Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी के बाद शहर के बीचोंबीच डंप यूनियन कार्बाइड कारखाने का 3,370 क्विंटल खतरनाक जहरीला कचरे से 41 साल बाद मुक्ति मिल गई है. इसके साथ ही लोगों ने राहत की सांस ली है. जहरीले कचरे रात 12 बजे 12 बड़े-बड़े कंटेनरों में भरकर भोपाल से पीथमपुर के लिए रवाना कर दिया गया, इस कचरे के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है. कचरा सीहोर होते हुए पीथमपुर के लिए रवाना किया गया, वहां पर कचरे को सुरक्षित तरीके से जलाया जाएगा.
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बता दें कि भोपाल गैस त्रासदी करीब 41 साल पहले दिसंबर 1983 में हुई थी, तब यूनियन कार्बाइड के रिसाव से हजारों लोगों की जान गई थी. उसके बाद से ये कचरा शहर के बीचोंबीच डंप था और हजारों लोग इससे प्रभावित होते रहे. लेकिन इस कचरे का प्रबंधन नहीं किया जा सका.
अब मोहन सरकार ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के लगभग 3370 क्विंटल खतरनाक जहरीले कचरे को हटाने का बड़ा निर्णय लिया. लगभग 12 ट्रक कंटेनरों में भरकर कचरा रवाना किया गया. कचरे को सुरक्षित तरीके से नष्ट करने के लिए पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र को चुना गया है.
ग्रीन कॉरिडोर बनाकर सुरक्षा के भारी प्रबंध किए
भोपाल हाईवे पर ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया, जिससे 12 कंटेनरों में भरे इस खतरनाक कचरे को सुरक्षित तरीके से पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र तक पहुंचाया जा सके. इस पूरे ट्रांसपोर्ट ऑपरेशन में भोपाल पुलिस के 50 जवान और एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी तैनात रहे.
ग्रीन कॉरिडोर बनाकर ले गए कचरा
यूनियन कार्बाइड कारखाने का 3370 क्विंटल खतरनाक जहरीला कचरा कंटेनर मे भरकर भोपाल से पीथमपुर के लिए रवाना हुए है. कचरे को सुरक्षित तरीके से नष्ट करने के लिए इंदौर से 30 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र को चुना गया है. जहरीले कचरे का किसी पर असर न हो, इसके लिए रात का वक्त चुना गया. इसके लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया.
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कचरे को नष्ट करने की प्रक्रिया
यह जहरीला कचरा पीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड में नष्ट किया जाएगा. यहां विशेष भट्टी बनाई गई है, जिसमें कचरे को 90 किलोग्राम प्रति घंटे की दर से जलाया जाएगा. इस प्रक्रिया में लगभग 153 दिन यानी 5 महीने का समय लगेगा. कचरे के जलने के बाद बनी राख का वैज्ञानिक परीक्षण किया जाएगा. यदि राख सुरक्षित पाई गई, तो उसे विशेष लैंडफिल साइट पर डंप किया जाएगा.
हजारों लोगों ने गंवाई थी जान
बता दें कि 2-3 दिसंबर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड कीटनाशक कारखाने से मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था. इस हादसे में कम से कम 5,479 लोगों की जान गई और हजारों लोग गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते रहे. त्रासदी के बाद से ही कारखाने का यह जहरीला कचरा वहीं पड़ा था.
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