पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में उद्घाटन समारोह के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक वीडियो सामने आया, जिसने सोशल मीडिया पर बवाल खड़ा कर दिया है. राष्ट्रगान के दौरान नीतीश कुमार हंसते और बातचीत करते नजर आ रहे हैं. इस वीडियो को विपक्षी दल ने बहुत बड़ा मुद्दा बना दिया. सोशल मीडिया पर साझा करते हुए मुख्यमंत्री पर तीखे सवाल खड़े कर दिए.
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राजद नेता तेजस्वी यादव ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि कम से कम राष्ट्रगान का तो अपमान मत करिए माननीय मुख्यमंत्री जी... उन्होंने आगे कहा कि ये पहली बार नहीं है जब मुख्यमंत्री ने इस तरह की लापरवाही दिखाई हो. उन्होंने नीतीश कुमार पर बिहार के लोगों के अपमान का भी आरोप लगाया.
अब इस मुद्दे पर बिहार की राजनीति गर्म हो गयी है. जनता दल यूनाइटेड यानि जेडीयू की ओर से इस आरोप को सिरे से खारिज किया जा रहा है. पार्टी के प्रवक्ताओं ने इसे विपक्ष का राजनीतिक प्रोपेगंडा बताया है. कहा कि वीडियो को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है.
सोशल मीडिया पर लोग इस घटना को लेकर दो भागों में बटे नज़र आ रहे हैं. कुछ लोग इसे गंभीर मुद्दा बता रहे हैं तो कुछ का मानना है कि इसे बेफजूल तूल दिया जा रहा है. अब आपको बताते है कि इस मामले को लेकर कानूनी प्रावधान क्या है और जुर्माना कितना हो सकता है.
प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट 1971 के तहत दंडनीय अपराध माना जाता है. इसमें तीन साल तक की सजा जुर्माना या हो सकता है. राष्ट्रगान को जानबूझकर रोकने या फिर राष्ट्रगान गाने के लिए जमा हुए समूह के लिए बाधा खड़ी करने पर अधिकतम तीन साल की सजा होती है. इसके साथ ही जुर्माना और सजा दोनों भी हो सकता है.
राष्ट्रगान के दौरान सम्मानजनक मुद्रा में खड़ा रहना ज़रूरी है. उस वक्त किसी भी तरह का शोर गुल या फिर अव्यवहार नहीं करना चाहिए. राष्ट्रगान के दौरान देशभक्ति की भावना व्यक्त करना बहुत ज़रूरी होता है. संविधान सभा में 24 जनवरी 1950 को जनगणना को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया गया. अब इसके सम्मान में खड़ा रहना अनिवार्य है और इस दौरान किसी भी तरह की बातचीत या फिर लापरवाही अनुचित मानी जाती है. बहरहाल सीएम नीतीश कुमार का ये वीडियो सामने आया है उसको लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.
यहां देखें वो वीडियो
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