कश्मीर में विधान सभा चुनाव नहीं लड़ेंगे उमर अब्दुल्ला

सांची त्यागी

11 Jun 2024 (अपडेटेड: Jun 11 2024 4:07 PM)

उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा चुनाव में लड़ने से ही इंकार कर दिया है. उमर अब्दुल्ला ने कहते हुए चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया कि वे केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव जीतकर विधानसभा में नहीं जाना चाहते. केंद्र शासित प्रदेश से चुनाव लड़कर विधानसभा जाना उनके लिए अपमान की बात है.

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जम्मू कश्मीर में विधान सभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी है. इस महीने चुनावों की तारीखों का ऐलान भी हो सकता है. हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में लोगों का उत्साह साफ दिखाई दिया. लोगों ने बढ़कर मतदान भी किया और जो परिणाम आया वो भी चौकाने वाला था. कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्री चुनाव ही हार गए. वो भी बहुत बुरी तरह. अब लोकसभा चुनाव में हार के बाद उमर अब्दुल्ला का विधानसभा चुनावों को लेकर बड़ा बयान आया है.

उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा चुनाव में लड़ने से ही इंकार कर दिया है. उमर अब्दुल्ला ने कहते हुए चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया कि वे केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव जीतकर विधानसभा में नहीं जाना चाहते. केंद्र शासित प्रदेश से चुनाव लड़कर विधानसभा जाना उनके लिए अपमान की बात है.

साफ है विधानसभा चुनाव का बिगुल बजा भी नहीं है और उमर अब्दुल्ला अपने चुनावी मुद्दे की घोषणा कर चुके है. राज्य का दर्जे की वापसी के साथ ही उमर अब्दुल्ला लोकसभा चुनाव में उतरे थे. और विधानसभा चुनाव में नहीं खड़े होने की घोषणा के साथ ही उन्होंने फिर इस मुद्दे को उठाने का फैसला कर लिया है.

उमर अब्दुल्ला ने अपने बयान में कहा कि

''मैं हमारे राज्य का दर्जा वापस पाने के लिए लड़ूंगा. मैं जम्मू-कश्मीर को पूर्णराज्य का दर्जा बहाल किए जाने के लिए लड़ूंगा। फिर, अगर संभव हुआ तो मैं विधानसभा में प्रवेश करने और वहां अपनी भूमिका निभाने का अवसर तलाशूंगा। लेकिन, मैं केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा में प्रवेश करके खुद को अपमानित नहीं करूंगा।''

उमर अब्दुल्ला का कहना है कि वो भले ही चुनाव में खुद खड़े ना हो रहे हो लेकिन वो नेश्नल कॉनफ्रेंस के लिए चुनावी अभियान का नेतृत्व जरूर करेंगे.

बता दें लोकसभा चुनाव हारने के बाद उमर अब्दुल्ला की बड़ी बेइज्जती हुई थी. हांलाकि उमर अब्दुल्ला इसे अपने लिए परेशान करने वाली बात भी नहीं मानते है.

बता दें 2019 में मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से 370 को हटाने के साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था. जिसके बाद जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया था.

पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट ने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में विभाजित करने के फैसले को बरकरार रखते हुए चुनाव आयोग को 30 सितंबर तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव कराने का आदेश दिया था.

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