ने चुनाव लड़ा और वीरमगाम से जीतकर विधायक बन गए. 

हार्दिक पटेल ने कम उम्र में राजनीति की ऊंची सीढ़ियां चढ़ीं लेकिन सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने के कारण सत्ता के क्रोध का भी सामना करना पड़ा. 2015 में बीजेपी के खिलाफ पाटीदार आरक्षण आंदोलन के कारण राजद्रोह जैसा गंभीर केस भी लगा. 9 महीने जेल में रहे. तड़ीपार करके 6 महीने के लिए गुजरात से बाहर कर दिया गया.  

बीजेपी में शामिल होने के बाद कई मुकदमों से मिला निजात!

ऐसा माना जाता है कि मुकदमों से निजात पाने के लिए ही हार्दिक पटेल झुक गए. बीजेपी की वॉशिंग मशीन में धुलने का ऑफर खुशी-खुशी स्वीकार लिया. हार्दिक पटेल को कांग्रेस ने ताबड़तोड़ प्रमोशन दिए लेकिन वो नहीं दे सकी जो बीजेपी दे सकती थी. 

बीजेपी में आने से हार्दिक पटेल की जिंदगी में चमत्कार होने लगे. 30 से ज्यादा मुकदमे झेल रहे हार्दिक पटेल के केस धड़ाध़ड़ खत्म होने लगे. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह केस में जमानत दे दी. गुजरात हाईकोर्ट ने राजद्रोह केस में जारी गिरफ्तारी वारंट रद्द कर दिया. जनवरी में 6 साल पुराने बिना इजाजत सूरत में राजनीतक भाषण देने के आरोप में बरी हुए. फरवरी में सरकारी आदेश की अवहेलना केस से भी बरी हो गए. धीरे-धीरे हार्दिक पटेल के मुकदमों और पार्टी की जिम्मेदारियों का बोझ हल्का हो रहा है.

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