Home Loan Updates: होम लोन, कार लोन ले रहे हैं तो आपको EMI की चिंता लाजिमी है. प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों अपनी जॉब और EMI को लेकर परेशान होते रहते हैं. कुछ ऐसी ही हालत राज की भी है. राज एक निजी कंपनी में काम करते हैं और उन्होंने 50 लाख रुपए का एक फ्लैट खरीदा है. उन्होंने 15 लाख का डाऊन पेमेंट किया है और 35 लाख रुपए लोन लिया है. इनकी मंथली EMI 30,000 रुपए है. इन्हें 20 साल तक EMI जमा करनी है.
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राज इस बात से परेशान हैं कि नौकरी चली गई तो EMI कैसे जमा होगी. वो ये भी कैलकुलेट कर रहे हैं कि 50 लाख रुपए के फ्लैट के लिए उन्हें 20 साल में 39 लाख के करीब ब्याज देना पड़ेगा. पर्सनल फाइनेंस की इस सीरीज में हम ऐसा फार्मूला बता रहे हैं जिससे एक लॉन्ग टर्म निवेश के जरिए राज न केवल अपने लोन के सालों को कम कर सकते हैं बल्कि जितना ब्याज वो बैंक को दे रहे हैं उसके समानान्तर उतने ही वक्त में उससे ज्यादा पैसे जोड़ सकते हैं.
EMI का 10-20% SIP में कर सकते हैं निवेश
राज यदि अपनी EMI का 20 फीसदी तक का अमाउंट SIP में निवेश करते हैं तो उन्हें 20 साल में 41 लाख तक का रिटर्न मिल सकता है. यानी 20 साल में 14,40,000 रुपए निवेश कर इन्हें 55 लाख से ज्यादा रिटर्न मिल सकता है. यानी एक तरफ राज 20 साल में अपने मकान के लिए 38 लाख का ब्याज दे रहे हैं वहीं EMI समय पर जमा करने के साथ वे 40 लाख से ज्यादा का ब्याज लेकर 55 लाख से ज्यादा का बड़ा फंड इकट्ठा कर सकते हैं.
कार खरीदने में भी यही फार्मूला कर सकते हैं अप्लाई
अक्सर लोग नसीहत देते हैं कार को लोन पर मत लीजिए. जब तक लोन चुकता होगा तब तक कार का रेट मार्केट में काफी कम हो जाएगा. जमीन और मकान की तुलना में कार का रेट बढ़ने की बजाय कम होता है. ऐसे में उसपर पे होने वाला ब्याज कार का दाम भी बढ़ाता है और कार बेचने पर रिटर्न भी आधा या उससे काफी कम मिलता है. ऐसे में कार के ब्याज के अगेंस्ट भी SIP कर उस नुकसान की भरपाई कर सकता है.
EMI के साल घटा सकते हैं
राज 10 साल में लगभ 14 लाख रुपए जोड़ सकते हैं. यदि वे चाहें तो लोन में इस पैसे को एक मुश्त जमा करके अपने EMI के साल घटा सकते हैं. बुरे वक्त में ये फंड इमर्जेंसी के तौर पर भी काम कर सकता है. हालांकि ये मार्केटआधारित रिटर्न है. इसलिए इसे इमर्जेंसी फंड की तरह मानना रिस्की भी हो सकता है. ऐसे में राज को 2 या 3 साल के EMI के बराबर इमर्जेंसी फंड की भी जरूरत होगी ताकि आपातकाल में वे इस फंड का उपयोग कर सकें जिससे घर या कार किस्त बाउंस न होने पाए.
इमरजेंसी फंड कैसे बनाएं?
राज ने ₹35 लाख का होम लोन 20 साल के लिए लिया है और उनकी EMI ₹30,000 प्रति माह है. अब सवाल यह है कि इमरजेंसी फंड कैसे बनाएं, ताकि किसी वित्तीय संकट में लोन की EMI प्रभावित न हो.
इमरजेंसी फंड कितना होना चाहिए?
- कम से कम 6 महीने की EMI + अन्य जरूरी खर्च.
- अगर नौकरी का रिस्क ज्यादा है, तो 12 महीने का फंड रखें.
- मासिक EMI = ₹30,000
- मासिक जरूरी खर्च (रेंट, ग्रोसरी, बिल आदि) = ₹20,000 (मान लेते हैं).
- कुल न्यूनतम खर्च = ₹50,000 प्रति माह.
- कम से कम 6 महीने का फंड = ₹50,000 × 6 = ₹3 लाख.
- बेहतर सुरक्षा के लिए 12 महीने का फंड = ₹6 लाख.
राज को कम से कम ₹3-6 लाख का इमरजेंसी फंड बनाना चाहिए.
इमरजेंसी फंड कहां रखें?
इमरजेंसी फंड ऐसे निवेश में होना चाहिए जो जल्दी निकाल सकें और रिस्क कम हो.
- 50% - हाई इंटरेस्ट सेविंग अकाउंट / FD.
- 30% - लिक्विड म्यूचुअल फंड (ब्याज ~6-7%).
- 20% - कैश या बैंक अकाउंट.
इस तरह राज का फंड सेफ रहेगा और जरूरत पड़ने पर तुरंत निकाल सकते हैं.
इमरजेंसी फंड बनाने की रणनीति
अगर अभी राज के पास इमरजेंसी फंड नहीं है, तो हर महीने ₹5,000-₹10,000 अलग से रखना चाहिए.
- अगर ₹10,000/माह बचाएं तो.
- 6 महीने में ₹60,000
- 1 साल में ₹1.2 लाख
- 3 साल में ₹3.6 लाख (सुरक्षित इमरजेंसी फंड तैयार).
एक्स्ट्रा इंकम और बोनस का सही इस्तेमाल
- सैलरी बढ़े या बोनस मिले तो 30-40% इमरजेंसी फंड में डालें.
- फालतू खर्च (महंगे गैजेट्स, घुमने-फिरने) कम करें जब तक फंड पूरा न हो जाए.
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