राज ठाकरे बीजेपी के परमानेंट दोस्त नहीं बने तो दुश्मन भी नहीं रहे. एक दौर जरूर ऐसा आया जब मोदी के खिलाफ बोला करते थे. अब फुल सपोर्ट की राज-नीति करते हैं. ये भी अलग कहानी है कि उन्होंने बीजेपी से रिश्तेदारी करने में हर बार गलती की. जब विरोध किया तब बीजेपी की जीत बंपर हुई. जब साथ रहे तब बीजेपी को नुकसान हुआ. यही सब खेल करते-करते राज ठाकरे की राजनीति कभी चढ़ नहीं पाई. राज ठाकरे की राज-नीति में फिर खेल हो रहा है. फंस रहा है बेटा
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