सैलरी मैनेज करने के लिए नहीं लगाया ये फार्मूला तो हर वक्त यही कहेंगे- पैसे कहां जा रहे समझ नहीं आ रहा

हम आपको 'पर्सनल फाइनेंस के टिप्स' सीरीज में सबसे पहले सैलरी/आमदनी मैनेजमेंट को शुरूआत से बताने जा रहे हैं. यदि कोई युवा इस टिप्स को फॉलो कर लेता है तो प्रेजेंट और फ्यूचर दोनों में मौज होगी.

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तस्वीर: न्यूज तक.

बृजेश उपाध्याय

15 Jan 2025 (अपडेटेड: 15 Jan 2025, 02:20 PM)

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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50-30-20 वाला फार्मूला आपकी सैलरी को मैनेज करने का सबसे प्रभावी तरीका.

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शुरूआत में इन बातों का ध्यान दे दिया तो बाद में नहीं पड़ेगा पछताना.

वेंकटेश (26) की नौकरी एक आईटी कंपनी में लग गई है. शुरूआत में उन्हें इन हैंड 40 हजार रुपए मिल रहे हैं. वेंकटेश का पैसा बच नहीं पा रहा. महीने-दर-महीने बीतते जा रहे हैं पर वे समझ नहीं पा रहे हैं कि पैसे कहां जा रहे हैं. वे खर्च और सेविंग को मैनजमेंट नहीं कर रहे हैं. न उनके पास कोई निवेश है, न ही सेविंग और न ही आपातकालीन निधि है जिससे वे इमर्जेंसी का सामना कर सकें. 

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उनकी 40,000 रुपये की सैलरी को मैनेज करने के लिए हम बता रहे हैं 50-30-20 वाला फार्मूला. 50-30-20 नियम एक बेहतरीन तरीका है अपनी आय को कुशलतापूर्वक मैनेज करने का.  

हम आपको 'पर्सनल फाइनेंस के टिप्स'  सीरीज में सबसे पहले सैलरी/आमदनी मैनेजमेंट को शुरूआत से बताने जा रहे हैं. यदि कोई युवा इस टिप्स को फॉलो कर लेता है तो प्रेजेंट और फ्यूचर दोनों में मौज होगी. 

क्या है 50-30-20 रूल? 

ऐसे लागू करें 50-30-20 रूल 

50% जरूरी खर्च: 40,000 का 50% यानी 20,000 रुपये किराए, भोजन, बिल आदि जैसे जरूरी खर्चों पर खर्च किए जा सकते हैं. 30% अपनी इच्छाओं (मनोरंजन, खरीदारी आदि): 40,000 का 30% यानी 12,000 रुपये मनोरंजन, खरीदारी आदि पर खर्च किए जा सकते हैं. बचत और निवेश पर 20%: 40,000 का 20% यानी 8,000 रुपये हर महीने बचत और निवेश के लिए अलग रखे जा सकते हैं.

20 फीसदी हिस्से का ऐसे कर सकते हैं निवेश 

वेंकटेश अपनी सैलरी के 20 फीसदी हिस्से का निवेश म्यूचुअल फंड, SIP, स्टॉक मार्केट,राष्ट्रीय बचत पत्र, पोस्ट ऑफिस स्कीम, रियल एस्टेट, गोल्ड, डिजिटल गोल्ड,  पीपीएफ, इंश्योरेंस आदि में कर सकते हैं. 

अलग-अलग निवेश भी कर सकते हैं

समय-समय पर अपने निवेश योजना की समीक्षा करें. बाजार की स्थिति और अपने लक्ष्यों के अनुसार अपनी योजना में बदलाव कर सकते हैं. अपनी सैलरी के 20 फीसदी हिस्से का अलग-अलग निवेश कर सकते हैं. 

  • इमर्जेंसी फंड: 20% 
  • घर खरीदने वगैरह के लिए: 30% 
  • रिटायरमेंट के लिए: 50% (पीपीएफ, म्यूचुअल फंड, ईपीएफ आदि में लगा सकते हैं.)

डिस्क्लेमर: निवेश करने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. 

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