Haryana Vidhan Sabha Session Updates: हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र शुक्रवार से शुरू होने जा रहा है, लेकिन उससे पहले कांग्रेस पार्टी में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति को लेकर सस्पेंस बना हुआ है. नई दिल्ली में हरियाणा के नए प्रभारी बी. के. हरिप्रसाद की अध्यक्षता में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) और प्रदेश कांग्रेस नेताओं की बैठक में इस मुद्दे पर कोई ठोस फैसला नहीं हो सका. रिपोर्ट्स के अनुसार, बैठक में करीब 47 नेता शामिल हुए, जिनमें ज्यादातर विधायक थे. यह बैठक तीन घंटे से अधिक समय तक चली, लेकिन सीएलपी नेता के चयन पर कोई सहमति नहीं बन पाई.
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बैठक में क्या हुआ?
बैठक में संगठन को मजबूत करने और 'संविधान बचाओ पदयात्रा' जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि विधायकों ने नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति का मुद्दा जोर-शोर से उठाया. अधिकांश विधायक पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा को यह जिम्मेदारी सौंपने के पक्ष में रहे. कई दलित विधायकों ने चिंता जताई कि अगर हुड्डा को यह पद नहीं दिया गया तो चौटाला परिवार हरियाणा में फिर से मजबूत हो सकता है, जिसका असर दलित समुदाय पर पड़ सकता है.
वहीं, वरिष्ठ नेता कुमारी सैलजा ने संगठन की मजबूती के साथ-साथ नए प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) अध्यक्ष के चयन और जिम्मेदारियों के बंटवारे की बात रखी. खबर है कि बैठक से एक दिन पहले सैलजा ने हरिप्रसाद से अलग से मुलाकात की थी.
गहमागहमी और तनाव का माहौल
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में माहौल तनावपूर्ण रहा. कई नेताओं के बीच मतभेद सामने आए, जिसके बाद हरिप्रसाद ने सभी से अलग-अलग मुलाकात करने का फैसला लिया और बैठक को जल्दी खत्म कर दिया. हरिप्रसाद ने कहा कि यह बैठक मुख्य रूप से 'संविधान बचाओ आंदोलन' पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी, जिसका फैसला बेलागवी में हुई कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में लिया गया था.
हुड्डा और सैलजा गुटों की चुप्पी
बैठक में भूपिंदर सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा मौजूद थे, जो हरियाणा कांग्रेस में दो अलग-अलग गुटों का नेतृत्व करते हैं. हालांकि, दोनों ने बैठक में कोई सक्रिय हस्तक्षेप नहीं किया. एआईसीसी महासचिव रणदीप सुरजेवाला भी चुप रहे. पीसीसी प्रमुख उदय भान ने कहा कि सीएलपी नेता की नियुक्ति का मामला पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पास लंबित है और इसमें अब और देरी नहीं होनी चाहिए.
हरियाणा कांग्रेस में आगे क्या?
हरियाणा कांग्रेस में सीएलपी नेता की नियुक्ति का फैसला अब भी अधर में लटका हुआ है. विधानसभा सत्र से पहले इस मुद्दे पर सहमति बनाना पार्टी के लिए अहम चुनौती है. विधायकों की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि आलाकमान हुड्डा को यह जिम्मेदारी सौंपता है या कोई नया चेहरा सामने लाता है. आने वाले दिनों में होने वाली मुलाकातें और चर्चाएं इस सस्पेंस को खत्म कर सकती हैं.
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