दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र सोमवार से शुरू हो गया है. यह रेखा गुप्ता की अगुवाई में बीजेपी सरकार का पहल बजट सत्र है. इस दौरान सीएम रेखा गुप्ता ने दिल्ली परिवहन निगम के कामकाज को लेकर सदन में CAG की रिपोर्ट पेश की. बता दें कि ये तीसरी रिपोर्ट है. इससे पहले मोहल्ला क्लीनिक और शराब घोटाले की रिपाेर्ट पटल पर रखी जा चुकी है.
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आधुनिकीकरण में हुई देरी
CAG की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021-22 में डीटीसी ने 660.37 करोड़ रुपये का बिजनेस किया. इस दौरान हर दिन औसतन 15.62 लाख यात्रियों ने बस में सफर किया. लेकिन, इसके बावजूद लगातार डीटीसी घाटे में रही. 2015-16 से 2021-22 के दौरान ऑडिट में सामने आया कि विभाग ने मुनाफा लाने के लिए कोई स्टडी नहीं की. वहीं, डीटीसी बसों की संख्या को घटाया गया. इनके आधुनिकीकरण में देरी हुई है. इसमें इलेक्ट्रिक बसों की खरीदे किए जाने और देरी से डिलीवरी होने पर फाइन न लगाना भी शामिल था. रिपोर्ट में बताया गया 2015-16 बसों का फ्लीट साइज 4344 था जो 2022-23 में घटकर 3937 हो गया. पर्याप्त फंड होने के बाद भी सिर्फ 300 नई इलेक्ट्रिक बसें जोड़ी गईं. पुरानी बसों के अनुपात में बढ़ोतरी होने के कारण ऑपरेशनल क्षमता प्रभावित हुई और यह अखिल भारतीय औसत से पीछे रह गई.
निर्धारित लक्ष्य से कम चली बसें
रिपोर्ट के अनुसार फ्लीट में 44.96% पुरानी बसों के बढ़ने से ब्रेकडाउन की घटनाओं में इजाफा हुआ. खराब रूट प्लानिंग के कारण इन 7 साल के ऑडिट के दौरान 14198.86 करोड़ रुपये के परिचालन का घाटा हुआ. ये छूटे हुए किलोमीटर और बार बार ब्रेकडाउन होने की वजह से और भी बढ़ गया. इस दौरान हर रोज निगम की बसें औसतन 180 से 201 किलोमीटर ही चली. ये निर्धारित लक्ष्य जो कि 189-200 किमी है से कम था. बार बार बसों के खराब होने और रूट प्लानिंग में खामी होने के कारण 2015-22 के बीच संभावित 668.60 करोड़ रुपये का राजस्व का घाटा हुआ. ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि किराया निर्धारण की स्वतंत्रता न होने के कारण DTC अपना परिचालन खर्च भी नहीं निकाला सका. 2009 के बाद से दिल्ली सरकार बस किराये में कोई बढ़ोतरी नहीं कर पाई. जिससे DTC की आय पर असर पड़ा.
कई पदों पर रही स्टाफ की कमी
DTC में मैनेजमेंट और आंतरिक नियंत्रण को लेकर भी भारी कमी देखी गई. स्टाफ में चालक, तकनीशियन और अन्य पदों की संख्या तय करने के लिए कोई नीति नहीं बनाई गई. जिससे इनकी भरी कमी रही. वहीं इस दौरान कंडक्टर्स की संख्या जरूरत से अधिक पाई गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि सीसीटीवी और ऑटोमेटिक फेयर सिस्टम लगाना भी कारगर साबित नहीं हुआ. अगर इनकी तुलना DIMTS की ओर से संचालित क्लस्टर बसों से करे, तो उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया.
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