कन्हैया कुमार और पप्पू यादव आए एक साथ, सोशल मीडिया पर सियासी हलचल तेज!

आशीष अभिनव

29 Sep 2024 (अपडेटेड: Sep 29 2024 4:11 PM)

पप्पू यादव और कन्हैया कुमार लंबे समय बाद एक साथ दिखे. कन्हैया कुमार भले पप्पू यादव के पिता के श्राद्धकर्म में शामिल होने पहुंचे लेकिन सियासी तौर पर बड़ा मैसेज दे गए.

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Bihar Politics: पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव और कांग्रेस के दिग्गज नेता कन्हैया कुमार लंबे समय बाद एक साथ मंच पर दिखे. कन्हैया कुमार पप्पू यादव के पिता के श्राद्धकर्म में शामिल होने पूर्णिया पहुंचे थे. ये तस्वीर बिहार की सियासत के लिए एक बड़े संकेत की तरफ इशारा करती है. लोकसभा चुनाव के समय कन्हैया कुमार दिल्ली में एक्टिव थे. पप्पू यादव पूर्णिया में एक्टिव थे. लोकसभा चुनाव के पहले कहा जा रहा था कि कांग्रेस के टिकट पर कन्हैया कुमार बेगूसराय से चुनाव लड़ सकते हैं और पप्पू यादव पूर्णिया से. लेकिन हुआ इसके ठीक विपरित. कन्हैया को दिल्ली से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ना पड़ा तो पप्पू यादव को निर्दलीय ही मैदान में आना पड़ा. पप्पू जीतने में सफल रहे लेकिन कन्हैया मनोज तिवारी से चुनाव हार गए. 

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एक मंच दिखना बड़े संकेत

बिहार की राजनीति इन दिनों युवाओं तुर्क के सहारे चल रही है. चिराग पासवान, तेजस्वी यादव, मुकेश सहनी प्रशांत किशोर संतोष सुमन इस कड़ी के हिस्सा हैं. लेकिन कांग्रेस पार्टी में बिहार ईकाई में युवा चेहरे की कमी है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर हुआ है. कांग्रेस पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी मजबूत स्थिति दर्ज कराना चाहेगी. इसके लिए कांग्रेस पार्टी को युवा नेताओं पर भरोसा करना होगा. और इसके लिए पप्पू यादव और कन्हैया कुमार बिहार कांग्रेस के लिए बड़े चेहरे हो सकते हैं. 

राहुल के करीबी कन्हैया और पप्पू 

कन्हैया कुमार भारत जोड़ो यात्रा में हमेशा राहुल गांधी के साथ रहे. उनकी कांग्रेस पार्टी में अच्छी स्वीकारिता है. वहीं, पप्पू यादव का परिवार कांग्रेस से लंबे समय से जुड़ा है. उनकी पत्नी रंजीत रंजन राज्यसभा सांसद भी हैं. ऐसे में बिहार चुनाव में कांग्रेस इन दोनों चेहरे का अच्छा इस्तेमाल करना चाहेगी. कन्हैया और पप्पू यादव ऐसे नेता हैं जिनमें भीड़ जुटाने की भी अपने दम पर क्षमता है. 

कांग्रेस को फिर करना होगा लालू पर भरोसा? 

राजनीतिक पंडित मानते हैं कि बिहार में कांग्रेस लंबे समय से लालू प्रसाद के सहारे चल रही है. और लालू प्रसाद कभी नहीं चाहते हैं कि कांग्रेस में कोई युवा चेहरा तेजस्वी यादव के सामने उभरे. शायद यहीं  वजह रही कि पप्पू यादव को निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा और कन्हैया को दिल्ली में ही रोक दिया गया. अब चुनाव के बाद कांग्रेस नेता भी इस गलती को स्वीकारते नजर आते हैं. हालांकि मजबूत हुई कांग्रेस का दवाब इस विधानसभा चुनाव में ज्यादा काम करेगा. 

विधानसभा चुनाव में साथ नजर आएंगे कन्हैया-पप्पू? 

कन्हैया कुमार और पप्पू यादव एक साथ भले श्राद्ध कार्यक्रम में मंच पर दिखें हों. लेकिन बिहार में कांग्रेस की भूमि को उर्वर बनाने में दोनों नेताओं का योगदान बड़ा हो सकता है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि दोनों नेताओं का प्रयोग कांग्रेस विधानसभा चुनाव में करती है या नहीं. क्योंकि कांग्रेस बिहार विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद के दवाब में डिफेंसिव नहीं रहना चाहेगी.

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