बिहार में पुल बनें या टूटें, ये हमेशा चर्चा का विषय बना रहता है. लेकिन इस बार कहानी जरा हटके है... क्योंकि इस बार पुल सरकार ने नहीं, बल्कि भू-माफियाओं ने बना डाला. जी हां, आपने सही सुना. पूर्णिया के रहमतनगर में कारी कोसी नदी पर एक गुप्त पुल खड़ा कर दिया गया और मज़े की बात ये है कि नगर निगम को इसकी भनक तक नहीं लगी.
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एक नदी जिसके ऊपर अवैध तरीके से पुल बन चुका है. न कोई सरकारी योजना, न कोई अनुमति. फिर भी यह पुल तैयार होने की कगार पर है. इस पुल को बनाने वाले भू-माफियाओं ने जमीन का ऐसा खेल खेला है कि सुनकर आप हैरान रह जाएंगे.
पूर्णिया की कारी कोसी नदी पर बन रहा पुल किसी सरकारी योजना का हिस्सा नहीं, बल्कि भू-माफियाओं का नया प्रोजेक्ट है. इस पूरे खेल की शुरुआत तब हुई जब कुछ रसूखदार लोगों ने नदी के उस पार की ज़मीन को कौड़ियों के दाम पर खरीद लिया. लेकिन नदी के कारण उस ज़मीन की कीमत कम थी. तो इसका ‘समाधान’ निकाला गया. एक अवैध पुल. जब नदी पार करने में आसानी होगी, तो ज़मीन की कीमत खुद-ब-खुद कई गुना बढ़ जाएगी. यानी 'इन्वेस्टमेंट कम, प्रॉफिट ज्यादा'.
लेकिन सवाल ये है कि नगर निगम आखिर कर क्या रहा था? जब बिना अनुमति के पुल बनने लगा, तो किसी अधिकारी को भनक क्यों नहीं लगी? यानी नगर निगम को पता ही नहीं था कि नदी पर एक पूरा का पूरा पुल खड़ा हो गया. अब जब मामला खुल गया है तो गुरुवार को जब नगर निगम की टीम इस पुल को गिराने के लिए पहुंची, तो यहां का माहौल गरमा गया. स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आए और प्रशासन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. उनकी दलील थी कि ये पुल उनके लिए फायदेमंद है, फिर इसे क्यों गिराया जाए?
अब सवाल ये है कि क्या प्रशासन इस अवैध पुल को गिरा पाएगा, या फिर स्थानीय लोगों के दबाव में आकर इसे कानूनी रूप दे देगा? और बड़ा सवाल ये है कि आखिर बिहार में ऐसे अवैध निर्माण कब तक होते रहेंगे? क्या कोई भू-माफिया कानून से बड़ा हो सकता है? ये मामला सिर्फ एक पुल का नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक सिस्टम की नाकामी का है. अब देखना होगा कि बिहार सरकार और प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं.
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