Chitra Sarwara: हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के अंदरखाने में खूब खटपट चल रही है. पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा के बीच गुटबाजी की कहानियां सामने आईं और अब कांग्रेस ने अचानक चित्रा सरवारा को पार्टी से 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
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कंजी आंखों और खूबसूरत मुस्कान से सभी का ध्यान खींचने वाली चित्रा सरवारा हरियाणा की तेजी से उभरती हुई युवा नेत्री है. कभी बॉलीवॉल की बेहतरीन खिलाड़ी रहीं चित्रा ने राजनीति के मैदान में भी तेजी से कदम बढ़ाए हैं. शुरूआत अरविंद केजरीवाल के साथ की. आम आदमी पार्टी को हरियाणा में खड़ा करने में योगदान दिया लेकिन जल्द ही आप पार्टी से नाता तोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था.
चित्रा सरवारा ने अंबाला कैंट सीट से कांग्रेस से टिकट मांगा था. लेकिन कांग्रेस ने उनको टिकट नहीं दिया और अंबाला कैंट सीट से परविंदर पाल परी को चुनाव मैदान में उतार दिया, जिनका सामना 6 बार के विधायक और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता अनिल विज से होगा. चित्रा सरवारा इस बात से इतनी नाराज हो गई कि उन्होंने निर्दलीय ही पर्चा भरकर चुनावी मैदान में उतरने का फैसला कर लिया.
निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर प्रचार भी कर दिया शुरू
चित्रा सरवारा ने अब कांग्रेस से पूरी तरह से बगावत कर दी है. चित्रा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भर दिया है और उनको निर्वाचन आयोग से चुनाव चिन्ह मिला है सीटी. सीट के चुनाव चिन्ह को दिखाकर चित्रा सरवारा अंबाला कैंट सीट के हर मोहल्ले, गली, नुक्कड़ और चौराहों पर आम सभा कर रही हैं. सुबह से लेकर देर रात तक घर-घर वोट मांगने पहुंच रही हैं. उनकी रैलियों और आम सभा में भीड़ भी एकत्रित हो रही है. इन सभी गतिविधियों को देखने के बाद कांग्रेस ने चित्रा सरवारा को पार्टी की सदस्यता से 6 साल के लिए निष्कासित करने का फैसला किया.
पिछले चुनाव में भी चित्रा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ा था चुनाव
पिछले विधानसभा चुनाव में भी चित्रा सरवारा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था और बीजेपी उम्मीदवार अनिल विज को चुनाव जीतने में खास दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. तब भी चित्रा ने कांग्रेस से अंबाला सीट से टिकट मांगा था लेकिन तभी उनको टिकट नहीं मिला था. इसलिए इस बार भी चित्रा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपनी किस्मत को आजमा रही हैं.
परिवार से विरासत में मिली है चित्रा को राजनीति
आपको बता दें कि चित्रा सरवारा को राजनीति अपने परिवार से विरासत में मिली है. पूर्व मंत्री निर्मल सिंह की बेटी हैं चित्रा सरवारा. 18 मार्च 1975 जन्मी चित्रा के दादा चौधरी हजारा सिंह सरवारा एक अंग्रेजी शिक्षक थे और उनकी दादी चिंता देवी एक गृहिणी थीं. उनके पिता एक राजनेता हैं जिन्होंने 1970 के दशक में भारतीय युवा कांग्रेस, हरियाणा के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी. वे हरियाण की सरकार में मंत्री रह चुके हैं. चित्रा बॉलीवॉल की माहिर खिलाड़ी रह चुकी हैं. उनके पति भी गोल्फर के राष्ट्रीय स्तर के प्लेयर हैं.
2013 में वह अंबाला नगर निगम में पार्षद रह चुकी हैं.2022 से लेकर 2023 के बीच वे आम आदमी पार्टी की सक्रिय नेता रही हैं. उसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. उनको देखने के लिए इलाके में खासा भीड़ एकत्रित होती है. इस आधार पर चित्रा को उम्मीद है कि उनको अंबाला कैंट से चुनाव में जीत मिल सकती है लेकिन कांग्रेस ने उनके इस दावे पर कान नहीं रखे और उनको टिकट नहीं दिया, जिसकी वजह से उन्होंने कांग्रेस पार्टी से बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया.
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