हरियाणा में 8 अक्तूबर 2024 को विधानसभा चुनाव के परिणाम जारी हुए थे और 17 अक्टूबर को हरियाणा सरकार का गठन हुआ था. इतने महीने बीत जाने के बाद भी कांग्रेस विधायक दल का नेता नहीं चुन पाई है. 20 साल में ऐसा पहली बार हो रहा कि हरियाणा को नेता प्रतिपक्ष के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. जिन नेताओं को लेकर पहले से चर्चा चल रही है, उनमें से अभी तक किसी नाम पर बात बनती नहीं दिख रही है.
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बीते हफ्ते दिल्ली में ऑल इंडिया कांग्रेस की बैठक हुई. माना जा रहा था कि इस बैठक में नेता विपक्ष का फैसला हो जाएगा, लेकिन अभी तक सस्पेंस बरकरार है. कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से नेता विपक्ष को लेकर कोई संकेत नहीं दिए गए. कांग्रेस हाईकमान की इस बैठक के बाद बीते हफ्ते में ही चंडीगढ़ में हरियाणा कांग्रेस कार्यालय में विधायक दल की बैठक बुलाई गई, लेकिन इस बैठक में भी नए प्रदेश अध्यक्ष और नेता विपक्ष का कोई फैसला नहीं हुआ. एक बार फिर से हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र बिना किसी नेता प्रतिपक्ष के जारी है.
तो क्या हरियाणा में हो सकते हैं बड़े बदलाव?
अब राहुल गांधी जिस तरह से कांग्रेस को मजबूत करने के प्लान पर हैं, उससे ये संकेत मिल रहा है कि अब हरियाणा में भी जल्द ही बड़ा बदलाव हो सकता है. चर्चा है कि हरियाणा कांग्रेस में अब पहले और दूसरे नंबर के चौधरियों पर गाज गिर सकती है. यानी भूपेंद्र हुड्डा और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान को हटाया जा सकता है.
जीती हुई बाजी हारने वाले राज्यों में एक्टिव हुए राहुल
जिन राज्यों में कांग्रेस जीती हुई चुनावी बाजी हारी है वहां राहुल गांधी कांग्रेस के संगठन को मजबूत करना चाहते हैं. वो राज्यों की कमान चुस्त-दुरुस्त करने की राह पर हैं. राहुल गांधी वहां के नामचीन नेताओं को इग्नोर कर रहे हैं और जमीनी स्तर के नेताओं को जिम्मेदारियां दे रहे हैं. इसी आधार पर महाराष्ट्र, ओड़िसा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्तियां की गई हैं. महाराष्ट्र और ओडिसा के हाल में हुए नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति इस ओर इशारा कर रही है कि अब कांग्रेस में नामचीन चेहरों की बजाय जमीनी स्तर पर सियासी संघर्ष करने वाले नेताओं को तवज्जो मिलेगी.
महाराष्ट्र के नए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल राजनीति के नामी चेहरे नहीं रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर पार्टी के लिए काम करते रहे हैं. ये जुझारु और संघर्ष के प्रतीक माने जाते हैं. ओडिशा के नए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भक्त चरण दास राजनीति का बड़ा चेहरा नहीं हैं, लेकिन उनके पास राजनीतिक अनुभव है. वे गुटबाजी, खेमेबाजी से अलग हटकर काम करते रहे हैं. वे हाईकमान के वफादार रहे हैं. तेलंगाना में भी ओबीसी वोटर्स को साधने के लिए ओबीसी नेता महेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है. बंगाल में बड़े चेहरे अधीरंजन चौधरी को दरकिनार कर शुभांकर सरकार को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी है. इन बदलावों को देखकर माना जा रहा है कि राहुल गांधी अब नए चेहरों को आगे कर रहे हैं. वो जमीनी स्तर पर काम करने वाले नेताओं को बागडोर सौंपने के प्लान पर हैं.
ऑल इंडिया कांग्रेस की बैठक में हो सकता है बड़ा फैसला
12 मार्च को दिल्ली में ऑल इंडिया कांग्रेस की बैठक है. जिन राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष कसौटी पर खरे नहीं उतरे हैं उन्हें बदलने की कोशिश की जा रही है. माना जा रहा है कि इस बैठक में हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान से प्रधानी लेने पर फैसला किया जा सकता है.
चौधरी उदयभान हार चुके हैं चुनाव
चौधरी उदयभान अबकी बार हुए विधानसभा चुनाव में खुद भी हार गए थे और कांग्रेस भी बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई. चौधरी उदयभान को ना तो अपने इलाके में जनाधार है और ना ही उनके पास व्यक्तिगत सियासी साख है. उदयभान भले ही दलित नेता के तौर पर जाने जाते हैं, लेकिन वो दलित वोटरों में पैठ नहीं बना पाए हैं. इनकी प्रधानी के समयकाल में कांग्रेस को कोई फायदा नहीं हुआ. न ही दलित वोटबैंक बढ़ा. ना कांग्रेस का संगठन बना, ना ही कांग्रेस सत्ता की कुर्सी तक पहुंच पाई और ना ही सूबे में गुटबाजी-खेमेबाजी रुकी.
ये केवल पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के रिमोट कंट्रोल के तौर पर ही जाने जाते रहे. अब हाईकमान के पास संदेश जा चुका है कि उदयभान का ना तो जनाधार है और ना ही कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के लिए वो कुछ नया कर पाए. इनके सहारे ना दलित वोटर कांग्रेस के पाले में आए और ना ही संगठन को कोई लाभ हुआ. कुल मिलाकर हाईकमान के लिए उदभान एक फेलियर प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं.
तो क्या उदयभान को हटाया जा सकता है?
चर्चा है कि 13 मार्च को उदयभान को हटाने का आदेश जारी हो सकता है. 4 राज्यों के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्तियों ने बता दिया है कि राहुल अब नामचीन नेताओं को नहीं बल्कि पार्टी के भीतर नए चेहरों पर दांव लगा रहे हैं. हरियाणा कांग्रेस में नेता विपक्ष पर सस्पेंस बना हुआ है, लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा है कि भूपेंद्र हुड्डा नेता विपक्ष के लिए हांगा यानी पूरी ताकत लगा रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ही बने रहें इसके लिए उन्होंने भी उदयभान का हाथ ढीला छोड़ दिया है. यानी भूपेंद्र हुड्डा की नजरें नेता विपक्ष बनने पर टिकी हैं. वो चौधरी उदयभान की कुर्सी के लिए मशक्कत करते नहीं दिख रहे हैं.
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