संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की मांग अब और मुखर हो रही है. भारत द्वारा की गई बदलावों की मांग पर अब खुलकर दुनियाभर से देश सामने आ रहे है. और इस बार सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता को समर्थन यूरोपीय देश स्लोवाकिया ने दिया है.
स्लोवाकिया के राष्ट्रपति पीटर पेलेग्रिनी ने कहा कि उनका देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत के प्रयास को अपना 'पूर्ण समर्थन' देता है. स्लोवाकिया के राष्ट्रपति ने दो-दिवसीय राजकीय यात्रा पर पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात के बाद एक बयान में ये बात कही
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राष्ट्रपति पीटर पेलेग्रिनी ने कहा कि, "भारत के साथ हम भी दुनिया के बहुपक्षीय कामकाज के प्रमुख समर्थक हैं, और हम अपने अंतरराष्ट्रीय संगठनों के कामकाज का भी समर्थन करते हैं. यह स्लोवाकिया के लिए महत्वपूर्ण है और मैंने कल संयुक्त राष्ट्र महासभा के पूर्व अध्यक्ष के साथ बैठक में इस पर जोर दिया है."
UNSC में Veto की लड़ाई
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य होते हैं, जिनमें पांच स्थायी और दस अस्थायी सदस्य होते है. इसमें पांच स्थायी सदस्यों के पास वीटो की ताकत होती है. जिसका लंबे वक्त से दुरुपयोग किया जा रहा है. पांच स्थायी सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन शामिल है. इन पांचों देशों ने अलग-अलग तरह से अपने फायदे के लिए वीटो की ताकत का इस्तेमाल किया है. वीटो पावर इन देशों को इसी शक्तियां देती है जो उन्हें सुरक्षा परिषद के किसी भी प्रस्ताव को रोकने की अनुमति देता हैं, जिसमें संयुक्त राष्ट्र में नए सदस्य देशों के प्रवेश या संयुक्त राष्ट्र के नए महासचिव के लिए नामांकन से संबंधित प्रस्ताव भी शामिल हैं.
भारत चाहता है UNSC में स्थायी सदस्यता
भारत ने भी खुद को इस वीटो पावर के लिए बाकी पांच देशों की तरह लायक देश बताया है. भारत, UNSC में स्थायी सीट की मांग करता है. भारत का तर्क है कि वह दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश है. भारत की जनसंख्या, आर्थिक योगदान और वैश्विक शांति प्रयासों में भागीदारी इसे इस भूमिका के लिए उपयुक्त बनाती है. भारत का कहना है कि सुरक्षा परिषद की संरचना आज के बहुध्रुवीय विश्व में अप्रासंगिक हो चुकी है, जहां एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व न के बराबर है.
भारत के पास है कई देशों का समर्थन
भारत को समर्थन देने वालों में अब कई नाम शामिल हो चुके है इसमें, जापान, जर्मनी, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, चिली, UAE, मालदीव, अफ्रीकी संघ, मैक्सिको, भूटान, नेपाल, श्रीलंका और कई शामिल है. बड़ी बात ये है कि खुद स्थायी सदस्य भी भारत को परमानेंट मेंमबर बनाने के लिए अपना समर्थन दे चुके है. भारत को समर्थन देने वालों में फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका, रूस भी. हांलाकि चीन भी बदलावों के लिए भारत का समर्थन करता है. लेकिन स्थायी सदस्यता पर चीन बचता आया है.. उसने कभी भारत का नाम लेकर समर्थन व्यक्त नहीं किया.
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