तेजस्वी को 9वीं फेल कहने वाले प्रशांत किशोर के खुद के उम्मीदवार के डिग्री पर उठे सवाल, अब क्या जवाब देंगे पीके?

हर्षिता सिंह

31 Oct 2024 (अपडेटेड: Oct 31 2024 8:58 AM)

Prashant Kishor: राजनीति में अपने डेब्यू के साथ ही सुर्खियों में छाए प्रशांत किशोर (पीके) अब अपने उम्मीदवारों के शैक्षिक योग्यता को लेकर विवाद में फंसते नजर आ रहे हैं.

Prashant Kishor

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Prashant Kishor: राजनीति में अपने डेब्यू के साथ ही सुर्खियों में छाए प्रशांत किशोर (पीके) अब अपने उम्मीदवारों के शैक्षिक योग्यता को लेकर विवाद में फंसते नजर आ रहे हैं. एक ओर जहां पीके ने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पर शिक्षा को लेकर तंज कसे, तो दूसरी ओर उनके खुद के उम्मीदवारों की योग्यता सवालों के घेरे में है. तेजस्वी को "9वीं फेल" बताकर आलोचना करने वाले प्रशांत किशोर ने इस उपचुनाव में 10वीं और 12वीं पास उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं, जिससे उनकी अपनी बातों पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

पीके के उम्मीदवारों की शैक्षिक योग्यता का खुलासा

प्रशांत किशोर द्वारा चार विधानसभा सीटों पर उतारे गए जन सुराज के उम्मीदवारों की सूची में कोई भी ग्रेजुएट नहीं है. उम्मीदवारों में तरारी सीट से किरण सिंह 10वीं पास, इमामगंज से जितेंद्र पासवान 12वीं पास, रामगढ़ से सुशील कुशवाहा 12वीं पास, और बेलागंज से मोहम्मद अमजद 10वीं पास हैं. इसमें सबसे ज्यादा चर्चा में इमामगंज के उम्मीदवार जितेंद्र पासवान हैं, जो 12वीं पास होने के बावजूद खुद को "डॉक्टर" बताकर पेश कर रहे हैं. उनकी शैक्षिक जानकारी में भी स्पष्टता की कमी है, कभी वे 1994 तो कभी 1996 में इंटरमीडिएट पास होने का दावा करते हैं, जबकि उनके चुनावी हलफनामे में इंटरमीडिएट 2013 लिखा हुआ है.

क्या प्रशांत किशोर अपनी ही बातों पर खरे उतर रहे हैं?

प्रशांत किशोर ने अपनी पदयात्रा के दौरान शिक्षा का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था और कहा था कि "9वीं फेल" तेजस्वी यादव से क्या उम्मीद की जा सकती है. उन्होंने कहा कि नेताओं का पढ़ा-लिखा होना जरूरी है, लेकिन खुद उनके द्वारा चुने गए उम्मीदवारों की योग्यता पर अब सवाल उठ रहे हैं. इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि प्रशांत किशोर जनता को भ्रमित कर रहे हैं और खुद अपनी ही कही बातों से पीछे हटते दिख रहे हैं.

पीके के उम्मीदवार चयन पर उठ रहे विवाद

प्रशांत किशोर के उम्मीदवारों पर सिर्फ शैक्षिक योग्यता का ही नहीं, बल्कि उनके अपराधिक रिकॉर्ड पर भी सवाल उठ चुके हैं. पहले ही कई उम्मीदवारों के अपराधिक इतिहास का मुद्दा चर्चा में आ चुका था और अब उनकी डिग्री को लेकर नया विवाद सामने आया है. इसे देखकर ऐसा लगता है कि खुद को पारदर्शिता का पैरोकार बताने वाले पीके ने उम्मीदवार चयन में जल्दबाजी दिखाई है. इसके अलावा, उनके उम्मीदवारों के बीच कलह की घटनाएं भी सामने आ रही हैं, जो बिहार की राजनीति में नई नहीं हैं.

बिहार की राजनीति में बदलाव के वादे पर खरे उतरेंगे प्रशांत किशोर?

प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति में बदलाव और स्वच्छता लाने का दावा किया था, लेकिन अब उनके खुद के उम्मीदवारों पर उठ रहे सवालों से उनकी छवि को झटका लगा है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पीके अपने वादों पर खरे उतर पाएंगे, या फिर वे भी बिहार की पारंपरिक राजनीतिक धारा में बह गए हैं.

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