मध्य प्रदेश में कांग्रेस की हालत पिछले कुछ सालों से कमजोर होती जा रही है. लगातार हार और संगठन में अस्थिरता के बीच अब पार्टी में नई जान फूंकने की कोशिश शुरू हो रही है. इसके लिए दिल्ली में आज 3 अप्रैल को एक अहम बैठक होने जा रही है, जिसमें मध्य प्रदेश के सभी जिला अध्यक्ष शामिल होंगे. इस बैठक में संगठन को मजबूत करने के लिए बड़े बदलावों की योजना बनाई जा रही है. आइए जानते हैं कि मध्य प्रदेश कांग्रेस की मौजूदा स्थिति क्या है और इस बैठक से क्या उम्मीदें हैं.
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मध्य प्रदेश कांग्रेस का बुरा दौर
पिछले कुछ साल मध्य प्रदेश कांग्रेस के लिए मुश्किल भरे रहे हैं. साल 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को उम्मीद थी कि वह सरकार बना लेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. कांग्रेस 100 सीटों का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई, और बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की. इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को करारा झटका लगा. उसका सबसे मजबूत किला छिंदवाड़ा भी हाथ से निकल गया, और प्रदेश की 29 में से 29 सीटें बीजेपी के खाते में चली गईं. कुछ उपचुनावों में भी कांग्रेस सिर्फ विजयपुर सीट बचा पाई, बाकी सभी सीटों पर उसे हार मिली.
संगठन में बदलाव की कोशिशें भी हुईं. कमलनाथ को हटाकर जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन हालात सुधरते नहीं दिखे. अब पार्टी दिल्ली से नई रणनीति के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है.
3 अप्रैल की बैठक: क्या है खास?
कांग्रेस पूरे देश में अपने संगठन को मजबूत करने के लिए अभियान चला रही है. इसी कड़ी में 3 अप्रैल को दिल्ली में मध्य प्रदेश कांग्रेस की बड़ी बैठक होगी. इस बैठक में राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेता हिस्सा लेंगे. सभी जिला अध्यक्षों की मौजूदगी में संगठन को नई दिशा देने की योजना बनेगी.
पार्टी आलाकमान ने पहले ही नेताओं से सुझाव मांगे हैं. माना जा रहा है कि इस बैठक में जिला स्तर पर बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. इसका मकसद कांग्रेस को जमीनी स्तर पर मजबूत करना और अगले चुनावों के लिए तैयार करना है.
संगठन में क्या बदलाव संभव?
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में कई अहम फैसले लिए जा सकते हैं:
- जिला अध्यक्षों को ज्यादा अधिकार: अब जिला अध्यक्ष जिला स्तर के फैसले खुद ले सकेंगे.
- हर जिले में पार्टी ऑफिस: संगठन को किसी नेता के घर से नहीं, बल्कि ऑफिशियल कार्यालय से चलाया जाएगा.
- दिल्ली से सीधा संपर्क: जिला अध्यक्ष अब सीधे कांग्रेस आलाकमान से बात कर सकेंगे.
- टिकट बंटवारे में बड़ी भूमिका: स्थानीय निकाय, विधानसभा और लोकसभा चुनावों में टिकट तय करने में जिला अध्यक्षों की राय को प्राथमिकता मिलेगी.
- नए चेहरों को मौका: जिला अध्यक्ष ऐसे लोग बनाए जाएंगे जो खुद चुनाव न लड़ना चाहें. अगर लड़ना हो, तो 2 साल पहले पद छोड़ना होगा.
- ये बदलाव संगठन को मजबूत करने और गुटबाजी को कम करने की दिशा में बड़ा कदम हो सकते हैं.
कांग्रेस की चुनौतियां
मध्य प्रदेश कांग्रेस के सामने कई मुश्किलें हैं. 2023 और 2024 के बीच कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में चले गए. उनके समर्थकों ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ दिया. कई जिलों में जिला अध्यक्ष तक नहीं हैं. संगठन में मतभेद और गुटबाजी भी बड़ी समस्या है. ऐसे में यह बैठक कांग्रेस के लिए एक मौका है कि वह अपनी कमजोरियों को दूर करे.
क्या होगा नतीजा?
3 अप्रैल की बैठक से यह साफ होगा कि कांग्रेस अपनी रणनीति को जमीन पर कैसे उतारती है. क्या ये बदलाव पार्टी को नई ताकत देंगे या सिर्फ कागजी बातें बनकर रह जाएंगे? यह सवाल अभी अनसुलझा है. मध्य प्रदेश कांग्रेस अगले विधानसभा चुनाव से पहले अपनी खोई हुई जमीन वापस पाना चाहती है, और इसके लिए यह बैठक अहम साबित हो सकती है.
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