अभी तक सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच चुकी हैं. निवेशकों के लिए ये शानदार दौर रहा है, लेकिन आम खरीदारों की जेब पर इसका सीधा असर पड़ा है. दिल्ली के सर्राफा बाजार में बुधवार को सोना 94,150 रुपये प्रति 10 ग्राम के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया. लेकिन अब एक बड़ी खबर सामने आ रही है कि जल्द ही सोने के दामों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिल सकती है.
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मॉर्निंग स्टार नाम की अमेरिकी फाइनेंशियल कंपनी के मार्केट एक्सपर्ट जॉन मिल्स का दावा है कि सोना अंतरराष्ट्रीय बाजार में 3,080 डॉलर प्रति औंस से घटकर 1,820 डॉलर प्रति औंस तक आ सकता है. यानी लगभग 38 फीसदी तक की गिरावट संभव है. अगर ऐसा हुआ तो गहनों की खरीदारी करने वालों को बड़ी राहत मिलेगी, लेकिन सोने में निवेश करने वालों को बड़ा झटका लग सकता है.
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क्यों आ सकती है गिरावट?
1. सप्लाई में जबरदस्त बढ़ोतरी
2024 की दूसरी तिमाही में सोने की खदानों का मुनाफा 950 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया, जो कई वर्षों का उच्चतम स्तर है. इसका नतीजा ये हुआ कि उत्पादन तेज हुआ और वैश्विक गोल्ड रिजर्व 9% बढ़कर 2,16,265 टन तक पहुंच गया. ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में खनन तेजी से बढ़ा है और पुराने सोने को रिसाइकिल करने से भी सप्लाई में इजाफा हुआ है. जब बाजार में सप्लाई ज्यादा होती है, तो कीमतों पर दबाव बनता है.
2. मांग में गिरावट के संकेत
2023 में बैंकों ने 1,045 टन सोना खरीदा था, लेकिन वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के हालिया सर्वे में 71% सेंट्रल बैंक यह मानते हैं कि वे अब सोना कम या उतना ही खरीदेंगे. इससे डिमांड में गिरावट आने की संभावना है. ऐतिहासिक रूप से देखा गया है कि वैश्विक संकट के समय सोना महंगा होता है, लेकिन हालात सुधरने पर उसकी कीमतों में गिरावट आती है.
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3. बाजार में ट्रेडिंग का बढ़ना
2024 में गोल्ड सेक्टर में डील्स 32% बढ़ चुके हैं. ETF में निवेश भी बढ़ा है, जो इस बात का संकेत है कि बाजार में सोने की ओवरबॉट स्थिति बन रही है. जब ट्रेडिंग अत्यधिक बढ़ जाती है, तो अक्सर उसके बाद कीमतें नीचे आती हैं.
सभी विशेषज्ञ नहीं मानते गिरावट की बात
हालांकि कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि सोने की कीमतें अभी और ऊपर जा सकती हैं. बैंक ऑफ अमेरिका का अनुमान है कि अगले दो सालों में सोना 3,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है. वहीं, गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि साल के अंत तक सोना 3,300 डॉलर तक जा सकता है.
निष्कर्ष
फिलहाल सोने के दाम ऊंचे बने हुए हैं और अमेरिकी टैरिफ नीति जैसे फैक्टर भी बाजार को प्रभावित कर रहे हैं. लेकिन अगर सप्लाई और मांग के मौजूदा ट्रेंड को देखें, तो यह तय है कि आने वाले समय में सोने की चमक थोड़ी फीकी पड़ सकती है.
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