अक्सर लोग कार खरीदने से पहले केवल अपनी पसंद पर जाते हैं. डाऊन पेमेंट देकर EMI तय करा लेते हैं और सबकुछ भविष्य पर डाल देते हैं. जब उनका मंथली बजट खराब होने लगता है तो वही गाड़ी उन्हें चुभने लग जाती है. हर रोज कार और अपनी डिसीजन को कोसते हैं. कई बार तो उस गाड़ी से पिंड छुड़ाने के लिए उसे बेचने तक की सोचने लग जाते हैं.
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कार खरीदने से पहले कुछ फार्मूलों को लगा लिया तो कई बातें पानी की तरह साफ हो जाएंगी. फिर कुछ सवालों के जवाब ढूंढ लिए तो बेहतर डील पर जा सकते हैं. ऐसे डील करने पर न तो मंथली बजट पर कोई फर्क पड़ेगा और न ही गाड़ी का रख-रखाव आपको परेशान करेगा. कुल मिलाकर सपनों के कार पर पर्यटन का लुत्फ लेंगे और उसे समय-समय पर मेंटेन भी कर पाएंगे. जब कार बदलना चाहेंगे तो उसकी रीसेल वैल्यू भी आपको अच्छी मिल जाएगी.
सुरेश भी 'सपनों की कार' खरीदने की सोच रहे हैं. सुरेश की सैलरी 80 हजार रुपए महीने है. वे अब तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते आए हैं. अब वे कार से दफ्तर जाना चाहते हैं. यानी सुरेश की जरूरत दफ्तर जाने से लेकर आसपास फैमिली के साथ घूमने और महीने-दो महीने में शहर के बाहर ट्रैवलिंग पर जाना है. अब सवाल ये है कि सुरेश किस बजट की कार लें. सैलरी के साथ बजट और कार के मेंटिनेंस को कैसे कैलकुलेट करें? हम सुरेश को कार खरीदने का कुछ फॉर्मूला बता रहे हैं.
सैलरी के अनुपात में कार का बजट ऐसे तय करें
50% रूल
- आप अपनी सालाना सैलरी का 50% निकाल लें.
- इस पैसे के आसपास वाली कार खरीद सकते हैं.
- सुरेश की सालाना सैलरी ₹80,000 × 12 = ₹9,60,000.
- 50% रूल के मुताबिक सुरेश ₹4,80,000-5 लाख तक कार का बजट रख सकते हैं.
20/4/10 रूल
- इस नियम को कार का बजट तय करने के बाद लगाना चाहिए.
- इसमें डाऊन पेमेंट, लोन की अवधि और ईंधन/मेटेंनेंस खर्च तय करने में मदद मिलती है.
- रूल के मुताबिक सुरेश को सैलरी का अधिकतम 20% डाऊन पेमेंट रखना चाहिए.
- EMI अधिकतम 4 साल की रखनी चाहिए.
- सैलरी का 10 फीसदी ईंधन और कार के मेंटेनेंस पर खर्च करना चाहिए.
- सुरेश को 1 लाख रुपए डाऊन पेमेंट करना चाहिए.
- EMI 10% ब्याज, 4 साल के लिए): करीब ₹10,200 प्रति माह.
- मासिक मेंटेनेंस और पेट्रोल: ₹6,000-₹8,000 रखना चाहिए.
EMI की लिमिट कितनी हो? जानने के लिए लगाए ये फार्मूला
अब सवाल ये है कि आप अधिकतम EMI कितनी रख सकते हैं. इसके लिए आपको EMI
नई गाड़ी लें सा सेकेंड हैंड?
अब सवाल ये है कि गाड़ी नई लेनी चाहिए या सेकेंड हैंड? यदि आपको तुरंत कार बदलनी नहीं है. आपको कम से कम 10-12 साल तक कार चलानी है तो नई कार लेनी चाहिए. चूंकि नई कार की 5 साल में 50% तक वैल्यू कम हो जाती है. ऐसे में 5-6 साल या इससे कम समय में कार बदल लेने की सोच रहे हैं तो पुरानी गाड़ी लेना ज्यादा सही है. इसमें रीसेल वैल्यू पर नुकसान कम होता है.
पेट्रोल Vs डीजल Vs CNG Vs इलेक्ट्रिक
- CNG: सस्ता ईंधन, लेकिन परफॉर्मेंस कम
- इलेक्ट्रिक: कम ऑपरेटिंग कॉस्ट, लेकिन शुरुआती कीमत ज्यादा
- पेट्रोल: शुरुआती खर्च कम, लेकिन लंबे समय में महंगा.
- डीजल: पेट्रोल के मुकाबले महंगी पर शुरुआती खर्च कम, रीसेल वैल्यू और कम.
सुरेश को पहले ये तय करना चाहिए कि उन्हें हर रोज गाड़ी का यूज कितना है. ज्यादा हो तो उन्हें सीएनजी या ईवी में जाना चाहिए. यदि उनका उपयोग और बजट दोनों कम है और वे कार की रीसेल वैल्यू भी अच्छी चाहते हैं तो उन्हें पेट्रोल पर जाना चाहिए. वे 5 लाख के आसपास तक की कार ले सकते हैं. 1 लाख रुपए डाऊन पेमेंट और 4 लाख रुपए की ईएमआई बनेगी. या 5 लाख रुपए तक की अच्छी सेकेंड हैंड कार ले सकते हैं. इसमें फीचर ज्यादा मिल जाएंगें.
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