Gold Price Crash Alert: वैश्विक बाजारों में कमजोरी के संकेतों के बीच भारत में भी सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कई देशों पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ के बाद गोल्ड की कीमतों में यह असर देखा गया है. जिसके चलते देश में बीते एक सप्ताह में 24 कैरेट सोने की कीमत में 540 रुपये प्रति 10 ग्राम की कमी आई है. वहीं, 22 कैरेट सोने के दाम में 500 रुपये प्रति 10 ग्राम की गिरावट दर्ज की गई है.
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अमेरिकी विशेषज्ञों की मानें तो सोने के दाम में जल्द ही 38% तक की गिरावट देखने को मिल सकती है. अगर ऐसा हुआ तो भारत में 10 ग्राम सोने का भाव 56,000 रुपये से भी नीचे जा सकता है. खास बात ये कि बीते शुक्रवार, 4 अप्रैल को ही सोने की कीमत में 1,600 रुपये की कमी दर्ज की गई. तो क्या सोने में अब गिरावट का सिलसिला शुरू हो चुका है? आइए जानते हैं इसके पीछे की पूरी कहानी.
सोने में गिरावट का दौर शुरू?
पिछले कुछ समय से सोने की कीमतें आसमान छू रही थीं. निवेशकों के लिए यह फायदे का सौदा रहा, लेकिन आम लोगों के लिए सोना खरीदना मुश्किल होता जा रहा था. हाल ही में 93,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार करने के बाद अब सोने के भाव में कमी के संकेत मिलने लगे हैं. 4 अप्रैल को एक ही दिन में 1,600 रुपये की गिरावट ने सबका ध्यान खींचा है. क्या यह सिर्फ एक दिन की बात है या आने वाले दिनों में सोने के दाम और नीचे जाएंगे?
56,000 रुपये तक क्यों आ सकता है सोना?
अमेरिका की रिसर्च फर्म मॉर्निंगस्टार के रणनीतिकार जॉन मिल्स का कहना है कि वैश्विक बाजार में सोने की कीमत $3,100 प्रति औंस से घटकर $1,820 प्रति औंस तक जा सकती है. भारत में इसका असर ये होगा कि 24 कैरेट सोने का भाव 55,000-56,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है. वैश्विक स्तर पर 1 औंस में 28 ग्राम सोना होता है, और अगर 38-40% की गिरावट होती है तो यह अनुमान सही साबित हो सकता है.
सोने के दाम गिरने की बड़ी वजहें
सप्लाई में इजाफा: दुनियाभर में सोने का उत्पादन बढ़ गया है. ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में खनन तेज हुआ है और पुराना सोना भी बाजार में वापस आ रहा है. इससे सोने के भंडार 9% बढ़कर 2,16,265 टन हो गए हैं.
मांग में कमी: पिछले साल केंद्रीय बैंकों ने 1,045 टन सोना खरीदा था, लेकिन अब उनकी खरीदारी घटने के आसार हैं. एक सर्वे के मुताबिक, 71% बैंक अपनी सोने की खरीद को कम करेंगे या स्थिर रखेंगे.
बाजार में ठहराव: 2024 में सोने की खनन कंपनियों में विलय और अधिग्रहण 32% बढ़े हैं. इसके अलावा, गोल्ड-ETF में निवेश बढ़ने से भी कीमतों पर दबाव पड़ रहा है.
क्या सभी विशेषज्ञ सहमत हैं?
सोने की कीमतों को लेकर हर कोई एकमत नहीं है. जहां कुछ विशेषज्ञ गिरावट की बात कर रहे हैं, वहीं बैंक ऑफ अमेरिका का अनुमान है कि अगले दो साल में सोना $3,500 प्रति औंस तक जा सकता है. गोल्डमैन सैक्स ने भी साल के अंत तक $3,300 प्रति औंस का लक्ष्य रखा है. ऐसे में निवेशकों और खरीदारों के लिए यह समझना जरूरी है कि बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा.
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