Personal Finance: सैलरी से PF और पेंशन के लिए अंशदान की क्या है गणित? रिटायर होने पर कैसे मिलेगी बड़ी रकम? जानें Full डिटेल

हाल ही में EPFO ने एक बड़ा फैसला लिया है. ईपीएफओ ने अपने सात करोड़ सब्सक्राइबर्स को राहत देते हुए वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ब्याज दर 8.25% पर बरकरार रखी है.

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तस्वीर: न्यूज तक.

बृजेश उपाध्याय

05 Mar 2025 (अपडेटेड: 05 Mar 2025, 04:59 PM)

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नौकरी-पेशा वाले लोग बस इतना जानते हैं कि उनकी सैलरी से PF कटता है. बहुत सारे लोग ये भी नहीं जानते हैं कि एक हिस्सा पेंशन योगदान में भी जाता है. यानी 58 साल की उम्र के बाद आपको आजीवन पेंशन में देने की सरकार की गारंटी है. हालांकि ये पेंशन कर्मचारी के सैलरी से ही कटे पैसों से दी जाती है. इसे देने का भी एक फार्मूला है. 

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हाल ही में EPFO ने एक बड़ा फैसला लिया है. ईपीएफओ ने अपने सात करोड़ सब्सक्राइबर्स को राहत देते हुए वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ब्याज दर 8.25% पर बरकरार रखी है. इससे पहले फरवरी 2024 में ईपीएफओ ने ब्याज दर को 8.15% से बढ़ाकर 8.25% किया था. अब ये दर आगे भी जारी रहेगी. यानि निवेशकों को पहले की तरह ब्याज मिलता रहेगा. 

Personal Finance की इस सीरीज में हम आपको EPFO से जुड़ी पूरी बात बताने जा रहे हैं, जो आपके बड़े काम की है. इस सीरीज में हम सैलरी से पीएफ कटने की गणित, सैलरी से पेंशन का अंशदान और फिर पेंशन मिलने तक का पूरा कैलकुलेशन बताने जा रहे हैं.  

EPFO क्या है? 

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय के अधीन एक प्रमुख संगठन है, जो संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भविष्य निधि (Provident Fund), पेंशन (Pension) और बीमा (Insurance) जैसी सामाजिक सुरक्षा देता है. EPFO की स्थापना 1952 में हुई थी और इसका उद्देश्य कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है. ​

EPF में रिटर्न और ब्याज दरें

EPF पर ब्याज दर सरकार तय करती है. ये वित्तीय वर्ष के अनुसार बदल सकती है. नई दिल्ली में हाल ही में ईपीएफओ की 237वीं बैठक आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया ने की. बैठक में केंद्रीय बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज यानि सीबीटी ने 8.25% ब्याज दर की सिफारिश की. अब यह प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा जाएगा और सरकार की मंजूरी के बाद इसे आधिकारिक रूप से अधिसूचित किया जाएगा. उसके बाद ईपीएफओ अपने ग्राहकों के खातों में ब्याज जोड़ देगा. 

सैलरी से PF और पेंशन के अंशदान का ये है फार्मूला 

EPF उन्हीं संस्थानों पर लागू होता है जिनमें 20 या अधिक कर्मचारी काम कर रहे हों. अगर किसी छोटे संस्थान में कर्मचारी काम कर रहा है जहां EPF अनिवार्य नहीं है, तो वहां EPF में योगदान करने की कोई बाध्यता नहीं होती. अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी ₹15,000 से अधिक है और वह EPF में योगदान नहीं करना चाहता, तो कंपनी की मर्जी पर निर्भर करता है कि वह उसे EPF में शामिल करे या न करे. 

EPF स्कीम अनिवार्य रूप से उन कर्मचारियों पर लागू होती है जिनकी बेसिक सैलरी + DA 15,000 रुपए या उससे कम है. अगर कोई कर्मचारी पहले से EPF में सदस्य नहीं है और उसकी बेसिक सैलरी ₹15,000 से अधिक है, तो वह EPF में शामिल न होने का विकल्प चुन सकता है. इसके लिए उसे जॉइनिंग के समय फॉर्म 11 भरकर कंपनी को देना होगा. 

EPF के क्या हैं फायदे? 

ईपीएफ के तहत कटने वाले पैसे पर काफी अच्छा ब्याज मिलता है. ये रिटर्न सुरक्षित और टैक्स फ्री होता है. ईपीएफ पर मिलने वाला ब्याज चक्रवृद्धि होता है. इसकी गणना मासिक आधार पर होती है पर ये क्रेडिट होता है वार्षिक आधार पर. यानी ये साल के अंत में 31 मार्च को कर्मचारियों के PF अकाउंट में जुड़ता है. प्रत्येक महीने की समाप्ति पर, उस महीने के शुरुआती बैलेंस पर ब्याज जोड़ा जाता है और अगले महीने की गणना उसी नए बैलेंस के आधार पर होती है. ज्ञानेंद्र पिछले कई सालों से एक निजी कंपनी में नौकरी कर रहे हैं. इनकी उम्र 31 साल है. इनकी बेसिक सैलरी 30,000 रुपए है. ये अपनी सैलरी स्लिप में पीएम कंट्रीब्यूशन के कैलकुलेशन को समझ नहीं पा रहे हैं. तो हम ज्ञानेंद्र की सैलरी के आधार पर EPFO में पीएफ कंट्रीब्यूशन और पेंशन कंट्रीब्यूशन की पूरी गणित को समझते हैं. 

आइए समझते हैं इसके कैलकुलेशन को 

  • कर्मचारी (ज्ञानेंद्र) और नियोक्ता (कंपनी) का योगदान: कर्मचारी को अपनी बेसिक सैलरी+महंगाई भत्ता का 12% EPF में अंशदान करना होता है. नियोक्ता यानी कंपनी भी उसकी बेसिक सैलरी+महंगाई भत्ता का 12% का योगदान करती है.
  • बेसिक 30,000 सैलरी पर कैलकुलेशन: मान लीजिए किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 30,000 रुपए है. 
  • कर्मचारी का मासिक योगदान: 30,000 का 12% यानी 3600 रुपए. 
  • नियोक्ता का मासिक योगदान: नियोक्ता को दो भागों में योगदान करना होता है. पीएफ (EPF) और पेंशन स्कीम (EPS) में. 
  • पेंशन की गणना: पेंशन की गणना बेसिक सैलरी+ DA (महंगाई भत्ते) पर होती है. ये दोनों मिलाकर 15,000 से ज्यादा नहीं होना चाहिए. 
  • 15000 अधिकतम है लिमिट: चूंकि कर्मचारी की बेसिक सैलरी 30,000 है, फिर भी पेंशन में अंशदान की गणना 15,000 पर होगी. यानी पेंशन अंशदान 1250 रुपए अधिकम होगा. 
  • 15000 से कम बेसिक होने पर: 15000 रुपए से कम बेसिक और डीए होने पर नियोक्ता इसका 8.33% पेंशन में और बाकी EPF में अंशदान करता है. 
  • अब ज्ञानेंद्र की कंपनी की तरफ से उनके EPF में 2350 और पेंशन में 1250 रुपए जमा होंगे. 
  • ज्ञानेंद्र के EPF अकाउंट में मंथनी कुल 5950 रुपए जमा हुए. 
  • अब 30 अप्रैल को ब्याज की काउंटिंग होगी. इसपर 8.25% ब्याज मिलेगा. यानी 491 रुपए के करीब. रकम हो गई 6441 रुपए.
  • अब मई महीने पर  8.25% ब्याज की गणना 6441 रुपए पर होगी. इस तरह चक्रवृद्धि ब्याज मिलता रहेगा जो बजट सत्र के अंत में 31 मार्च को खाते में क्रेडिट होगा.  
  • ब्याज केवल कर्मचारी और नियोक्ता के EPF योगदान पर मिलता है, न कि पेंशन स्कीम (EPS) के हिस्से पर. 

EPF के ये भी फायदे 

  • EPF में इंश्योरेंस भी होता है. ये इंश्योरेंस कवर 7 लाख तक होता है. 
  • इसे EDLI (Employees' Deposit Linked Insurance) स्कीम कहा जाता है.
  • EPF में कर्मचारी का पेंशन योगदान भी जाता है. 
  • एक फार्मूले के तहत कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद मासिक पेंशन दी जाती है. 

निष्कर्ष: 

EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) कर्मचारियों के फ्यूचर को सेफ रखता है. चूंकि ये सरकार द्वारा ऑपरेट किया जाता है. इसलिए ये एकदम सुरक्षित और गारंटीड होता है. कर्मचारियों को नौकरी के समय किसी अनहोनी या नौकरी के बाद रिटायरमेंट पर भी ये सुरक्षा देता है. पर्सनल फाइनेंस की अगली सीरीज में हम आपको पेंशन स्कीम का फार्मूला और इसकी गणना, फिर इश्योरेंस के कैलकुलेशन के साथ तमाम सवालों के जवाब के साथ देंगे. ईपीएफ से जुड़ी और भी जानकारी देंगे जो आपके लिए बेहद जरूरी हैं. 

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