Indore BRTS News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के बाद इंदौर शहर से बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (BRTS) को हटाने का फैसला सरकार ने ले लिया है. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इंदौर में मीडिया से बातचीत के दौरान इसकी पुष्टि की. उन्होंने कहा कि भोपाल की तर्ज पर इंदौर में भी BRTS को हटाने से यातायात में सुधार होगा और लोगों को होने वाली परेशानियां खत्म होंगी. हालांकि, यह फैसला जबलपुर हाई कोर्ट के आदेशों पर निर्भर करेगा.
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मोहन यादव ने कहा, "भोपाल में BRTS हटाने के बाद यातायात में सुधार देखने को मिला है। इंदौर के नागरिकों ने भी इस प्रोजेक्ट को लेकर शिकायतें की हैं. उनकी समस्याओं को देखते हुए हमने इसे हटाने का निर्णय लिया है."
BRTS प्रोजेक्ट पर अब फैसला कोर्ट के पाले में
निरंजनपुर से राजीव गांधी प्रतिमा तक लगभग 11.5 किमी लंबा BRTS प्रोजेक्ट वर्तमान में जबलपुर हाई कोर्ट के फैसले पर निर्भर है. सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी ने इस प्रोजेक्ट को चुनौती देते हुए दो जनहित याचिकाएं दायर की थीं. 2013 और 2015 में दायर इन याचिकाओं पर हाल ही में सुनवाई हुई.
हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने इस मामले को जबलपुर हाई कोर्ट की मुख्य पीठ को स्थानांतरित कर दिया है. अगली सुनवाई 22 नवंबर को होनी थी, लेकिन मामला जबलपुर ट्रांसफर होने के कारण तारीख आगे बढ़ सकती है.
परिवहन सुधार और ग्रीन प्लान
इंदौर BRTS पर फिलहाल 49 बसें संचालित हो रही हैं, जिनमें से 29 सीएनजी और 20 डीजल से चलती हैं. अधिकारियों का कहना है कि डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों से बदलने की योजना है. नई 10 इलेक्ट्रिक बसें शामिल होने के बाद कुल बसों की संख्या 59 हो जाएगी. इससे बस ओवरलोडिंग की समस्या हल होने की उम्मीद है.
एआईसीटीएसएल के अधिकारियों का कहना है कि इस बदलाव का उद्देश्य BRTS को एक ग्रीन कॉरिडोर में बदलना है. बसों की चार्जिंग और ट्रायल राजीव गांधी डिपो में चल रहा है.
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BRTS को हटाने के तर्क
मोहन सरकार का कहना है कि BRTS प्रोजेक्ट ने उम्मीदों के मुताबिक परिणाम नहीं दिए हैं. यातायात में अव्यवस्था और बढ़ती शिकायतों के कारण यह निर्णय लिया गया. मुख्यमंत्री ने कहा, "हम कोर्ट के समक्ष भी अपना पक्ष रखेंगे और हर संभव तरीका अपनाकर इसे हटाएंगे."
BRTS प्रोजेक्ट का भविष्य अब हाई कोर्ट के फैसले पर टिका है. विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट और जबलपुर हाई कोर्ट का निर्णय इंदौर के यातायात व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा. BRTS को लेकर सरकार के इस फैसले ने एक बार फिर सार्वजनिक परिवहन की उपयोगिता और व्यवहारिकता पर सवाल खड़े किए हैं. अगर इसे हटाया जाता है, तो इंदौर की यातायात व्यवस्था में क्या सुधार होंगे, यह देखने वाली बात होगी.
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