Buxar Vidhansabha Seat:  क्या संजय तिवारी लगाएंगे हैट्रिक या बीजेपी करेगी वापसी?

Buxar Vidhansabha Seat:  बक्सर विधानसभा सीट पर बिहार चुनाव 2025 में मुकाबला बेहद रोचक होता जा रहा है. कांग्रेस विधायक संजय कुमार तिवारी लगातार दो बार जीत चुके हैं और हैट्रिक लगाने की कोशिश में हैं, वहीं बीजेपी अपनी खोई हुई सीट वापस पाने की जद्दोजहद में है.

NewsTak

आशीष अभिनव

• 06:00 PM • 17 Apr 2025

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Buxar Vidhansabha Seat: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का आगाज हो चुका है. इस बार सबकी नजरें टिकी हैं बक्सर सीट पर. ऐतिहासिक, धार्मिक और राजनीतिक दृष्टि से अहम इस विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला रोचक होता जा रहा है. दो बार से विधायक रहे कांग्रेस के संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी क्या इस बार भी जीत की हैट्रिक लगाएंगे या फिर बीजेपी इस सीट पर फिर से परचम लहराएगी. यह सवाल अब पूरे राज्य की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है.

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राजनीतिक इतिहास: बदलते समीकरण और जीत की पटकथा

बक्सर सीट का राजनीतिक इतिहास उतार-चढ़ाव से भरा रहा है. देखिए ये आंकड़े:

  • साल 2010: बीजेपी की प्रो. सुखदा पांडे ने आरजेडी को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया था.
  • साल 2015: समीकरण बदले और कांग्रेस के मुन्ना तिवारी ने बीजेपी के प्रदीप दुबे को 10,181 वोटों के अंतर से हराकर जोरदार वापसी की.
  • साल 2020: मुन्ना तिवारी ने बीजेपी के परशुराम चतुर्वेदी को 3,892 वोटों से हराकर सीट बचाई.

वोटर प्रोफाइल और जातीय समीकरण

बक्सर विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 2.88 लाख है. इनमें 1.54 लाख पुरुष और 1.34 लाख महिला वोटर हैं. ब्राह्मण और यादव समुदाय यहां के प्रमुख निर्णायक मतदाता माने जाते हैं. इसके अलावा दलित और पिछड़े वर्गों का भी खासा प्रभाव है जो अंतिम फैसला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

मुद्दे जो बनेंगे चुनावी एजेंडा

बक्सर की जनता अब स्थानीय मुद्दों पर भी ध्यान चाहती है. सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, गंगा घाटों का सौंदर्यीकरण, और बेरोजगारी यहां के मुख्य चुनावी मुद्दे हैं. इसके साथ ही युवा वोटर वर्ग विकास और तकनीकी अवसरों की तलाश में है.

कड़े मुकाबले की तैयारी

इस बार मुकाबला सिर्फ कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही नहीं, बल्कि क्षेत्रीय दलों के नए चेहरों और निर्दलीयों के दावों के बीच भी दिलचस्प हो सकता है. दोनों प्रमुख दल अपने-अपने वोट बैंक को साधने की रणनीति में जुटे हैं पर फैसला जनता के मूड पर निर्भर करेगा. बक्सर की गली-गली में फिलहाल चुनावी चर्चा गर्म है. किसका वादा लोगों को लुभाएगा और किसका ट्रैक रिकॉर्ड काम आएगा ये कुछ ही हफ्तों में साफ हो जाएगा. फिलहाल इतना तय है कि बक्सर एक बार फिर बिहार की सियासत का हॉटस्पॉट बनने जा रहा है.

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