हरियाणा चुनाव (Haryana assembly election 2024) में इस बार गुरमीत राम रहीम की चर्चा भी जोरों पर है. वजह हैं पूर्व जेलर सुनील सांगवान जो अब बीजेपी में हैं. कभी रोहतक के सुनारिया जेल में जेलर रहते हुए सुनील सांगवान (suneel sangwan) ने दुष्कर्म और हत्या के आरोपी गुरमीत राम रहीम (gurmeet ram raheem) को 6 बार पैरोल (Parole) दिलाया था. उस वक्त ये काफी चर्चा में आए थे. सुनील सांगवान को BJP ने दादरी सीट से विधानसभा का टिकट दिया है. इस सीट से पिछले चुनाव में इनके पिता हार गए थे.
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सुनील सांगवान गुरुग्राम के भौंडसी जेल अधीक्षक के पद से वीआरएस लेकर बीजेपी में शामिल हो गए. सांगवान ने रविवार को वीआरएस के लिए आवेदन दिया. इधर सांगवान के वीआरएस को स्वीकार करने में भी तत्परता दिखाई गई.
पिछले चुनाव में दादरी सीट से बबीता फोगाट थीं मैदान में
इसी सीट से पिछले चुनाव में बीजेपी ने रेसलर बबीता फोगाट (babita phogat) को मैदान में उतारा था. तब सुनील सांगवान के पिता सतपाल सांगवान (satpal sangwan) ने जननायक जनता पार्टी (JJP) के टिकट पर चुनाव लड़कर बबीता को टक्कर दिया था. हालांकि चुनाव दोनों ही नहीं जीत पाए. सतपाल सांगवान दूसरे नंबर पर और बबीता फोगाट तीसरे नंबर पर रहीं. यहां निर्दलीय विधायक सोमबीर ने बाजी मारी थी.
ध्यान देने वाली बात है कि इस सीट से बीजेपी नेता और रेसलर बबीता फोगाट ने भी प्रचार शुरू कर दिया था. अब बीजेपी ने यहां सुनील सांगवान को मौका दिया है.
रोहतक के सुनारिया जेल में 5 साल तक रहे सांगवान
सुनील सांगवान 22 साल से ज्यादा तक सरकारी सेवा में रहे. सुनील सांगवान ने जिस जेल से वर्ष 2022 में जेल उपाधीक्षक के पद से शुरूआत की थी उसी भौंडसी जेल से जेल अधीक्षक के पद पर रहते हुए स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ले ली है. द वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम दुष्कर्म और हत्या के आरोप में अपनी 2 महिला अनुयायियों के साथ सुनारिया जेल में थे. उस वक्त जेल अधीक्षक सुनील सांगवान ने ही उन्हें 6 बार पैरोल दिलाने के लिए चर्चा में रहे. ध्यान देने वाली बात है कि गुरमीत राम रहीम को अब तक 10 बार पैरोल मिल चुका है.
क्या कहता है हरियाणा जेल अधिनियम?
हरियाणा सदाचारी बंदी (अस्थायी रिहाई) अधिनियम 2022 जेल अधीक्षक को कैदियों को पैरोल या फरलो देने के लिए जिला मजिस्ट्रेट से सिफारिश करने का अधिकार देता है. हालांकि रिहाई का आदेश केवल सक्षम प्राधिकारी द्वारा ही किया जाता है. नियमों की मानें तो गुरमीत राम रहीम की पैरोल की सिफारिश उस वक्त जेलर रहे सुनील सांगवान ने ही की थी.
सुनील सांगवान के पिता हरियाणा सरकार में रह चुके हैं मंत्री
दादरी से बीजेपी के प्रत्याशी सुनील सांगवान के पिता सतपाल सांगवान ने 1996 में राजनीति में एंट्री ली थी. उन्होंने भी दूसर संचार विभाग के एसडीओ के पद से इस्तीफा दे दिया. वे पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर दादरी सीट से चुनाव लड़े और जीते.
वर्ष 2009 में हरियाणा जनहित कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और जीतने के बाद मंत्री बने. तब भूपिंदर सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री बने. वर्ष 2014 में कांग्रेस ने उन्हें दादरी सीट से टिकट दिया गया पर वे हार गए. वर्ष 2019 में कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो वे जननायक जनता पार्टी से टिकट लेकर फिर लड़े. इस बार निर्दलीय सोमबीर जीतकर आए. अब इस राजनैतिक विरासत को सुनील सांगवान दादरी सीट से ही आगे बढ़ाने जा रहे हैं.
जिसे मानते है राजनैतिक गुरु उनका परिवार अब BJP में
सतपाल सांगवान पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे. बंसीलाल का परिवार अब बीजेपी में है. बंसीलाल के परिवार से बीजेपी की राज्यसभा सांसद किरण चौधरी हैं. अब बंसीलाल के चेले सतपाल सांगवान के बेटे सुनील सांगवान ने भी बीजेपी की राह चुन ली है.
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