Haryana Election Result ने Prashant Kishor पर लगा दाग धो दिया? समझिए पूरा मामला

सुकन्या सिंह

10 Oct 2024 (अपडेटेड: Oct 10 2024 7:39 PM)

Bihar Politics: हरियाणा चुनाव के परिणाम ने प्रशांत किशोर की छवि को भी सुधारने का मौका दिया है.  2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रशांत किशोर ने मतदान के कुछ चरणों के बाद भविष्यवाणी की थी कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 300 से अधिक सीटें जीतेगी. हालांकि, जब नतीजे सामने आए, तो यह अनुमान गलत साबित हुआ.

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Prashant Kishor: हरियाणा विधानसभा चुनाव का परिणाम सामने आ गया है. नतीजों ने न केवल एग्जिट पोल को गलत साबित किया, बल्कि सभी राजनीतिक एक्सपर्ट्स के दावों की भी पोल खोल दी. एग्जिट पोल में कांग्रेस की जीत का दावा किया जा रहा था. एक्सपर्ट्स का मानना था कि ये चुनाव कांग्रेस के पक्ष में एकतरफा होगा. लेकिन असली नतीजों ने सभी अनुमानों को झुठला दिया.

प्रशांत किशोर पर लगा दाग धुल गया?

हरियाणा चुनाव के परिणाम ने प्रशांत किशोर की छवि को भी सुधारने का मौका दिया है.  2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रशांत किशोर ने मतदान के कुछ चरणों के बाद भविष्यवाणी की थी कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 300 से अधिक सीटें जीतेगी. हालांकि, जब नतीजे सामने आए, तो यह अनुमान गलत साबित हुआ और भाजपा पूर्ण बहुमत से पीछे रह गई. इसके बाद प्रशांत किशोर की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए थे.

बीजेपी की 'बी टीम' होने का आरोप

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद, प्रशांत किशोर पर आरोप लगाया गया कि वे जानबूझकर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे थे. उनके आलोचकों ने कहा कि पीके भाजपा की "बी टीम" के रूप में काम कर रहे थे, क्योंकि वह बार-बार 300 से अधिक सीटों का दावा कर रहे थे. यह आरोप उनकी प्रतिष्ठा पर बड़ा दाग साबित हुआ.

हरियाणा चुनाव के नतीजों पर जन सुराज की प्रतिक्रिया

हरियाणा चुनाव के नतीजों के बाद, जन सुराज के प्रवक्ताओं ने उन सभी विशेषज्ञों और एग्जिट पोल करने वाली संस्थाओं पर सवाल उठाए, जिन्होंने कांग्रेस की जीत का दावा किया था. उन्होंने कहा कि अगर प्रशांत किशोर को 300 सीटों का दावा करने के लिए भाजपा की 'बी टीम' कहा गया, तो क्या अब कांग्रेस की जीत का दावा करने वाले विशेषज्ञों और एग्जिट पोल करने वाली संस्थाओं को कांग्रेस की 'बी टीम' कहा जाएगा?

क्या प्रशांत किशोर की छवि सुधरेगी?

हरियाणा चुनाव के नतीजों ने राजनीतिक एक्सपर्ट्स और एग्जिट पोल्स की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. अब सवाल यह है कि क्या इन नतीजों के बाद प्रशांत किशोर की छवि पर लगे धब्बे धुल जाएंगे? जन सुराज के सूत्रधार के रूप में उनकी भूमिका पर अब ध्यान केंद्रित है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि उनके ऊपर लगे आरोपों का भविष्य में क्या प्रभाव पड़ेगा.

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