Mahrang Baloch Latest Update: महरंग बलूच और सम्मी बलूच को पाकिस्तानी सेना ने गिरफ्तार कर लिया बलूचिस्तान के क्वेटा में विरोध प्रदर्शन के बाद हुई इनकी गिरफ्तारी ने बलूचिस्तान में विद्रोह की आग को और भड़का दिया. बलूचिस्तान की शेरनियां है. बालूचिस्तान में इस बार लगी विद्रोह की आग इतनी आसानी से बुझने वाली नहीं है. पाकिस्तान अब हर हद को पार कर चुकी है. पाकिस्तान में रमजान का महीना अब पाकिस्तानी क्रूरता का सबसे खौफनाक महीना बन चुका है. पाकिस्तान ने पहले अपने ही जवानों को मरने के लिए छोड़ा और अब आतंकवाद के नाम पर महिलाओं के साथ अत्याचार और बर्बता कर पाकिस्तान और पाप कर रहा है.
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महरंग बलूच का मानना है कि इनपर हो रहे अत्याचार पर UN नहीं देखेगा. पश्चिमी देश आंख बंद कर लेंगे. और इस्लामिक देश भी इसे इस्लाम पर हमला नहीं बताएंगे. बलूचिस्तान में आम लोगों के विरोध प्रदर्शन और BLA के उग्र विद्रोह में बहुत अंतर है. बलूचिस्तान में महरंग बलूच और बाकी लोग शांति से विरोध प्रदर्शन कर अपनी आवाज उठा रहे है जबकि BLA हिंसक विद्रोह कर पाकिस्तानी सैनिकों को मार रहे है.
BLA ने पाकिस्तान में कई हमलों को अंजाम दिया. पाकिस्तान का कोना-कोना आतंकी हमलों से दहला रहा है. लेकिन इसके जवाब में पाकिस्तान ने क्या किया. पाकिस्तान ने अपने सैनिकों को BLA के हाथों मरने के लिए छोड़ दिया और ऑपरेशन के नाम पर पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में अपनी हक की आवाज उठाने वालों के गले घोटने शुरू कर दिए.
महिलाओं को दबा रहा है पाकिस्तान
जब सेना हार चुकी हो तो सबसे आसान होता है महिलाओं की आवाज को कुचलना सो वो शुरू हो गया. हारी हुई सेना की सारी ताकत निहत्थे लोगों पर टूट पड़ी. बलूचिस्तान में पाकिस्तान ने पहले एक्टिविस्ट महरंग बलूच को गिरफ्तार किया और फिर सम्मी बलूच को गिरफ्तारियों का सिलसिला अब भी जारी है. लेकिन इससे हुआ क्यो विद्रोह और विरोध और बढ़ गया बलूचिस्तान के लोगों का गुस्सा अब आसमान पर है. पाकिस्तान का दावा है कि वो जाफर एक्सप्रेस मामले पर कार्रवाई कर रहा है. अजीब बात ये है कि पाकिस्तान हथियारबंद विद्रोहियों को छोड़ निहत्थे एक्टिविस्ट के पीछे पड़ गया. पाकिस्तान का पहला टार्गेट बनी महरंग बलोच. जो बलूचिस्तान के लोगों की आवाज बन चुकी है. बलूचिस्तान की शेरनी के नाम से मशहूर महरंग बलूच पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने वाला प्रमुख चेहरा हैं, जिन्हें टाइम मैगजीन ने 100 उभरते नेताओं में जगह दी है.
बलूचिस्तान में दबा है खजाना
बलूचिस्तान वही प्रांत है जहां चीन-पाकिस्तान मिलकर अपना आर्थिक गलियारा बना रहे है जो चीन के BRI प्रोजेक्ट का हिस्सा है. जिसका विरोध भी बलूचिस्तान कर रहा है. बलूचिस्तान प्राकृतिक संसाधनों, विशेष रूप से खनिज भंडारों, के मामले में बेहद समृद्ध है. यहाँ के खनिज संसाधन न केवल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इनकी मांग है. यही कारण है कि पाकिस्तान बलूचिस्तान को लूट खाने के लिए चीन को यहां ले आया.
बलूचिस्तान के प्रमुख खनिज भंडार
बलूचिस्तान में प्राकृतिक गैस का भंडार है. यहां से निकलने वाली गैस पाकिस्तान के कई हिस्सों में ऊर्जा और उद्योगों के लिए इस्तेमाल होती है. इसके अलावा बलूचिस्तान में कोयले के बड़े भंडार हैं. यहाँ का कोयला मुख्य रूप से बिजली उत्पादन और औद्योगिक उपयोग के लिए निकाला जाता है. अनुमान है कि यहाँ लाखों टन कोयले के भंडार मौजूद हैं. दुनिया की सबसे बड़ी तांबा और सोने की खदानों से एक खदान भी बलूचिस्तान में है. यहाँ के भंडार में अरबों डॉलर मूल्य के तांबे और सोने के भंडार होने का अनुमान है. इस परियोजना में विदेशी कंपनियाँ, जैसे कि कनाडा की बैरिक गोल्ड और चिली की एंटोफागास्टा, शामिल रही हैं, इसके अलावा बलूचिस्तान में क्रोमाइ, जिप्सम, चूना पत्थर, मैग्नेसाइट, सल्फर, संगमरमर, और लौह अयस्क के भी बड़े भंडार हैं.
पाकिस्तान छिपा रहा बलूचिस्तान का सच
इससे बचाने के लिए ही पाकिस्तान विद्रोह को कुचलने में लगा है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने महरंग बलूच की गिरफ्तारी की निंदा की है और पाकिस्तान में मानवाधिकारों के हनन और बलूच आवाजों के दमन के बारे में चिंताएं जताई हैं. लेकिन क्या इतना काफी है. अब जरा सोचिए ऐसा कुछ भारत में होता तो क्या होता. कश्मीर छोड़िए. देश की राजधानी दिल्ली में भी अगर कोई महिला इस तरह घसीटी जाती तो बवाल मच जाता है. और उसपर भी अगर वो गलती से मुसलमान होती तो क्या ही होता. मनाव अधिकारों का पोस्टर बनाने वाले अपने पोस्टर में भारत को बेहरम और अत्याचारी बताता और इसकी कैपनेनिंग करता हुआ पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र गला फाड़-फाड़ कर चीखता. इस्लामिक देश न्याय का पाठ पढ़ाने आ जाते. लेकिन अब ये कुछ नहीं बोलेंगे. क्योंकि अत्याचार को न्याय साबित करने वालों में इस्लामिक देश सबसे आगे रहते है. मुझे ये बोलने बिलकुल खौफ नहीं है. कि भारत को ज्ञान बांटने वाले सबसे बड़े दोगले है.
पाकिस्तान में चल रहे आज तक सबसे बड़े विद्रोह की करते है. शुरूआत इस तस्वीर से करते है. हजारों की तादद में ये लोगो पाकिस्तान के अत्याचार के खिलाफ इकट्ठा हुए है. और असल में इसी तस्वीर ने पाकिस्तान की जड़ो को भी हिलाया था आतंकवाद तो बहाना है. असल में पाकिस्तान इस एकजुटता से डरा हुआ है. तभी तो बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद आकंतवाद, देशद्रोह औऱ हत्या के आरोपों के तहत महरंग को गिरफ्तार किया गया. इस दौरान बल प्रयोग के चलते तीन प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई.
कौन हैं महरंग बलूच?
महरंग बलूच एक मेडिकल डॉक्टर और बलूच यकजेहती कमेटी (BYC) की नेता हैं, जो बलूचिस्तान में जबरन गायब किए जाने और हत्याओं के खिलाफ मुखर आवाज हैं. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, उनके पिता अब्दुल गफ्फार लैंगोव एक राष्ट्रवादी नेता थे, जिन्हें 2009 में जबरन गायब कर दिया गया था. उनका शव तीन साल बाद लासबेला जिले में मिला था. इसके बाद से ही महरंग ने जबरन गायब किए जाने और हत्याओं के खिलाफ लड़ने का फैसला किया.
महरंग की बहन इकरा बलूच ने उनकी गिरफ्तारी पर सोशल मीडिया पर कहा, ‘जेल की उनकी यात्रा ने 18 साल पहले की याद दिलाई है जब उन्होंने अपने पिता को सलाखों के पीछे देखा था. उस समय महरंग हमारे साथ थीं. आज वह नहीं हैं.‘
बलूचिस्तान में प्रदर्शन क्यों हो रहे है?
मानवाधिकार हनन और दमन, बलूच कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों का दावा है कि पाकिस्तानी सुरक्षा बल उनके खिलाफ हिंसा, अपहरण, और हत्याओं में शामिल हैं. हाल ही में क्वेटा में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की घटनाएँ सामने आई हैं. जिसमें कई लोग मारे गए और घायल हुए.
आज़ादी की मांग भी कर रहा है बलूचिस्तान
BLA जैसे संगठन लंबे समय से पाकिस्तान से पूर्ण स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं. उनका मानना है कि 1948 में बलूचिस्तान का पाकिस्तान में विलय जबरन किया गया था, और तब से यहाँ की जनता को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है.
बलूच आंदोलन को कबीलाई सरदारों के हाथों में था, अब उसकी बागडोर यूनिवर्सिटी से पढ़कर निकले युवाओं ने संभाल ली है. मानवाधिकारियों के हनन की घटनाओं ने युवाओं को कट्टरपंथ की तरफ धकेला है और वे हथियार उठा रहे हैं. बलूचिस्तान में आतंकवाद विरोधी अभियान में दो दशकों में हजारों बलूचों को गायब कर दिया गया या मारे गए.
वॉयस फॉर बलूच मिसिंग पर्सन्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2009 से अब तक लापता हुए लगभग 1500 व्यक्ति मृत पाए गए हैं, जबकि 6000 अभी भी लापता हैं. मानवाधिकार समूहों ने पाकिस्तानी आर्मी पर इसका आरोप लगाया है, लेकिन सेना इसमें शामिल होने से इनकार करती है. सच्चाई तो ये है कि पाकिस्तान में मानवता के कपड़े हर दिन उतारे जा रहे है. और बहुत चलाकी से पाकिस्तान इसे छुपाने और दबाने में लगा हुआ है. बांग्लादेश के टूटने की कहानी पाकिस्तान पहले ही लिख चुका है लेकिन अपने कर्मों से पाकिस्तान अब उसी कहानी फिर से लिख रहा है. जिस बर्बरता से पाकिस्तान बलूचियों पर कहर बरपा रहा है उसके बाद ये तो तय है कि पाकिस्तान के अंजाम में टूटना ही लिखा है.
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