भोपाल: नवजात बच्ची की गर्दन में निकला एक और बच्चा! फिर एम्स के डॉक्टरों ने कर दिया चमत्कार

Bhopal News: भोपाल एम्स में डॉक्टरों की टीम ने एक बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी को अंजाम देते हुए 3 साल की बच्ची के सिर और गर्दन से जुड़े परजीवी जुड़वां (Parasitic Twin) को उसके शरीर से अलग करने में सफलता हासिल की है.

भोपाल एम्स के डॉक्टरों ने चमत्कार करते हुए एक बच्ची के सिर का सफलता पूर्वक ऑपरेशन किया है

भोपाल एम्स के डॉक्टरों ने चमत्कार करते हुए एक बच्ची के सिर का सफलता पूर्वक ऑपरेशन किया है

रवीशपाल सिंह

09 Apr 2025 (अपडेटेड: 10 Apr 2025, 11:42 AM)

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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भोपाल एम्स के डॉक्टरों ने सफलता पूर्वक की बच्ची की जटिल सर्जरी

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3 साल की बच्ची के सिर और गर्दन से निकाला अविकसित जुड़वां बच्चा

Bhopal News: भोपाल एम्स में डॉक्टरों की टीम ने एक बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी को अंजाम देते हुए 3 साल की बच्ची के सिर और गर्दन से जुड़े परजीवी जुड़वां (Parasitic Twin) को उसके शरीर से अलग करने में सफलता हासिल की है. एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने 'आजतक' से बात करते हु बताया कि यह मामला एक परजीवी जुड़वां (Parasitic Twin) से जुड़ा था, जिसमें एक अधूरे रूप से विकसित जुड़वां भ्रूण, जीवित बच्ची की खोपड़ी और गर्दन से चिपका हुआ था.

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यह मामला मध्यप्रदेश के अशोकनगर निवासी तीन साल की बालिका का था जिसकी गर्दन के पिछले हिस्से में जन्म से ही एक मांसल उभार था. एम्स भोपाल के न्यूरोसर्जरी विभाग में भर्ती करने के बाद उसकी MRI और सी.टी. स्कैन किए गए तो पता चला कि उसकी खोपड़ी और रीढ़ की हड्डी से एक अधूरे शरीर का पैर और श्रोणि हड्डियां (Pelvic Bones) जुड़ी हुई थीं, जो दिमाग के बेहद नाज़ुक हिस्से ब्रेन स्टेम से चिपकी हुई थीं.

ऐसी स्थिति में बच्चे को देख घरवाले और माता-पिता डर गए. इसके बाद उन्होंने एम्स भोपाल में बच्चे को दिखाने का निर्णय लिया. ऑपरेशन के बाद अब उनका बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है.

परजीवी जुड़वां बच्चा

परजीवी जुड़वां एक दुर्लभ स्थिति होती है, जब गर्भ में दो जुड़वां बच्चे बनने लगते हैं, लेकिन उनमें से एक का विकास बीच में रुक जाता है. यह अधूरा जुड़वां बच्चा अपने पूरी तरह विकसित हो रहे जुड़वां से चिपका रहता है. इस अधूरे जुड़वां को ही परजीवी जुड़वां कहा जाता है, क्योंकि वह खुद से नहीं जी सकता और अपने जुड़वां पर निर्भर रहता है. 

डॉक्टरों की हाई लेवल टीम ने तय किया सर्जरी करना

मामले की जटिलता को देखते हुए डॉ. राधा गुप्ता एवं डॉ. अंकुर (रेडियोलोजी विभाग), डॉ. रियाज़ अहमद (बाल शल्य चिकित्सा विभाग) और डॉ. वेद प्रकाश (प्लास्टिक सर्जरी विभाग) के साथ काफी विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया गया कि बालिका को सामान्य जीवन देने के लिए जल्द सर्जरी की जाए.

इसके बाद 3 अप्रैल 2025 को यह दुर्लभ सर्जरी डॉ. सुमित राज द्वारा सफलतापूर्वक की गई, जिसमें डॉ. जितेन्द्र शाक्य और डॉ. अभिषेक ने सहायक की भूमिका निभाई. फ़िलहाल बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है और स्वास्थ लाभ ले रही है.

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