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Vastu Tips: यह कहानी है दिल्ली के एक पुराने मोहल्ले की है. यहां अरविंद और प्रिया (काल्पनिक नाम) की एक खूबसूरत जोड़ी अपनी नई जिंदगी की शुरुआत कर रही थी. मोहल्ले में एक ऐसा घर था, जो देखने में तो बहुत आकर्षक लगता था, लेकिन उसके अंदर का माहौल कुछ अलग ही था. अरविंद और प्रिया ने इस घर को अपने सपनों का घर समझ कर खरीदा, लेकिन जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि कुछ ठीक नहीं है. घर में अजीब-अजीब घटनाएं घटने लगीं. दोनों को स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ने लगीं, मानसिक तनाव हुआ और भी अन्य तरह की परेशानियां उनके जीवन का हिस्सा बन गईं.
एक दिन, प्रिया ने वॉशरूम में कंसला और कनखजूरा (सेंटीपीड और मिलीपीड) देखे. उसे लगा ये ऐसे ही गंदगी के कारण आ गए होंगे. उसने उसी दिन फटाफट वॉशरूम साफ कर दिया. लेकिन, 3 दिन बाद एक बार और कनखजूरा दिख गया. ऐसे उसके साथ कई दिनों तक होता रहा. इसके बारे उसने गांव में रहने वाली अपनी दोस्त को बताया. उसकी दोस्त ने उसे हैरान कर देने वाली बात बताई और कहा कि किसी ज्योतिष के पास जाओ. इसके बाद प्रिया ने ज्योतिष की तलाश शुरू की.
इस बीच उसे किसी ने ज्योतिर्विद कमल नंदलाल के बारे में बताया. अगले दिन प्रिया वहां पहुंच गयी. इस दौरान उन्होंने बताया कि कीटों का निकलना न केवल घर के वास्तु दोष का संकेत है, बल्कि यह ग्रहों के प्रभाव, जैसे राहु, केतु और शनि, का भी प्रतीक है. उन्होंने बताया कि इन समस्याओं को दूर करने के लिए सही उपाय और मार्गदर्शन बेहद महत्वपूर्ण है. चलिए जानते हैं ज्योतिर्विद कमल नंदलाल से इसके कारण और समाधान.
कंसला और कनखजूरा क्यों हैं खतरनाक?
कमल नंदलाल के अनुसार, कंसला और कनखजूरा नमी वाली जगहों जैसे नालियों और वॉशरूम में पाए जाते हैं. कंसला शरीर पर चिपककर छेद कर सकता है और छोटे जीवों को खा लेता है, जबकि कनखजूरा कान के रास्ते दिमाग तक पहुंचकर गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है. ये जीव पुराने घरों, फ्लैट्स, और बरगद, पीपल या बबूल के पेड़ों वाली जगहों पर ज्यादा पाए जाते हैं.
वास्तु दोष और ज्योतिषीय प्रभाव
कमल नंदलाल ने बताया कि ये जीव राहु, केतु और शनि के प्रतीक हैं:
- राहु: इसका मुंह राहु को दर्शाता है, जो अचानक रोग और हानि का कारण बनता है.
- केतु: इसकी पूंछ केतु का प्रतीक है, जो वायरल रोग और संपत्ति हानि का कारण बन सकता है.
- शनि: इनकी बॉडी शनि को दर्शाती है, जो हड्डियों से संबंधित रोग और आर्थिक परेशानियां लाता है.
वास्तु दोष के कारण
- दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) और पश्चिम दिशा: यदि ये दिशाएं हल्की हों, गटर बने हों, या बड़े पेड़ों ने जमीन को फाड़ दिया हो, तो यह समस्या बढ़ती है.
- उत्तर-पूर्व (ईशान कोण): यदि यह दिशा ऊंची हो, टॉयलेट बना हो, या नीले-काले रंगों का अधिक प्रयोग हो, तो वास्तु दोष उत्पन्न होता है.
- छत और बेसमेंट: छत पर कूड़ा-करकट, ईंधन, या बेसमेंट में दक्षिण-पश्चिम दिशा का खाली होना भी इसका कारण है.
समाधान और उपाय
कमल नंदलाल ने इन समस्याओं के लिए प्रभावी उपाय सुझाए:
- उत्तर-पूर्व दिशा: इसे खाली और साफ रखें. यदि टॉयलेट हो, तो वहां सिट्रीन पिरामिड (1x1 इंच) रखें.
- दक्षिण-पश्चिम दिशा: बदबू या नमी की समस्या हो, तो काले हकीक का पिरामिड लगाएं.
- पश्चिम दिशा: कमी हो, तो लैपिस लैजुली (छुईमुई) पिरामिड लगाएं.
- पिरामिड की देखभाल: इन्हें कांच के कटोरे में नमक के पानी में रखें. हफ्ते में एक बार (शनिवार को) पानी बदलें, धूप दिखाएं, और फिर से रखें.
इन दोषों का प्रभाव
- राहु: तपेदिक, बैक्टीरियल इंफेक्शन, और अचानक हानि.
- केतु: वायरल रोग, संपत्ति हानि, और अपंगता.
- शनि: हड्डियों के रोग और आर्थिक हानि.
कमल नंदलाल की सलाह
कमल नंदलाल ने दर्शकों से अपील की कि अगर आपके घर में भी कंसला या कनखजूरा निकल रहे हैं, तो तुरंत वास्तु दोष को ठीक करें और इन उपायों को अपनाएं, ताकि रोग और आर्थिक हानि से बचा जा सके.
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Disclaimer: यह जानकारी ज्योतिष और उसके इर्द-गिर्द बनी मान्यताओं और तर्कों पर आधारित है. हम ज्योतिर्विद के हवाले से यह जानकारी आपको दे रहे हैं. न्यूज़ तक ऐसी मान्यताओं और टोटकों का समर्थन नहीं करता है.
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