Judge Yashwant Varma: जज कैश केस की असली कहानी किन सवालों में उलझी?

Yashwant Varma Cash Case: जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित आवास में लगी रहस्यमयी आग ने देशभर में हलचल मचा दी है. जले हुए नोटों के बोरे, वायरल ऑडियो, और विरोधाभासी बयान इस घटना को और पेचीदा बना रहे हैं. क्या यह महज दुर्घटना थी या किसी बड़ी साजिश की आहट?

NewsTak

विजय विद्रोही

24 Mar 2025 (अपडेटेड: 24 Mar 2025, 04:46 PM)

follow google news

जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित आवास में 14 मार्च की रात को लगी आग ने एक नए विवाद को जन्म दिया है. इस घटना में जले हुए नोटों के बोरे मिलने की खबर ने न केवल न्यायपालिका, बल्कि पूरे देश का ध्यान खींचा है. इस घटना का एक वीडियो और ऑडियो सामने आया है, जिसमें एक व्यक्ति को यह कहते सुना जा सकता है, "महात्मा गांधी में आग लग गई भाई." यह टिप्पणी नोटों में छपी महात्मा गांधी की तस्वीर की ओर इशारा करती है, लेकिन इसके पीछे की कहानी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.

Read more!

क्या हुआ था उस रात?

14 मार्च की रात करीब 11:45 बजे पुलिस को आग लगने की सूचना मिली. बताया जा रहा है कि यह आग जस्टिस वर्मा के घर के आउटहाउस या सर्वेंट क्वार्टर में लगी थी. पुलिस ने तुरंत दमकल विभाग को बुलाया, और आग पर काबू पाया गया. लेकिन अगली सुबह जो खुलासा हुआ, उसने सबको चौंका दिया. घटनास्थल से जले हुए नोटों के बोरे बरामद हुए, जिनमें से कुछ आधे जले थे, तो कुछ पूरी तरह नष्ट हो चुके थे. वायरल ऑडियो में सुनी गई आवाज ने इस घटना को और रहस्यमयी बना दिया.

जस्टिस वर्मा का दावा: साजिश का आरोप

जस्टिस वर्मा, जो उस समय अपनी पत्नी के साथ भोपाल में थे, ने इस घटना को एक सुनियोजित साजिश करार दिया है. उनका कहना है कि उनके घर में इतनी बड़ी राशि कभी नहीं थी और यह सब उन्हें बदनाम करने की कोशिश है. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर आग आउटहाउस में लगी थी, तो अगली सुबह तक सारा क्राइम सीन साफ क्यों कर दिया गया? जले हुए नोटों के बोरे कहां गए? जस्टिस वर्मा के मुताबिक, यह सब उनके खिलाफ रची गई साजिश का हिस्सा हो सकता है.

पुलिस और दमकल विभाग के बयान में विरोधाभास

दिल्ली पुलिस और दमकल विभाग के बयानों में भी उलझन देखने को मिली है. पहले एक दमकल अधिकारी ने टीवी चैनल को बताया कि घटनास्थल से नोट मिले थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपना बयान बदल दिया. दूसरी ओर, पुलिस का कहना है कि उन्होंने दमकल विभाग को सूचना दी थी, जबकि जस्टिस वर्मा का दावा है कि उनकी बेटी या पीए ने पुलिस को फोन किया था. इन विरोधाभासी बयानों ने मामले को और जटिल बना दिया है.

सवालों का अंतहीन सिलसिला

  • अगर जस्टिस वर्मा को आउटहाउस में इतनी बड़ी राशि होने की जानकारी थी, तो वे भोपाल से तुरंत दिल्ली क्यों नहीं लौटे? वे 15 मार्च की शाम को ही दिल्ली पहुंचे.
     
  • क्राइम सीन को अगली सुबह तक साफ करने का आदेश किसने दिया? क्या यह सबूतों को मिटाने की कोशिश थी?
     
  • आउटहाउस में नोटों का ढेर किसका था? क्या यह जस्टिस वर्मा का पैसा था या किसी और ने वहां रखा था?
     
  • अगर यह साजिश थी, तो क्या किसी ने जानबूझकर नोटों को वहां रखकर आग लगाई?

सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
 

इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल कार्रवाई की. कोर्ट ने तीन जजों की एक कमेटी गठित की है, जो इस घटना की गहन जांच करेगी. दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने भी सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें गंभीर जांच की मांग की गई है.

संसद में भी गूंजेगा मामला

सूत्रों के मुताबिक, संसद के अगले सत्र में यह मुद्दा जोर-शोर से उठेगा. विपक्षी दलों ने संकेत दिए हैं कि वे जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं. इसके लिए लोकसभा के 100 और राज्यसभा के 50 सांसदों के हस्ताक्षर चाहिए, और इस मामले की गंभीरता को देखते हुए यह संख्या आसानी से जुटाई जा सकती है.

यहां देखें वीडियो:
 

 

    follow google newsfollow whatsapp