तुम्बाड (Tumbbad) ने दोबारा रिलीज के बाद बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन करते हुए इतिहास रच दिया है. सोहम शाह की इस फिल्म ने ओरिजिनल रिलीज के मुकाबले दो गुना से भी ज्यादा कमाई कर ली है. जब फिल्म पहली बार रिलीज हुई थी, तब इसने लगभग 13 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया था. हालांकि, दोबारा रिलीज के बाद इसकी कमाई में बड़ी वृद्धि देखने को मिली है.
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तुम्बाड ने न केवल कमाई के मामले में रिकॉर्ड तोड़े हैं, बल्कि इसे दर्शकों से भी जबरदस्त सराहना मिल रही है. फिल्म की दूसरी रिलीज ने इसे नई पीढ़ी के दर्शकों के बीच भी लोकप्रिय बना दिया है, जो पहले शायद इस सिनेमाई उत्कृष्टता से अनजान थे.
तुम्बाड एक अद्भुत और विशिष्ट फिल्म है, जो 2018 में रिलीज़ हुई थी और यह अभी भी चर्चा में बनी हुई है. यह फिल्म भारतीय सिनेमा में अपनी अनोखी शैली, कथानक और गहरे प्रतीकों के कारण चर्चा का विषय बन गई है. तुम्बाड का शानदार प्रदर्शन यह साबित करता है कि एक अच्छी कहानी और बेहतरीन निर्देशन समय के साथ और भी बेहतर हो सकते हैं, और यह फिल्म आने वाले समय में भी लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाए रखेगी.
क्या है तुम्बाड की कहानी?
तुम्बाड एक हॉरर-थ्रिलर फिल्म है, जो पौराणिक कथाओं, लालच, और मानव स्वभाव की अंधेरी इच्छाओं के इर्द-गिर्द घूमती है. यह फिल्म 20वीं सदी के ब्रिटिश भारत में महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव तुम्बाड में छिपे खजाने की खोज की कहानी है. जहां एक प्राचीन देवता हस्तर की पूजा होती है. हस्तर देवताओं और मानवों के बीच की एक ऐसी कड़ी है, जिसने अपनी लालच की वजह से सोना और अनाज दोनों को पाने की कोशिश की थी, लेकिन देवताओं ने उसे अनाज से वंचित कर दिया.
कहानी के मुख्य किरदार विनायक राव (सोहम शाह) हैं, जो इस प्राचीन रहस्य को जानकर हस्तर के खजाने को पाने की कोशिश में लग जाते हैं. वह खजाने की खोज में हस्तर के श्रापित मंदिर तक पहुंचता है और एक ऐसी दौलत पाने की कोशिश करता है जो अंततः विनाशकारी साबित होती है. फिल्म की कहानी लालच और परिणामों पर आधारित है, जो यह दिखाती है कि लालच में पड़कर इंसान किस हद तक गिर सकता है और किस तरह अपने जीवन को तबाही की ओर ले जाता है.
फिल्म के सुर्खियों में रहने की वजह
विज़ुअल और सिनेमेटोग्राफी: तुम्बाड की विजुअल स्टाइल और सिनेमेटोग्राफी बेहद प्रभावशाली है. फिल्म के वातावरण को इस तरह से रचा गया है कि दर्शक खुद को उस अंधेरी और रहस्यमयी दुनिया में महसूस करते हैं. बारिश से भरी, गीली और धुंधली लोकेशन्स ने फिल्म की रहस्यात्मकता को और भी बढ़ा दिया है.
जरूरी मैसेज: फिल्म का मूल संदेश लालच और इसके परिणामों को दर्शाता है. इसे बड़े प्रभावी ढंग से पौराणिक कथाओं के साथ जोड़ा गया है.
हॉरर के नए आयाम: तुम्बाड ने भारतीय हॉरर फिल्मों में एक नया ट्रेंड सेट किया. यह न केवल भूत-प्रेत की कहानियों पर आधारित है, बल्कि इसमें मनोवैज्ञानिक डर और पौराणिक कथाओं के साथ आधुनिक जीवन के विषयों को मिलाया गया है.
यूनिक स्टोरी: फिल्म की कहानी कुछ ऐसी है जो दर्शकों को आखिर तक बांधे रखती है. यह कोई साधारण हॉरर फिल्म नहीं है, बल्कि इसमें गहरे संदेश और विचारधाराओं का समावेश है, जो इसे बाकी फिल्मों से अलग बनाता है.
तुम्बाड मेरा सपना था: निर्देशक राही अनिल बर्वे
फिल्म के निर्देशक राही अनिल बर्वे का कहना है कि तुम्बाड उनके लिए एक व्यक्तिगत सपना था, जिसे वह सालों से बनाना चाह रहे थे. उन्होंने कहा, "यह सिर्फ एक हॉरर फिल्म नहीं है. यह लालच के बारे में है, जो इंसान के जीवन को नष्ट कर देता है." बर्वे ने यह भी बताया कि उन्होंने फिल्म के हर छोटे-बड़े पहलू पर बहुत मेहनत की, ताकि यह फिल्म दर्शकों के लिए एक अनोखा अनुभव बन सके.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय पौराणिक कहानियों-किस्सों में अपार संभावनाएं हैं, जिन्हें आज की पीढ़ी के सामने लाना बेहद जरूरी है. तुम्बाड उनकी इसी सोच का नतीजा है.
बेहतरीन सिनेमैटोग्राफिक एक्सपीरिएंश
तुम्बाड सिर्फ एक हॉरर फिल्म नहीं, बल्कि यह मानवीय स्वभाव, लालच और उसकी विनाशकारी प्रवृत्तियों पर गहराई से विचार करती है. इसके निर्देशक ने इसे एक व्यक्तिगत सपना मानकर इतनी खूबसूरती से पेश किया कि यह भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर बन गई. फिल्म की रहस्यमयी और सांस्कृतिक गहराई ने इसे लंबे समय तक चर्चित बनाए रखा है.
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