वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance Government of India) को सेबी (Securities and Exchange Board of India) के कर्मचारियों की एक चिट्ठी मिली है. बताया जा रहा है कि इस चिट्ठी में सेबी के करीब 500 कर्मचारियों के हस्ताक्षर हैं.ध्यान देने वाली बात है कि सेबी के कर्मचारियों की कुल संख्या एक हजार के करीब है. इस चिट्ठी में सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) का नाम लिए बिना शीर्ष नेतृत्व पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
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बिजनेस टुडे के मुताबिक उनके पास ये दस्तावेज है जिसमें सेबी के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ कर्मचारियों में भारी रोष और डर भी है. कर्मचारियों का आरोप है कि सेबी में माहौल खराब किया जा रहा है. चिट्ठी में ये भी कहा गया है कि सेबी में काम का वातावरण दमनकारी है. आरोप ये भी है कि वहां टॉक्सिक वर्क कल्चर को बढ़ावा दिया जा रहा है.
मीडिया रिपोर्टस की मानें तो 6 अगस्त को अधिकारियों ने वित्त मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर इस बात की जानकारी दी है. उनका कहना है कि (माधबी पुरी बुच के) कार्यकाल में बैठकों में लोगों के ऊपर चिल्लाना और सबके सामने उन्हें जलील करना आम बात हो गई है.
पत्र में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल
बिजनेस टुडे के मुताबिक पत्र में दमनकारी, तुच्छ, निराशाजनक, प्रतिगामी, तनावपूर्ण, अत्यधिक बोझिल, प्रतिशोधी, गैर-पेशेवर जैसे विशेषणों का इस्तेमाल सेबी के नेतृत्व (माधबी पुरी बुच) के लिए किया गया है. ये भी आरोप है कि नेतृत्व (माधबी बुच) का कर्मचारियों के प्रति बहुत ज्यादा अविश्वास है. कर्मचारियों के प्रति सम्मान भी नहीं है.
कर्मचारियों ने लेटर में माधबी बुच के खिलाफ लगाए गए आरोपों की झड़ी पर एक कविता से विराम लगाया है. कविता है- "बात हसरतों की नहीं, बात इज्जत की है, बात काम की नहीं, काम करने के तरीके की है, हमने नहीं चाहा था कि बात इस मोड़ पर आए, पर अब बात हमसे हमारा सेबी लेने की है".
पहले भी लगते रहे हैं आरोप
इससे पहले भी सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच पर आरोप लगते रहे हैं. करीब एक महीने से वे लगातार विवादों में हैं. सबसे पहले उनका नाम विवादों में तब आया था, जब अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने खुलासा किया था कि सेबी प्रमुख और उनके पति का अदाणी ग्रुप के साथ कमर्शियल रिलेशन है. हालांकि माधबी पुरी बुच और उनके पति ने हिंडनबर्ग के आरोपों को खारिज किया था.
आरोपों पर अदाणी ग्रुप ने भी किया था इनकार
वहीं अदाणी ग्रुप ने भी बयान जारी कर सेबी प्रमुख के साथ किसी तरह के कमर्शियल रिलेशन से इनकार किया था. यही नहीं कांग्रेस ने बुच पर ICICI बैंक से सैलरी लेने पर सवाल खड़ा किया था. उसके बाद जी ग्रुप के फाउंडर सुभाष चंद्रा ने भी बुच पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था.
रिपोर्ट: ईशा मालवी
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