हरियाणा की इस सीट पर एक निर्दलीय उम्मीदवार के कारण स्थापित पार्टियां क्यों हैं परेशान? जीत का किया ऐसा दावा

अभिषेक शर्मा

01 Oct 2024 (अपडेटेड: Oct 1 2024 3:18 PM)

Haryana Assembly Elections: हरियाणा का विधानसभा चुनाव अब दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुका है. सबसे ज्यादा चर्चा रानियां सीट की है, क्योंकि यहां पर सीएम नायब सैनी के ऊर्जा मंत्री रह चुके रणजीत चौटाला ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोक दी है.

Ranjit Chautala resigns Haryana Cabinet

Ranjit Chautala.(फाइल फोटो)

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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हरियाणा का विधानसभा चुनाव अब दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुका है.

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सबसे ज्यादा चर्चा रानियां सीट की है.

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सीएम नायब सैनी के ऊर्जा मंत्री रह चुके रणजीत चौटाला ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोक दी है.

Haryana Assembly Elections: हरियाणा का विधानसभा चुनाव अब दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुका है. सबसे ज्यादा चर्चा रानियां सीट की है, क्योंकि यहां पर सीएम नायब सैनी के ऊर्जा मंत्री रह चुके रणजीत चौटाला ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोक दी है. रणजीत चौटाला का साफ कहना है कि रानियां सीट पर वे पहले भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीते थे और इस बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उनकी ही जीत होगी.

अब सवाल उठता है कि आखिर रणजीत चौटाला इतने कांफिडेंस में कैसे हैं. वे बीजेपी सरकार में ऊर्जा मंत्री रह चुके हैं लेकिन इसके बाद भी उन्होंने बीजेपी से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ना क्यों मंजूर किया. बीजेपी ने उनका टिकट काटा, उनको पार्टी से बाहर किया लेकिन इन सबके बाद भी रणजीत चौटाला को उनके इरादों से बीजेपी क्यों नहीं हिला सकी और कैसे वह बीजेपी, इनेलो, कांग्रेस, जेजेपी सहित सभी स्थापित पार्टियों पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं. इसका खुलासा हुआ एक इंटरव्यू में जो उन्होंने एक बड़े मीडिया हाउस को दिया है.

दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में रणजीत चौटाला बताते हैं कि रानियां उनकी परंपरागत सीट है. यहां उन्होंने लोगों के लिए व्यक्तिगत स्तर पर काम किए हैं. 30 गांवों तक घग्घर नदी का पानी पहुंचा चुके हैं जो काफी मुश्किल काम था. यह काम उन्होंने व्यक्तिगत स्तर पर किया. घग्घर नदी पर दो पुल बनवाए जो 14 और 11 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुए हैं. गांव की गलियों में सड़कें, कम्यूनिटी सेंटर, खेतों तक कच्चे रास्ते जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाई हैं. इस वजह से यहां के मतदाता भी पार्टी को नहीं व्यक्तिगत स्तर पर जाकर कैंडिडेट को करते हैं.

रानियां के लोगों के साथ इतना पुराने साल का संबंध हैं. निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जब पिछला चुनाव जीते थे तो उसके बाद बीजेपी में शामिल होने के लिए भी रानियां के लोगों से सलाह ली थी और आगे जरूरत के हिसाब से निर्णय लेंगे लेकिन सलाह रानियां के लोग ही देंगे. जाहिर है कि रानियां के मतदाताओं से जो उन्होंने अपना व्यक्तिगत रिश्त कायम किया है, उसी की दम पर रणजीत चौटाला स्थापित पार्टियों के नेताओं के लिए बड़ी मुसीबत बनकर चुनावी मैदान में खड़े हैं.

बीजेपी को होगा हालोपा से गठबंधन का नुकसान, इनेलो को पर्दे के पीछे से मदद

रणजीत चौटाला इस इंटरव्यू में कहते हैं कि बीजेपी को गोपाल कांडा की पार्टी हालोपा से गठबंधन करने का नुकसान होगा. गोपाल कांडा की छवि गीतिका सुसाइड केस की वजह से ठीक नहीं है और इसका असर बीजेपी के साथ उनके गठबंधन पर भी पड़ेगा. इनेलो के साथ अंडरग्राउंड समझौता कर चुके हैं. तीन सीटें उनके मन की देने के बाद कांग्रेस की भूपेंद्र हुड्‌डा के वोट काटने इनेलो के उम्मीदवार खड़े कराए जा रहे हैं. बाकी इनेलो की भी मदद करके बीजेपी को फायदा नहीं होगा. कुल मिलाकर इस इंटरव्यू से जाहिर होता है कि रणजीत चौटाला को बीजेपी से टिकट नहीं मिलने की टीस है और वे रानियां सीट पर अच्छे मतों से जीत दर्ज करके बीजेपी को करारा जवाब भी देना चाहते हैं.

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