बिहार और पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. एक ओर जहां बिहार में नीतीश कुमार के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं, वहीं बंगाल में ममता बनर्जी एक बार फिर बीजेपी को कड़ी चुनौती देने की तैयारी में हैं. बिहार में नीतीश के पत्ते अभी खुले नहीं हैं. वहीं तेजस्वी को जनता का समर्थन मिलता दिख रहा है.
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बिहार में अगले चुनाव को लेकर सियासी समीकरण लगातार बदलते नजर आ रहे हैं. हाल ही में आए सी-वोटर सर्वे के मुताबिक, मुख्यमंत्री पद के लिए 40.1% वोटर तेजस्वी यादव को पसंद कर रहे हैं, जबकि नीतीश कुमार को मात्र 18% ही समर्थन मिल रहा है. वहीं, प्रशांत किशोर को 15-16% समर्थन प्राप्त है.
सर्वे के मुताबिक 50 फीसदी जनता नीतीश कुमार के कार्यकाल से नाखुश है और उन्हें सत्ता से हटाना चाहती है. वहीं, 22 फीसदी जनता असंतुष्ट होने के बावजूद सरकार को समर्थन देने की बात कर रही है. कुल मिलाकर, बीजेपी और जेडीयू के बीच की दूरी बढ़ती नजर आ रही हैं. बीजेपी 140 सीटों पर लड़ने की योजना बना रही है, जबकि नीतीश कुमार को 70-75 सीटों तक सीमित करने की संभावना जताई जा रही है.
अगर नीतीश कुमार लालू यादव के खेमे में जाते हैं, तो राजद उन्हें 100+ सीटें लड़ने का मौका दे सकता है. इसके अलावा, नीतीश मुख्यमंत्री बन सकते हैं और आगे तेजस्वी यादव या अपने बेटे निशांत कुमार को सत्ता सौंपने का निर्णय ले सकते हैं. वहीं, बीजेपी के साथ रहते हुए उन्हें मुख्यमंत्री पद से दूर रखा जा सकता है, जिससे उनकी राजनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है. ऐसे में बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है.
बंगाल में ममता की हुंकार- ‘फिर खेला होबे’?
दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी और चुनाव आयोग को खुली चुनौती दी है. उन्होंने आरोप लगाया है कि गुजरात और हरियाणा के मतदाताओं को बंगाल में शामिल किया जा रहा है, जिससे चुनाव में धांधली की जा सके. ममता ने चुनाव आयोग को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अगर अनियमितताओं पर लगाम नहीं लगाई गई तो वह धरना, प्रदर्शन और भूख हड़ताल तक कर सकती हैं.
ममता बनर्जी ने 2026 के विधानसभा चुनावों में 294 में से कम से कम 215 सीटें जीतने का दावा किया है. पिछली बार तृणमूल कांग्रेस ने 214 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि बीजेपी महज 75 सीटों पर सिमट गई थी. लोकसभा चुनावों में भी बीजेपी को झटका लगा था, जब 2019 की 18 सीटों के मुकाबले उनकी संख्या घटकर 11-12 रह गई.
क्या कहता है सियासी विश्लेषण?
बिहार में नीतीश कुमार अभी तक अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं, लेकिन उनकी स्थिति कमजोर होती दिख रही है. बीजेपी के साथ रहते हुए वह सत्ता में बने तो रह सकते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पद पर काबिज नहीं हो पाएंगे. वहीं, बंगाल में ममता बनर्जी पूरी तैयारी के साथ मैदान में हैं और बीजेपी को हर हाल में रोकने की रणनीति बना रही हैं. उन्होंने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए सख्त कदम उठाने की चेतावनी दी है.
देखा जाए तो बिहार और बंगाल की राजनीति में आने वाले दिनों में बड़े फेरबदल देखने को मिल सकते हैं. बिहार में नीतीश का भविष्य असमंजस में है, जबकि बंगाल में ममता पूरी मजबूती के साथ बीजेपी को चुनौती दे रही हैं. क्या बिहार में राजनीतिक समीकरण बदलेंगे? क्या बंगाल में फिर ‘खेला’ होगा? ये आने वाले समय में तय होगा.
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