ISRO ने रचा नया कीर्तिमान, बना डाला Next Generation Rocket!

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17 May 2024 (अपडेटेड: May 18 2024 5:51 PM)

ISRO ने देश के लिए एक ताकतवर रॉकेट तैयार कर लिया है, जिसे नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्च व्हीकल या NGLV नाम दिया गया है. ये हैवी लिफ्ट रॉकेट दशकों से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की रीढ़ की हड्डी रहे PSLV रॉकेट की जगह लेगा.

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ISRO's NGLV: अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत एक नया मुकाम हासिल करने की राह पर है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO ने देश के लिए एक ताकतवर रॉकेट को तैयार कर लिया है, जिसे नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्च व्हीकल या NGLV नाम दिया गया है. ये हैवी लिफ्ट रॉकेट दशकों से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की रीढ़ की हड्डी रहे PSLV रॉकेट की जगह लेगा. NGLV रॉकेट तीन स्टेज वाला होगा और इसकी खासियत है कि ये 10 टन वजन तक के उपग्रहों को जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट या GTO तक पहुंचा सकेगा. इसका मतलब है कि अब ISRO पहले से कहीं ज्यादा भारी और ताकतवर सैटेलाइट अंतरिक्ष की यात्रा पर भेज सकेगा. ये सैटेलाइट न सिर्फ पृथ्वी की तस्वीरें भेजने का काम करेंगे, बल्कि दूरसंचार, मौसम फोरकास्टिंग और कई अन्य अहम क्षेत्रों में भी अहम भूमिका निभाएंगे.

NGLV रॉकेट की ताकत सिर्फ उसके पेलोड क्षमता तक सीमित नहीं है. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये पर्यावरण के अनुकूल और किफायती भी है. NGLV एक रीयूजेबल रॉकेट होगा, यानी इसे बार-बार इस्तेमाल किया जा सकेगा. इस रॉकेट के कुछ हिस्सों, खासकर पहले वाले बूस्टर स्टेज को, भविष्य के लॉन्च मिशनों में फिर से इस्तेमाल किया जा सकेगा. ये तकनीक ना सिर्फ अंतरिक्ष कार्यक्रमों की लागत को काफी कम कर देगी बल्कि ये प्रदूषण को भी कम करेगी. 

 

NGLV का इस्तेमाल है आसान

NGLV रॉकेट को बनाने और इसकी मरम्मत करने में भी आसानी होगी. इसकी वजह है इसका मॉड्यूलर डिजाइन.आसान भाषा में समझें तो इस रॉकेट को ऐसे पार्ट्स में बनाया जाएगा जिन्हें आसानी से जोड़ा और अलग किया जा सके. इतना ही नहीं, NGLV में इस्तेमाल होने वाला सेमी-क्रायोजेनिक प्रोपल्शन सिस्टम भी काफी खास है. ये फ्यूल  सिस्टम रिफाइंड केरोसिन और लिक्विड ऑक्सीजन के मिश्रण पर चलता है, जो कम खर्चीला और ज्यादा कुशल है. नॉर्मल फ्यूल के मुकाबले ये न सिर्फ कम प्रदूषण करता है बल्कि रॉकेट को ज्यादा ताकत भी देता है. 

अंतरिक्ष के क्षेत्र में  भारत बनेगा आत्मनिर्भर 

ISRO को उम्मीद है कि NGLV रॉकेट के तैयार होने से भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन जाएगा. अभी तक भारत को अपने भारी सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजने के लिए दूसरे देशों के रॉकेटों पर निर्भर रहना पड़ता था. NGLV रॉकेट के साथ ही ISRO PSLV रॉकेट को भी अपग्रेड करने की योजना बना रहा है. कुल मिलाकर ये भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक सुनहरा दौर है. NGLV रॉकेट भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में नई ऊंचाइयों पर ले जाने में अहम भूमिका निभाएगा. ये रॉकेट कम खर्च में ज्यादा ताकतवर उपग्रहों को अंतरिक्ष की यात्रा करा सकेगा, जिससे न सिर्फ अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की स्थिति मजबूत होगी बल्कि इससे मिलने  वाली जानकारी और तकनीक देश के विकास में भी अहम योगदान देगी. 

(ये खबर हमारे यहां इंटर्नशिप कर रहे अमित कुमार ने लिखी है)

 

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