ट्रंप और नेतन्याहू के पीछे से मिस्र पहुंचे फ्रांस के राष्ट्रपति!

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू जब अमेरिका दौरे पर है तो फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मिस्र पहुंचे हैं. खबर तो उनके गाजा पट्टी तक जाने की भी है. गाजा पट्टी जिसे लेकर फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप बड़ा ऐलान कर चुके है. उसका यूरोप और मध्य पूर्व बार-बार विरोध कर रहा है. इस पूरे विवाद में ट्रंप जहां अपनी योजना को मंजूरी दे चुके है. वहीं अरब देश अपनी योजना को फाइनल कर चुके है. जिसे फ्रांस ने भी समर्थन दिया है.

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सांची त्यागी

09 Apr 2025 (अपडेटेड: 09 Apr 2025, 04:27 PM)

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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गाजा पट्टी से लोगों को निकाल बाहर कर पुनर्निमाण करेंगे ट्रंप

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ट्रंप के गाजा पट्टी पर पुनर्निमाण के खिलाफ है यूरोप

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अरब देशों ने बनाई ट्रंप से अलग पुनर्निमाण योजना

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क्या है ट्रंप की गाजा पट्टी पर पुनर्निमाण योजना ?

गाजा पट्टी जो अब तक युद्ध और हमलों की चपेट में हैं. उस गाजा पट्टी पर अमेरिका और इजरयाल ने मिलकर सब फाइनल कर लिया. बड़ी बात ये है कि गाजा पट्टी के पुनर्निमाण को लेकर जब सब तय हो रहा था तब यूराप और मिडिल ईस्ट से इसपर विचार तक नहीं लिए गए. ना कोई बैठक हुई ना किसी से कुछ पूछा गया बस फैसला हुआ और आदेश जारी हो गया. और फिर ट्रंप विरोधी खुलकर सामने आ गए. अब हालात ये है कि इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू जब अमेरिका दौरे पर है तो फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मिस्र पहुंचें. खबर तो उनके गाजा पट्टी तक जाने की भी है. वही गाजा पट्टी जिसे लेकर पिछले महीने ही ट्रंप बड़ा ऐलान कर चुके है.

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दुनिया में लगातार यूरोप की छवि खराब हो रही है. और ये तब और पक्का हो गया जब ट्रंप खुलकर यूरोप के बिना फैसला कर रहे थे. फरवरी की शुरूआत के साथ ही नेतन्याहू अमेरिका दौरे पर पहुंचे और ऐलान हुआ की अमेरिका गाजा पट्टी को टेकओवर करेगा. ट्रंप ने गाजा पट्टी को अमेरिकी नियंत्रण में लेने, वहां की फिलिस्तीनी आबादी को स्थायी रूप से मिस्र और जॉर्डन जैसे देशों में स्थानांतरित करने, और क्षेत्र को "मध्य पूर्व का रिवेरा" के रूप में पुनर्निमाण करने की योजना प्रस्तावित की है. और इसके तुरंत बाद यूरोप ने ट्रंप के इस प्लान पर अपनी असहमति जता दी थी.


ट्रंप के गाजा पट्टी पर पुनर्निमाण के खिलाफ है यूरोप


फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, स्पेन और आयरलैंड जैसे देशों ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है. खासकर जबरन विस्थापन को लेकर, जो जेनेवा संधियों के खिलाफ है. यूरोपीय नेताओं ने दो-राज्य समाधान पर जोर दिया है और गाजा को फिलिस्तीनी राज्य के अभिन्न अंग के रूप में देखा है न कि अमेरिका के कब्जे के लिए.


फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी ने किया विरोध

खुद फ्रांस ने ट्रंप के इस फैसले पर कहा है कि गाजा का भविष्य "किसी तीसरे राज्य के नियंत्रण" में नहीं, बल्कि "फिलिस्तीनी प्राधिकरण के तहत एक फिलिस्तीनी राज्य" के ढांचे में होना चाहिए. जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने तो चेतावनी दी है कि फिलिस्तीनियों का विस्थापन "नया दुख और नई नफरत" पैदा करेगा. ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने भी कहा है कि गाजा के लोगों को "घर लौटने और पुनर्निर्माण करने की अनुमति" दी जानी चाहिए. यूरोप से आई ये प्रतिक्रिया यूरोप की एकजुटता और ट्रंप की योजना के प्रति नैतिक विरोध को दर्शा रहा था. और अब रही सही कसर इस मुलाकात ने पूरी कर दी.


मैक्रों ने अपने मिस्र दौरे के दौरान दोहराया कि फ्रांस गाजा पर जारी इजरायली हमलों और युद्ध विराम के उल्लंघन की निंदा करता है” और बिना देरी के युद्ध विराम वार्ता को फिर से शुरू करने का आह्वान करता है. फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने मिस्र में अपन समकक्ष के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा,

"हम गाजा सहित किसी भी व्यक्ति को उसकी भूमि से जबरन हटाने, साथ ही गाजा पट्टी या पश्चिमी तट पर कब्ज़ा करने के खिलाफ़ हैं. ऐसे कदम अंतर्राष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन हैं और इस क्षेत्र की संपूर्ण सुरक्षा के लिए सीधा ख़तरा हैं- जिसमें इज़राइल भी शामिल है।"

मैक्रों ने गाजा के पुनर्निर्माण के लिए 4 मार्च को अरब देशों द्वारा प्रस्तावित योजना का समर्थन किया है जो ट्रंप के प्रस्ताव से अलग है. यह योजना अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस प्रस्ताव के जवाब में आई है, जिसमें गाजा पर अमेरिकी नियंत्रण और वहां की फिलिस्तीनी आबादी को मिस्र व जॉर्डन जैसे देशों में विस्थापित करने की बात कही गई थी. अरब देशों की योजना ट्रंप के इस दृष्टिकोण को खारिज करते हुए गाजा के पुनर्निर्माण और स्थायित्व पर केंद्रित है.

अरब देशों ने बनाई अलग पुनर्निमाण योजना


प्रस्तावित योजना में अरब देशों ने गाजा पट्टी को फिर से रहने योग्य बनाने के लिए एक व्यापक पुनर्निर्माण योजना बनाई है. इसमें युद्ध से तबाह हुए बुनियादी ढांचे, जैसे घर, स्कूल, अस्पताल और सड़कें, को ठीक करना शामिल है. मिस्र के नेतृत्व में इस योजना को 3 से 5 साल में लागू करने की रूपरेखा है. जिसमें पहले चरण में मलबा हटाने और अस्थायी आवास की व्यवस्था पर ध्यान दिया जाएगा. अरब लीग ने इस योजना के लिए 53 अरब डॉलर के मेगा-प्लान को मंजूरी दी है. इसमें अरब देशों (जैसे सऊदी अरब, यूएई, कतर), यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र से वित्तीय सहयोग की अपेक्षा की गई है.
मिस्र में हो रहा सम्मेलन इसी प्रस्ताव को और पक्का करने के लिए भी बुलाया गया है. खास बात ये है कि इस योजना में स्पष्ट रूप से गाजा से फिलिस्तीनियों के जबरन विस्थापन को खारिज किया गया है. इसके बजाय, उन्हें गाजा में ही रहने और पुनर्वास करने का अधिकार देने पर जोर दिया गया है. जो ट्रंप के प्रस्ताव से उलट है.


क्या है ट्रंप की योजना ?


ट्रंप ने गाजा पट्टी को "खरीदने" या इसे अमेरिकी नियंत्रण में लेने की बात कही है. उनका तर्क है कि गाजा एक "रणनीतिक संपत्ति" है जिसे अमेरिका अपने प्रभाव क्षेत्र में शामिल कर सकता है. योजना में गाजा की फिलिस्तीनी आबादी को अस्थायी या स्थायी रूप से अन्य देशों में स्थानांतरित किया जाएगा. ट्रंप का मानना है कि यह विस्थापन गाजा को "साफ करने" और वहां नए विकास के लिए जगह बनाने में मदद करेगा. ट्रंप गाजा को एक आर्थिक या पर्यटन केंद्र के रूप में पुनर्जनन करना चाहते हैं. इसमें रिसॉर्ट्स, होटल और अन्य व्यावसायिक परियोजनाओं का निर्माण शामिल है, जिसे वे "मध्य पूर्व का लास वेगास" या "रिवेरा" कहते हैं.


ट्रंप की योजना में इज़रायल एक प्रमुख साझेदार है. इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस प्रस्ताव को "क्रांतिकारी" करार दिया है और इसे समर्थन भी दिया है. वही एक्सपर्ट का मानना है यह योजना इज़रायल को गाजा पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण देने का एक तरीका है, जिसमें अमेरिका औपचारिक भूमिका होगी.

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