घर में मंदिर बनाते वक्त भूलकर भी न करें ये गलतियां, वरना नहीं मिलेगा पूजा का फल! जानिए सही दिशा और नियम

घर में मंदिर या पूजा स्थान बनाते समय वास्तु और ज्योतिष नियमों का पालन बेहद जरूरी है. पूजा स्थान की सही दिशा, रंगों का चयन और देवी-देवताओं की उचित स्थापना से आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है. जानिए किन जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए.

तस्वीर: AI

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संदीप कुमार

31 Mar 2025 (अपडेटेड: 31 Mar 2025, 09:17 AM)

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घर में मंदिर या पूजा स्थान बनाना एक पवित्र कार्य है, लेकिन इसके लिए सही दिशा, रंग और नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है. ज्योतिष और वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, पूजा स्थान की व्यवस्था से न केवल सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, बल्कि मन की एकाग्रता और आध्यात्मिक उन्नति भी संभव होती है.आइए जानते हैं फेमस वास्तुविद शैलेंद्र पांडेय से कि घर में पूजा स्थान बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

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पूजा स्थान की सही दिशा

वास्तु के अनुसार, घर का मंदिर ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में होना चाहिए, क्योंकि यह दिशा सबसे शुभ मानी जाती है. यदि ईशान कोण में मंदिर बनाना संभव न हो, तो पूर्व दिशा का उपयोग करें. फ्लैट में रहने वालों के लिए दिशाओं का उतना महत्व नहीं है, लेकिन मंदिर ऐसी जगह पर होना चाहिए जहां सूर्य का प्रकाश पहुंचे. विशेषज्ञों का कहना है कि पूजा स्थान को बार-बार बदलना नहीं चाहिए. स्वामी विवेकानंद के अनुसार, पूजा का स्थान, समय और इष्ट देव निश्चित होने चाहिए, तभी यह गहरी और प्रभावी होती है.

रंग का चयन

पूजा स्थान का रंग हल्का पीला या सफेद होना चाहिए. गहरे रंग जैसे लाल, नीला या भूरा प्रयोग करने से बचें. हल्का पीला रंग सात्विकता और शांति का प्रतीक माना जाता है, जो पूजा के माहौल को पवित्र बनाता है.


मंदिर की संरचना और सामग्री


बाजार से लकड़ी के छोटे मंदिर खरीदकर पूजा स्थान पर रखने की प्रथा आम है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि गुंबद वाले मंदिर का लाभ तभी है, जब आप उसके नीचे बैठकर पूजा करें. घर में ऐसी संरचना संभव नहीं होने के कारण मंदिर की आकृति रखने की बजाय एक साधारण पूजा स्थान बनाना बेहतर है. इसके लिए लकड़ी का पटरा या छोटी टेबल प्रयोग करें, जहां देवी-देवताओं की मूर्तियां या चित्र खुले में रखे जा सकें. मंदिर के दरवाजे बंद करने से बचें, क्योंकि यह भगवान को सीमित करने जैसा माना जाता है.

देवी-देवताओं की स्थापना

पूजा स्थान पर सभी देवी-देवताओं की भीड़ न लगाएं. जिस देवता की आप मुख्य रूप से उपासना करते हैं, उनकी मूर्ति या चित्र को बीच में रखें. उदाहरण के लिए, यदि आप कृष्ण भक्त हैं, तो भगवान कृष्ण को केंद्र में रखें और गणेश, लक्ष्मी या शिव परिवार को अगल-बगल में स्थापित करें. मूर्ति की ऊंचाई 12 अंगुल (लगभग 6-8 इंच) से अधिक नहीं होनी चाहिए, जबकि चित्र का आकार आपकी इच्छानुसार हो सकता है. चित्र और मूर्ति के स्पंदन में अंतर होता है, जो पूजा के प्रभाव को अलग-अलग तरीके से बढ़ाता है.

पूजा स्थान पर रखें ये चीजें

  • एक शंख, तीन गोमती चक्र और जल से भरा पात्र पूजा स्थान पर जरूर रखें.  
     
  • सुबह पूजा के लिए तांबे के लोटे में जल भरें और अगले दिन इसे बदल दें.  
     
  • इससे पूजा स्थान की सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.
     

महत्वपूर्ण सुझाव


विशेषज्ञों का कहना है कि पूजा स्थान को सजाने के लिए त्रिकोणीय मंदिर रखने में कोई बुराई नहीं, लेकिन इसका कोई विशेष लाभ भी नहीं है. पूजा को प्रभावशाली बनाने के लिए स्थान और समय की एकरूपता जरूरी है. अनावश्यक रूप से सभी देवी-देवताओं को तिलक लगाने में समय बर्बाद करने के बजाय अपने इष्ट देव पर ध्यान केंद्रित करें.


घर में सही तरीके से बनाया गया पूजा स्थान न केवल आध्यात्मिक शांति देता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाता है. इन नियमों का पालन कर आप अपनी पूजा को गहरा और प्रभावी बना सकते हैं.

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Disclaimer: यह जानकारी ज्योतिष और उसके इर्द-गिर्द बनी मान्यताओं और तर्कों पर आधारित है. हम ज्योतिर्विद के हवाले से यह जानकारी आपको दे रहे हैं. न्यूज़ तक ऐसी मान्यताओं और टोटकों का समर्थन नहीं करता है.

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