Indian Rupee-Dollar: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत से भारतीय रुपए पर दबाव बढ़ गया है. Interbank Foreign Exchange Market में रुपया 21 पैसे गिरकर 84.30 के अपने ऑल टाइम लो पर पहुंच गया. यह गिरावट ट्रंप की जीत की अटकलों के साथ ही शुरू हुई थी, और चुनाव रिजल्ट के बाद डॉलर इंडेक्स में भी बढ़त दर्ज की गई. विदेशी निवेशकों की लगातार विड्रॉल से बाजार पर नेगेटिव असर पड़ा है, जिससे रुपया कमजोर होता जा रहा है.
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विदेशी निवेशकों के विड्रॉल और डॉलर की मजबूती
Foreign Exchange Traders का कहना है कि डॉलर की मजबूती और विदेशी पूंजी की निकासी ने रुपये पर दबाव बढ़ाया है. हाल ही में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने 6 नवंबर को 2,569.41 करोड़ रुपए के शेयर बेचे हैं. इसके साथ, बाजार को यह भी उम्मीद है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व इस सप्ताह ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. इससे रुपए पर और दबाव पड़ सकता है. 6 नवंबर को रुपए 84.23 पर खुला और 84.31 के स्तर पर बंद हुआ, जो इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है.
रुपए को राहत की उम्मीद कहां से?
शेयरखान बाय बीएनपी पारिबा के अनुसार, डॉलर की मजबूती और एफआईआई की निकासी से रुपए पर दबाव बना रहेगा. हालांकि, वैश्विक बाजारों में जोखिम उठाने की प्रवृत्ति बढ़ने और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से रुपया निचले स्तर पर समर्थन पा सकता है. इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हस्तक्षेप से भी रुपए को कुछ सहारा मिल सकता है. बाजार में अनुमान है कि रुपया 84.10 से 84.40 के बीच स्थिर हो सकता है.
घरेलू बाजार का हाल
अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों के विपरीत, घरेलू शेयर बाजार में सुधार दर्ज किया गया. सेंसेक्स में 901.50 अंकों की तेजी से यह 80,378.13 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 270.75 अंक चढ़कर 24,484.05 पर रहा. वहीं, डॉलर इंडेक्स 104.80 तक बढ़ा, और ब्रेंट क्रूड की कीमत 1.43% घटकर 74.45 डॉलर प्रति बैरल हो गई.
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