सिबिल स्कोर की भूमिका पर्सनल फाइनेंस में दिनो-दिन बढ़ती चली जा रही है. अब इसकी भूमिका रिश्तों के जुड़ने और टूटने तक पहुंच गई है. पिछले सीरीज में हमने आपको महाराष्ट्र की एक घटना बताई थी जिसमें दूल्हे का सिबिल स्कोर देख दूल्हन ने रिश्ता तोड़ दिया था. अब सिबिल स्कोर के नियमों में RBI ने कुछ बदलाव किया है. ये बदलाव गत महीनों में हुआ है और 1 जनवरी से ये लागू भी हो चुका है.
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Personal Finance की इस सीरीज में बतौर रिमाइंडर न केवल इन बदलावों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं बल्कि इनका लोगों के ऊपर पड़ने वाले इम्पैक्ट, फायदे और नुकसान सभी प्वाइंट्स पर विस्तार से जानकारी साझा करेंगे. इसके साथ ही हम आपको सिबिल स्कोर ठीक रखने के उपाय भी बताएंगे. सिबिल स्कोर खराब कैसे होता है उन प्वाइंट्स को भी बताएंगे.
RBI ने किया ये बदलाव
15 दिन में अपडेट होगा सिबिल स्कोर
- सिबिल स्कोर अब हर 15 दिन में अपडेट होगा.
- पहले ये एक महीने में अपडेट होता था.
- ऐसे में लोग एक लोन के बाद तुरंत दूसरे लोन के लिए अप्लाई कर देते थे.
- एक महीने के भीतर दूसरा लोन भी ले लेते थे.
- लोन देने वाले बैंक को क्रेडिट स्कोर डेट में पहला लोन दिखता ही नहीं था.
- ऐसे फ्रॉड से बचने के लिए आरबीआई ने नियम में संसोधन कर दिया है.
चुपके से कोई नहीं कर पाएगा CIBIL की क्वेरी
- सिबिल की हार्ड इन्क्वायरी कोई चुपके से नहीं कर पाएगा.
- पहले आपकी जानकारी का इस्तेमाल कर बैंक या संस्थान सिबिल स्कोर चेक कर लेते थे.
- चूंकि उन्हें ग्राहक को अच्छा लोन ऑफर करना था.
- बार-बार हार्ड इन्क्वायरी करने से सिबिल स्कोर पर असर पड़ता था.
- ये बात ग्राहक को पता नहीं चल पाती थी और सिबिल स्कोर गिरने लगता था.
- यदि कोई ऐसा करता है तो ग्राहक को नोटिफिकेशन और ईमेल पहुंच जाएगा.
- ग्राहक जान जाएगा कि कोई उसके क्रेडिट स्कोर की हार्ड इन्क्वायरी की जा रही है.
शिकायत का समाधान नहीं तो भरना होगा जुर्माना
- अक्सर किसी के क्रेडिट रिपोर्ट में फर्जी लोन दिखने लगते हैं.
- कई बार क्रेडिट स्कोर में गड़बड़ी होती है जिसे लेकर ग्राहक शिकायत करता है.
- अब यदि ऐसी शिकायत पर 30 दिन में कार्रवाई नहीं हुआ तो सिबिल को जुर्माना देना होगा.
- ये जुर्माना हर रोज 100 रुपए के हिसाब से देना होगा.
- यानी जब तक समस्या का समाधान नहीं तब तक देना होगा जुर्माना.
हार्ड और सॉफ्ट इन्क्वायरी क्या है?
CIBIL (या किसी भी क्रेडिट ब्यूरो) में हार्ड इन्क्वायरी (Hard Inquiry) और सॉफ्ट इन्क्वायरी (Soft Inquiry) दो तरह की क्रेडिट चेक करने की प्रक्रिया होती है. दोनों का इम्पैक्ट सिबिल स्कोर पर अलग-अलग होता है.
1. हार्ड इन्क्वायरी (Hard Inquiry) क्या होती है?
हार्ड इन्क्वायरी तब होती है जब कोई बैंक, NBFC (नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी) या अन्य वित्तीय संस्थान आपके क्रेडिट स्कोर की जांच करता है. जब आप कोई नया लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करते हैं. यह इन्क्वायरी CIBIL रिपोर्ट में दर्ज हो जाती है.
हार्ड इन्क्वायरी का प्रभाव
- यह आपके CIBIL स्कोर को प्रभावित कर सकती है.
- बार-बार हार्ड इन्क्वायरी करने से क्रेडिट स्कोर कम हो जाता है.
- अगर बहुत कम समय में आपने कई लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन किया है, तो लेंडर्स को शक हो सकता है कि आप आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं.
2. सॉफ्ट इन्क्वायरी (Soft Inquiry) क्या होती है?
सॉफ्ट इन्क्वायरी तब होती है जब आप खुद अपनी क्रेडिट रिपोर्ट या स्कोर चेक करते हैं. इसे चेक करने में कोई नुकसान नहीं है. इसे चेक करने से आप अपने सिबिल स्कोर की हालत और उसमें किसी गड़बड़ी को समय रहते भांप लेते हैं. कम सिबिल स्कोर होने पर आवेदन कर हार्डकोर इन्क्वयरी कराने से बच जाते हैं. इसे CIBIL की वेबसाइट या किसी फिनटेक ऐप (Paytm, KreditBee, BankBazaar) के जरिए ग्राहक चेक करते हैं.
इसे ऐसे समझिए
आपने ₹5 लाख का पर्सनल लोन लेने के लिए बैंक में अप्लाई किया. बैंक ने CIBIL स्कोर चेक किया, तो यह हार्ड इन्क्वायरी मानी जाएगी. आपने नया क्रेडिट कार्ड अप्लाई किया, और बैंक ने CIBIL रिपोर्ट चेक की, तो यह भी हार्ड इन्क्वायरी होगी. ऐसे में कम समय में कई बार लोन और कार्ड के लिए आपने अप्लाई कर दिया तो ये सभी इन्क्वायरी सिबिल में दर्ज होगी और सिबिल स्कोर पर निगेटिव इम्पैक्ट डालेगी. वहीं यदि आपने इसकी जानकारी के लिए इसे खुद से चेक किया तो ये सॉफ्ट इन्क्वायरी होगी.
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