महाराष्ट्र की राजनीति अस्थिरता के दौर से गुजर रही है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की तबीयत खराब होने के चलते उन्होंने अपनी सभी निर्धारित बैठकें रद्द कर दी हैं. उन्हें गले में संक्रमण और बुखार की शिकायत है. फिलहाल, शिंदे ठाणे में अपने आवास पर हैं और अपने आधिकारिक निवास 'वर्षा' नहीं लौटे हैं.
ADVERTISEMENT
शिंदे की खराब सेहत के चलते महायुति नेताओं की अहम बैठक स्थगित कर दी गई है. इस बैठक में गृह, शहरी विकास और राजस्व जैसे महत्वपूर्ण विभागों के बंटवारे पर चर्चा होनी थी. शिंदे की अनुपस्थिति के कारण फिलहाल इस मुद्दे पर कोई प्रगति नहीं हो सकी है. दूसरी ओर, अजित पवार दिल्ली के लिए रवाना हो रहे हैं, जहां वह बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करेंगे.
सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर गतिरोध
महाराष्ट्र में सत्ता बंटवारे को लेकर गतिरोध बना हुआ है. शिंदे गुट गृह और अन्य प्रमुख विभागों पर अपना दावा ठोंक रहा है. उनके नेताओं का कहना है कि उन्हें वही विभाग मिलने चाहिए जो पिछले ढाई वर्षों से उनके पास थे. वहीं, बीजेपी स्पष्ट संकेत दे चुकी है कि मुख्यमंत्री पद उसका होगा महायुति का नहीं.
शिंदे, फडणवीस और अजित पवार को दिल्ली तलब किया गया था. तीनों नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. इस बैठक के बाद तीनों मुंबई लौटे लेकिन महायुति की प्रस्तावित बैठक फिर भी नहीं हो पाई. शिंदे सीधे अपने पैतृक गांव सतारा चले गए और वहां दो दिन बिताए.
रात में बारटेंडर, दिन में टीचर: कौन हैं अवध ओझा, जिन्होंने राजनीति में ली धमाकेदार एंट्री?
स्वास्थ्य या राजनीतिक रणनीति?
शिंदे की तबीयत खराब होने का हवाला देकर बैठकों को रद्द करना महज एक बहाना है या राजनीतिक दबाव की रणनीति, यह चर्चा का विषय बना हुआ है. उनकी अनुपस्थिति के चलते महायुति की बैठक में देरी हो रही है, जिससे सत्ता बंटवारे पर सहमति बनने में बाधा आ रही है.
अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे जैसे वरिष्ठ नेता दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात करेंगे. यह बैठक महाराष्ट्र के सत्ता समीकरणों में नई दिशा तय कर सकती है.
क्या अगला सीएम संकट टलेगा?
बीजेपी ने मुख्यमंत्री शपथग्रहण समारोह की तारीख 5 दिसंबर तय कर दी है. यह इशारा है कि बीजेपी अपनी रणनीति पर कायम है. लेकिन शिंदे गुट का दावा है कि बिना अंतिम सहमति के कुछ भी तय नहीं होगा. इस घटनाक्रम से यह साफ हो गया है कि महाराष्ट्र की राजनीति में अभी कई पेंच बाकी हैं. आने वाले दिनों में देखना होगा कि शिंदे की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार और अजित पवार की दिल्ली यात्रा, सत्ता के इस जटिल खेल को किस दिशा में ले जाती है.
ADVERTISEMENT