Haryana Election 2024:  हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी को चौथी बार क्यों बदलनी पड़ी अपनी सीट, क्या है बीजेपी का प्लान?

ललित यादव

05 Sep 2024 (अपडेटेड: Sep 5 2024 4:52 PM)

Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए आज से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है. बीजेपी ने बुधवार को अपनी पहली लिस्ट जारी की है, जिसमें 67 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. इस सूची में सीएम नायब सैनी का भी टिकट बदला गया है.

Haryana Election 2024:

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Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए आज से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है. बीजेपी ने बुधवार को अपनी पहली लिस्ट जारी की है, जिसमें 67 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. इस सूची में सीएम नायब सिंह सैनी का भी टिकट बदला गया है. इससे पहले सीएम नायब सैनी करनाल से सांसद और अब विधायक हैं, लेकिन अब वह कुरुक्षेत्र की लाडवा सीट से चुनावी मैदान में हैं.  

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जाट वोटर्स के छिटकने के बाद बीजेपी ने ओबीसी के वोट बैंक को साधने के लिए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च 2024 में सीएम मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया. मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे के बाद खाली हुई करनाल सीट पर जून में उपचुनाव हुए, जिसमें नायब सिंह सैनी चुनाव जीतकर आए लेकिन अब उन्होंने 3 महीने बाद फिर से अपनी सीट बदल ली है. सीएम नायब सिंह सैनी पिछले 10 वर्षों में 4 सीटें बदल चुके हैं. 

नायब सिंह सैनी ने चौथी बार सीट बदली

सीएम नायब सिंह सैनी 2014 के विधानसभा चुनाव में नारायणगढ़ से जीतकर विधानसभा पहुंचे. इसके बाद 2019 में कुरुक्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीता. इसके बाद फिर से करनाल से विधानसभा का उपचुनाव जीतकर पहली बार हरियाणा के सीएम बने. अब एक बार फिर से वह अपनी सीट बदलकर लाडवा सीट से चुनावी मैदान में है.

नायब सिंह सैनी ने क्यों बदली सीट?

नायब सिंह सैनी के सीट बदले के पीछे जातीय समीकरण को माना जा रहा है. सैनी जाटलैंड के साथ-साथ बीसी वर्ग (Backward Class) में भी अच्छी पकड़ रखते हैं. लाडवा सीट से चुनाव लड़ने के पीछे की वजह उनके गृह क्षेत्र से जोड़कर भी देखी जा रही है. सैनी कुरुक्षेत्र जिले से आते हैं. उनकी यहां अच्छी पकड़ मानी जाती है. पिछले 3 चुनाव के बाद सैनी की यह घर वापसी बताई जा रही है. क्योंकि सैनी इसी क्षेत्र से आते हैं. वहीं विपक्ष इस सेफ सीट बता रहा है. 

रिस्क नहीं लेना चाहती बीजेपी

इसके पीछे एक वजह यह भी बताई जा रही है कि 2009 और 2014 में नायब सिंह सैनी ने नारायणगढ़ से विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन वह इस सीट से हार गए. इसके बाद 2014 में इस सीट से चुनाव जीतकर पहुंचे. वहीं 2019 में बीजेपी नारायणगढ़ सीट से हार गई थी. इसलिए कहा जा रहा है बीजेपी इस समय कोई रिस्क नहीं चाहती. 

लाडवा सीट के समीकरण

लाडवा सीट पर सैनी समाज के वोटर्स की संख्या अधिक खासी है. इससे पहले बीजेपी यहां से दो बार सैनी समाज से आने वाल डॉ. पवन को मैदान में उतार चुकी है, जिसमें सैनी को एक बार जीत हासिल हो चुकी है. बीजेपी इस बात से आश्वस्त रह सकती है कि इस बार सैनी समाज का झुकान सीएम नायब सिंह सैनी की तरफ रह सकता है. क्योंकि उनके समाज से आने वाला प्रदेश का मुखिया है. हालांकि यहां वोटों की सेंधमारी से इनकार नहीं किया जा सकता. 

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