Bihar News: बिहार विधानसभा की चार सीटों के लिए हुए उपचुनाव में चारों सीटों पर महागठबंधन की हार हो गई. तीन सीटों पर आरजेडी के उम्मीदवार की हार हुई थी. आरजेडी के उम्मीदवारों की उन सीटों पर हार हुई है जहां लोकसभा के चुनाव में पार्टी को ज्यादा वोट मिले थे. रामगढ़ की सीट पर सुधाकर सिंह ने लोकसभा चुनाव में ज्यादा मत मिला लेकिन वहीं उनके भाई जब उपचुनाव लड़ने के लिए आए तो वो तीसरे नंबर पर रहे. ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि, क्या मुस्लिम और यादव वोट राष्ट्रीय जनता दल से छिटक तो नहीं रहा है.
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3 सीटों के नतीजों से मिल रहा बड़ा संकेत
हमारे सहयोगी चैनल आजतक के एडिटर सुजीत झा की मानें, तो बिहार विधानसभा उपचुनाव से यह तो साफ संकेत मिल रहा है कि मुस्लिम और यादव वोटों में बिखराव हो रहा है. हालांकि यह भी ध्यान रखना चाहिए कि, उपचुनाव में सरकार के पक्ष में जनता ज्यादा वोट करती है. बिहार के उपचुनाव में सरकार के स्वास्थ्य पर भी कोई असर नहीं पड़ रहा था इसलिए भी एकतरफा नतीजे आए. जहां तक बात मुस्लिम और यादव वोटरों की रही तो बिहार में बेलागंज और रामगढ़ की सीट पर तो ऐसा साफ-साफ दिखा और तो और इमामगंज की सीट पर काफी हद तक इन वोटरों में बिखराव हुआ.'
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने किया ये दावा
राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी की मानें, तो बिहार विधानसभा उपचुनाव की जीत-हार से आरजेडी के पारंपरिक वोट बैंक पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. आरजेडी का वोट बैंक एकजुट है और वो 2025 में फिर से नहीं नीतीश के नारे पर वोट करेगा. बिहार की तीन सीटों पर आरजेडी काफी अच्छा चुनाव लड़ी. चूंकि इस चुनाव की जीत से तेजस्वी मुख्यमंत्री नहीं बनते इसलिए भी वोटर ने ऐसे वोट किया.
आपको बता दें कि, लालू यादव की पार्टी आरजेडी बिहार में यादव और मुस्लिमों के वोट बैंक के जरिए सत्ता के शिखर तक पहुंची थी. यादव और मुस्लिम वोट बैंक लगातार आरजेडी के पक्ष में वोट करता रहा है. हालांकि बिहार विधानसभा उपचुनाव में परिणामों से यह दरकता हुआ दिख रहा है.
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