किसानों के कार्यक्रम में खर्राटे मार सोते रहे सांसद-विधायक, माले नेताओं ने मंच को बनाया स्लीपिंग जोन

बेतिया में राजनीति ने करवट बदली नहीं, बल्कि करवट लेकर सो गई. मंच पर जहां किसान आंदोलन और कृषि नीति की गंभीर बातें चल रही थीं, वहीं दो माले नेता माननीय सांसद सुदामा प्रसाद और विधायक अरुण सिंह संघर्ष की बजाय शांति की नींद में लीन नजर आए.

बिहार में किसानों के एक कार्यक्रम में सांसद और विधायक सोने लगे.

बिहार में किसानों के एक कार्यक्रम में सांसद और विधायक सोने लगे.

ऋचा शर्मा

08 Apr 2025 (अपडेटेड: 08 Apr 2025, 07:56 PM)

follow google news

बिहार की राजनीतिक जमीन पर ऐसी जागरूकता पहले कभी नहीं देखी गई. बेतिया में आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम, जिसमें देश की कृषि नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करने की तैयारी थी. वो कार्यक्रम अचानक नींद जागरण सभा में तब्दील हो गया. क्रांति की उम्मीद लिए जनता जुटी थी लेकिन नेताओं ने जिस अंदाज में मंच पर निद्रा योग का प्रदर्शन किया. उसने पूरे सोशल मीडिया को नींद से जगा दिया.

Read more!

बेतिया में राजनीति ने करवट बदली नहीं, बल्कि करवट लेकर सो गई.. मंच पर जहां किसान आंदोलन और कृषि नीति की गंभीर बातें चल रही थीं, वहीं दो माले नेता माननीय सांसद सुदामा प्रसाद और विधायक अरुण सिंह संघर्ष की बजाय शांति की नींद में लीन नजर आए. जी हां, संघर्ष का मंच अब स्लीपिंग जोन घोषित हो चुका है. 

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था कृषि विपणन पर केंद्र सरकार की नीति का विरोध और किसानों के हित में प्रस्ताव पास करना. लेकिन जैसे ही राष्ट्रीय महासचिव और सांसद राजाराम सिंह ने अपना भाषण शुरू किया. मंच पर बैठे दो वरिष्ठ नेता सांसद सुदामा प्रसाद और विधायक अरुण सिंह. अपनी राजनीतिक ज़िम्मेदारियों से आंखें मूंदकर खर्राटों की दुनिया में खो गए.

गहरी नींद में सो गए नेता

इन दोनों नेताओं ने मंच पर ऐसी गहरी नींद ली, जैसे किसी स्पा रिट्रीट में आए हों. जनता भले ही संघर्ष की बातें सुनने आई थी पर सामने जो नजारा था.. उसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया. कार्यक्रम की थीम भले ही कृषि 'नीति के खिलाफ प्रस्ताव' रही हो. नेताओं की बॉडी लैंग्वेज देखकर ऐसा लगा कि प्रस्ताव स्लीपिंग पोजिशन में पास किया गया. जनता ने भी सोचा इनके सपनों में शायद क्रांति ज्यादा तेज़ी से आती हो.

ये भी पढ़ें: Bihar Weather News Update: बिहार के 19 जिलों में आंधी-तूफान मचाएगी तबाही, भारी बारिश का अलर्ट

हवा-हवाई हुईं क्रांति की बातें 

राष्ट्रीय महासचिव राजाराम सिंह का फायरी भाषण चल रहा था, लेकिन बगल में बैठे नेता ऐसे बेसुध थे जैसे Spotify पर Rain Sounds for Deep Sleep चल रहा हो. ऐसा मानो शायद ये 'नींद में क्रांति' का पायलट प्रोजेक्ट है. बेतिया की ये घटना अब केवल एक मज़ाक नहीं रही. ये पूरे राजनीतिक विमर्श पर एक तमाचा है.

नेता जिनसे हम उम्मीद करते हैं कि वे देश और जनता के लिए हर पल सजग रहेंगे वही मंच पर अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़कर सोते नजर आए. क्रांति की बातें हवा में थीं पर मंच पर माहौल नींद से भारी हो गया. राजनीति में बहुत कुछ होता है. कभी वादे सो जाते हैं, कभी इरादे. बेतिया में तो नेता खुद ही मंच पर सो गए. अब देखना ये है कि अगली बार ये मंच जागरूकता फैलाएगा या 'स्लीपिंग बैग्स'.

    follow google newsfollow whatsapp