Chirag Paswan: कल तक नीतीश की नीतियों पर सवाल उठाने वाले चिराग पासवान अब हर मोर्चे पर नीतीश कुमार का समर्थन करने लगे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व को सिरे से नकार देने वाले चिराग पासवान और उनकी पार्टी अब नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में 2025 के समर को जीतने की तैयारी में है.
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राजनीति में स्थायी रुप से ना कोई दोस्त होता है ना ही दुश्मन. दोस्त कब दुश्मन बन जाए और दुश्मन कब दोस्त कह नहीं सकते. कल तक नीतीश की नीतियों पर सवाल उठाने वाले चिराग पासवान अब हर मोर्चे पर नीतीश कुमार का समर्थन करने लगे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने बीजेपी की बी टीम बनकर नीतीश कुमार को नाकों चने चबाने को मजबूर कर दिया था. चिराग पासवान ने चुन-चुनकर ऐसी सीट पर अपने कैंडिडेट उतारे जहां जेडीयू मैदान में थी. नतीजा ये हुआ कि नीतीश कुमार की पार्टी को महज 43 सीट पर संतोष करना पड़ा था. लेकिन अब सवाल ये है कि आखिर चिराग ने अपना रुख बदल क्यों लिया? क्या ये जरुरी है या सियासी मजबूरी ?
चिराग ने नीतीश को मान लिया अपना नेता
लोकसभा चुनाव के बाद चिराग पासवान का नीतीश कुमार को समर्थन करना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना है. नीतीश की नीतियों पर सवाल उठाने वाले चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व को स्वीकारा लिया. चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने ऐलान कर दिया कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी. पटना में लोजपा (रामविलास) ने राज्य संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई. इस बैठक में विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी की रणनीति पर चर्चा हुई. इस दौरान चिराग की पार्टी ने बड़ा ऐलान कर दिया कि पार्टी सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए के हिस्से के रूप में बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेगी. पार्टी का कहना है कि उसने सभी 243 विधानसभा सीटों पर अपनी तैयारी शुरू कर दी है.
चिराग पासवान को किस बात की हड़बड़ी ?
लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान को समझ आ गया है कि एनडीए में रहते हुए बिहार में नीतीश कुमार से बैर नहीं रख सकते हैं. वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि चिराग की इस हड़बड़ाहट की वजह हैं प्रशांत किशोर. इस बार के विधानसभा चुनाव के त्रिकोणीय होने के पूरे आसार हैं. इस बार फाइट एनडीए और महागठबंधन के बीच में नहीं बल्कि प्रशांत किशोर के बीच भी होगी.
प्रशांत किशोर की रणनीति खुद को 'रोजगार पुरुष' और यूथ आइकॉन के रुप में सेट करने की है. इस लड़ाई में प्रशांत किशोर मजबूती से मैदान में हैं. प्रशांत किशोर अपनी यात्रा और बैठकों में पलायन के दर्द की बात कर रहे हैं, युवाओं को रोजगार के अवसर बिहार में ही देने के वादे कर रहे हैं. प्रशांत किशोर का कहना है कि 10 हजार तक के रोजगार के लिए किसी को बिहार से जाने की जरूरत नहीं होगी. वहीं चिराग ने लोकसभा चुनाव में जिस तरह का फेम पाया उसके बाद चिराग का कॉन्फिडेंस बढ़ा है. ऐसे में चिराग पासवान के लिए पीके फैक्टर भी एक बड़ी चुनौती से कम नहीं हैं.
चिराग बिहार का सियासी मौसम भांप चुके हैं. लोकसभा में शानदार जीत के बात विधानसभा चुनाव में भी चिराग अपनी धाक जमाना चाहते हैं. महज बीजेपी की बी टीम ना बनकर चिराग बिहार में पैठ जमाना चाहते हैं तभी तो जब पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अश्विनी चौबे ने बिहार विधानसभा चुनाव बीजेपी के नेतृत्व में लड़ने की बात कह रहे थे. तब भी चिराग नीतीश के नेतृत्व को स्वीकारते दिखे. खैर देखना होगा कि चिराग की रणनीति चुनाव परिणाम में कितनी तब्दील हो पाती है.
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