Haryana Election Result Analysis: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों के परिणाम सामने आ चुके हैं. भाजपा (BJP) ने हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की तैयारी कर ली है. दूसरी ओर, कांग्रेस इन चुनावों में जीत हासिल करने में विफल रही. वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई और क्लस्टर हेड मिलिंद खांडेकर ने हरियाणा के चुनाव परिणामों पर विश्लेषण किया. इसमें कांग्रेस की हार के पीछे की मुख्य कारणों पर चर्चा की गई.
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सुनील कानुगोलू पर उठ रहे सवाल
राशिद किदवई ने अपने लेख में हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार के पीछे रणनीतिकार सुनील कानुगोलू को जिम्मेदार ठहराया है. सुनील राहुल गांधी के मुख्य चुनावी सलाहकार माने जाते हैं. उनपर आरोप है कि उन्होंने चुनावी सर्वे और चुनावी रणनीतियों के आधार पर टिकटों का बंटवारा किया, जो पूरी तरह गलत साबित हुआ.
सुनील कानुगोलू पहले भाजपा की रणनीति का हिस्सा रहे हैं. लेकिन 2018-2019 के दौरान उन्होंने कांग्रेस का रुख किया. कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा भी दिया गया. हरियाणा चुनाव से पहले उन्होंने सर्वे के आधार पर उम्मीदवारों का चयन किया और कांग्रेस को विश्वास दिलाया कि वे बड़ी जीत हासिल करेंगे, लेकिन नतीजे इसके विपरीत आए.
फ्लॉप साबित हुई चुनावी रणनीति
वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई ने बताया कि हरियाणा चुनाव में कांग्रेस के कई कैंडिडेट का चयन सुनील कानुगोलू द्वारा कराए गए सर्वे के आधार पर हुआ. इन सर्वों में प्रत्याशियों की पॉपुलेरिटी और जीत की संभावनाओं का विश्लेषण किया गया था. सर्वे में उन्हें "ए प्लस" श्रेणी में रखा गया, जिसे देखकर कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें टिकट दिया. हालांकि, चुनाव परिणामों में यह रणनीति बुरी तरह फ्लॉप साबित हुई. जिन उम्मीदवारों को सर्वे में जीत का दावेदार बताया गया था वे बुरी तरह हार गए.
कांग्रेस की रणनीति को लेकर आलोचना इसलिए भी हो रही है क्योंकि पार्टी का आत्मविश्वास सांतवे आसमान पर था. सर्वे के आधार पर कांग्रेस ने मान लिया था कि वे 60 से ज्यादा सीटें जीतेंगे. लेकिन असल में वे काफी पीछे रह गए. इसका एक बड़ा कारण यह था कि सर्वे में दी गई जानकारी गलत साबित हुई. यह कांग्रेस के लिए एक बड़ी समस्या बन गई.
कांग्रेस की पुरानी चुनावी प्रक्रियाएं
राशिद किदवई ने कांग्रेस की पुरानी चुनावी प्रक्रियाओं पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि पहले कांग्रेस में जिला कांग्रेस कमेटी उम्मीदवारों के नामों का चयन करती थी. फिर उन्हें प्रदेश और केंद्रीय चुनाव समिति द्वारा अप्रूव किया जाता था. लेकिन इस बार हरियाणा में ऐसा नहीं हुआ. सुनील कानुगोलू के सर्वे के आधार पर टिकट बांटे गए और नतीजों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा.
राशिद किदवई ने बताया कि कांग्रेस के आंतरिक सर्वे में प्रत्याशियों की स्थिति की रैंकिंग की गई थी. लेकिन जो प्रत्याशी सर्वेक्षण में "टॉप" पर थे, वे चुनाव हार गए. इसका सीधा संकेत यह है कि या तो सर्वे गलत थे, या फिर उन पर भरोसा करना कांग्रेस की सबसे बड़ी भूल थी.
भाजपा का बेहतरीन प्रदर्शन
हरियाणा में भाजपा का लगातार तीसरी बार सरकार बनाना यह दर्शाता है कि उनकी चुनावी रणनीति मजबूत और प्रभावी थी. कांग्रेस के पास भाजपा का मुकाबला करने की कोई ठोस योजना नहीं थी. भाजपा के पास नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसे नेता हैं. जो राज्यों के नेताओं को सशक्त बनाते हैं और रणनीतिक रूप से चुनाव जीतने में माहिर हैं. इसके विपरीत कांग्रेस का नेतृत्व अब भी असमंजस में दिखाई देता है, और उनके आंतरिक बदलावों की कमी चुनाव में हार का कारण बन रही है.
'पुरानी गलती से सीखने में असमर्थ कांग्रेस'
राशिद किदवई ने कहा कि कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती उभरी है कि वे अपनी पुरानी गलतियों से सीखने में असमर्थ रही है. हर चुनाव के बाद समीक्षा की जाती है, लेकिन उस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते. इससे पार्टी की रणनीति कमजोर हो जाती है और भाजपा जैसे मजबूत दल का मुकाबला करना मुश्किल हो जाता है.
कांग्रेस को अब अपने रणनीतिकारों और चुनावी प्रक्रियाओं की समीक्षा करनी होगी. सुनील कानुगोलू जैसे सलाहकारों पर ज्यादा भरोसा करना, बिना जमीनी हकीकत को समझे चुनाव लड़ना पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है. हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार इसका एक प्रमुख उदाहरण है.
यहां आप पूरा वीडियो देख और सुन सकते हैं.
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