9 साल के लंबे इंतजार के बाद बिहार को मिला दूसरा AIIMS, इन चुनौतियों से भरा रहा सफर 

माहिरा गौहर

15 Nov 2024 (अपडेटेड: Nov 15 2024 10:15 AM)

9 साल का इंतजार खत्म हुआ. बिहार को पटना के बाद दरभंगा में दूसरा एम्स मिला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बिहार के दरभंगा में AIIMS अस्पताल का शिलान्यास किया. उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान समेत एनडीए के कई बड़े नेता मौजूद रहे.

AIIMS

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9 साल का इंतजार खत्म हुआ. बिहार को पटना के बाद दरभंगा में दूसरा एम्स मिला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बिहार के दरभंगा में AIIMS अस्पताल का शिलान्यास किया. उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान समेत एनडीए के कई बड़े नेता मौजूद रहे. 1260 करोड़ रुपये से ज़्यादा की लागत से बने इस सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल में  AIIMS आयुष ब्लॉक, मेडिकल कॉलेज, रैन बसेरा, नर्सिंग कॉलेज और आवासीय सुविधाएं होंगी. दरभंगा एम्स को लेकर कई तरह की कहानियां बनी कई विवाद हुए जिसके बाद उत्तर बिहार को और खास कर दरभंगा को AIIMS नसीब हुआ. बिहार को दूसरा एम्स दिलाने में राज्यसभा सांसद संजय झा ने केंद्र और राज्य के बीच बड़ी भूमिका निभाई. केंद्र को एम्स के लिए मनाने में सबसे बड़ा योगदान झा का रहा.

2015 में अरुण जेटली ने बिहार को दिया था AIIMS का तोहफा

दरभंगा AIIMS का शिलान्यास भले ही अब बना हो पर अरुण जेटली ने वित्त मंत्री रहते 2015 के केंद्रीय बजट में बिहार को AIIMS का तोहफा दिया था. 2015 में जेटली ने बिहार को एम्स देने की घोषणा की पर जगह निर्धारित नहीं किया. इसके बाद कई जिले से मांग उठी कि दूसरा AIIMS उनके हिस्से में आए. नीतीश कुमार ने सबसे पुराना मेडिकल कॉलेज यानी कि दरभंगा मेडिकल कॉलेज को एम्स के लिए चुना. नीतीश चाहते थे दरभंगा, चिकित्सा हब के रूप में विकसित हो.

सरकार के साथ बदलती रही दरभंगा AIIMS की जगह 

2015 में जब बिहार को केंद्र ने AIIMS दिया, उस वक्त बिहार में अकेले नीतीश की जेडीयू सरकार थी. उस वक्त डीएमसीएच (दरभंगा मेडिकल कॉलेज) के परिसर को बढ़ाकर एम्स के लिए जमीन उपलब्ध कराने की बात तय हुई. 2017 में जेडीयू और बीजेपी फिर एक साथ सत्ता में आई . 2018 में केंद्रीय स्वास्थ राज्य मंत्री रहते बीजेपी नेता अश्विनी चौबे ने दरभंगा में जांच के लिए एक कमेटी भेजी. कमेटी ने दावा किया कि डीएमसीएच का परिसर एक लोलैंड है जो एम्स बनने के लिए बेहतर स्थान नहीं है. जिसके बाद एम्स के लिए भागलपुर को चुना गया पर बात नहीं बन पाई. 2022 में नीतीश ने आरजेडी के साथ सरकार बनाई और एम्स की सारी बागडोर आरजेडी के भोला यादव के हाथ में चली गई.

सरकार बदली फैसला बदला एम्स को अशोक पेपर मिल में बनाने की नई कथा शुरू हो गई. वहीं दूसरी तरफ़ दरभंगा से बीजेपी सांसद गोपाल ठाकुर ने इस बात को लेकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया कि एम्स दरभंगा मेडिकल कॉलेज के परिसर में ही बनाया जाए. 2 साल के भीतर नीतीश ने फिर पलटी मारी और जनवरी 2024 में एनडीए की सरकार बनी. एनडीए सरकार बनते ही एम्स ने रफ्तार पकड़ा और आखिरकार दरभंगा के सोहना में एक ग्रीन फील्ड एरिया में दरभंगा एम्स की बुनियाद रखी गई. हालांकि ये भी एक लोलैंड एरिया है पर बिहार सरकार इसे भर कर केंद्र को सौप रही है. 

सालों तक राजनीति की भेट चढ़ता रहा दरभंगा एम्स

राजनीति की भेट चढ़ रहा दरभंगा एम्स कई दावपेंच से होकर गुजरा. कई राजनीतिक षड्यंत्र से गुजरने के बाद दरभंगा एम्स के हिस्से में बुधवार 13 नवंबर को शिलान्यास आया. इसमें कोई शक नहीं की 9 साल एक बहुत लंबा वक्त होता है. इतने लंबे वक्त में ना जाने कितनी आंखे बिहार के दूसरे एम्स कि राह तकते स्वर्ग सिधार गई होंगी. Darbhanga AIIMS ने नौ साल शिलान्यास के इंतज़ार में गुजारे और अब बनकर तैयार होने से लेकर उद्घाटन तक में कुछ साल और लगेंगे. जिस राज्य में एक एम्स बनने की रफ़्तार 10 साल से ज़्यादा हो वो विकास के मामले में कितना आगे निकल पाएगा. विकास के नाम पर सत्ता में बैठे सरकार और सरकारी ठेकेदारों को समझना होगा कि विकास को लेकर कम से कम राजनीति ना हो और वो भी एक ऐसे राज्य में जो विकास की दौड़ में बाक़ी राज्यो से बहुत पीछे है.
 

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