आदिवासी स्वाभिमान यात्रा के जरिए सत्ता की चाबी हासिल करने की कोशिश में कांग्रेस, जानें

चंद्रभान सिंह भदौरिया

09 Aug 2023 (अपडेटेड: Aug 9 2023 12:54 PM)

Madhya Pradesh 2023: बीते 20 दिन पहले मध्यप्रदेश के उत्तर इलाके सीधी से शुरू हुई कांग्रेस की आदिवासी स्वाभिमान यात्रा हाल में मध्यप्रदेश के पश्चिम जिले झाबुआ में आकर उसका समापन हो गया. इस दौरान यह आदिवासी स्वाभिमान यात्रा कुल 36 आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित विधानसभा क्षेत्र से होकर गुजरी. आदिवासी कांग्रेस के प्रमुख […]

Congress power in Madhya Pradesh Adivasi Swabhiman Yatra Kamalnath

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Madhya Pradesh 2023: बीते 20 दिन पहले मध्यप्रदेश के उत्तर इलाके सीधी से शुरू हुई कांग्रेस की आदिवासी स्वाभिमान यात्रा हाल में मध्यप्रदेश के पश्चिम जिले झाबुआ में आकर उसका समापन हो गया. इस दौरान यह आदिवासी स्वाभिमान यात्रा कुल 36 आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित विधानसभा क्षेत्र से होकर गुजरी. आदिवासी कांग्रेस के प्रमुख ओर कमलनाथ के करीबी रामू टेकाम ओर दिग्विजय सिंह के करीबी कांतिलाल भूरिया के बेटे ओर युवक कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डा विक्रांत भूरिया इस यात्रा की अगुवाई कर रहे थे. यात्रा के समापन अवसर पर आज झाबुआ में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का जमावड़ा लगा.

पूर्व सीएम कमलनाथ के अलावा प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल, सुरेश पचौरी, युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवासन, शोभा ओझा, पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल, ओंकार सिंह मरकाम आदि नेता जुटे ओर मंच से बीजेपी को आदिवासी विरोधी कहकर उखाड़ फेंकने का आव्हान किया. कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस के शाशनकाल में आदिवासी सुरक्षित रहते हैं भाजपा के शासनकाल में आदिवासी अत्याचार के शिकार होते हैं.

सीधी से शुरुआत ओर झाबुआ में समापन के मायने

आदिवासी स्वाभिमान यात्रा की शुरुआत में सीधी को ही क्यों चुना गया और समापन झाबुआ में ही क्यों? इस सवाल के जवाब में मध्यप्रदेश की सियासत का अंकगणित भी छिपा हुआ है. कांग्रेस की रणनीति भी. दरअसल सीधी का पेशाब कांड राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बना था, जिसके बाद डैमेज कंट्रोल की कोशिश करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीड़ित आदिवासी को मुख्यमंत्री आवास भोपाल बुलाकर उसके पैर धोए और सम्मान कर उसके स्वाभिमान को पुर्नस्थापित करने का दावा किया था. लेकिन कांग्रेस को लगता है कि इस घटना ने उसे अवसर दिया है इसलिए सीधी से आदिवासी स्वाभिमान यात्रा की शुरुआत की गई.

कहां से गुजरी, क्या होगा असर?

यह यात्रा मध्यप्रदेश के शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, डिंडौरी, मंडला, बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा, बैतूल, हरदा, खंडवा, बुरहानपुर, खरगोन, बड़वानी, धार, आलीराजपुर और झाबुआ जिलों की आदिवासी बहुल 36 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरी. सीधी पेशाब कांड के अलावा नेमावर, नीमच, सिंगरौली आदि जिलों में हुए आदिवासियों की प्रताड़ना के मामले उठाए. इस यात्रा का अंक गणित यह है कि मध्यप्रदेश में 22 प्रतिशत आदिवासी समुदाय की आबादी ओर मतदाता हैं, यानी हर पांचवां मतदाता आदिवासी समुदाय से आता है.

MP की 47 आदिवासी सीटें, 80 पर असर

प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटे आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं, जबकि 6 लोकसभा सीटें भी इसी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. इसके अलावा प्रदेश की इन 47 सीटों सहित कुल 80 सीटों पर आदिवासी मतदाता चुनाव परिणाम पर असर डालते हैं. यही वजह है कि 36 विधानसभा क्षेत्र को छुकर आदिवासी स्वाभिमान यात्रा निकाली गई. इस आदिवासी स्वाभिमान यात्रा को लेकर डाक्टर विक्रांत भूरिया कहते हैं, यात्रा के दौरान हमें अभूतपूर्व जन समर्थन मिला है, हमें आदिवासियों ने अपनी समस्याए ओर प्रताड़ना बताई. लोग सच में बीजेपी से नाराज़ हैं. कांग्रेस ने आदिवासी स्वाभिमान यात्रा के जरिए आदिवासियों के दुख तकलीफ़ को समझने की कोशिश की है.

आदिवासी समुदाय को भ्रमित करने का काम कर रही है कांग्रेस

बीजेपी भी कांग्रेस की आदिवासी स्वाभिमान यात्रा पर निगाह रख रही थी. बीजेपी के आदिवासी नेता और रतलाम- झाबुआ सांसद गुमानसिंह डामोर कहते हैं कि कांग्रेस सत्ता के बिना छटपटा रही है. आदिवासी समुदाय को भ्रमित करने का काम कर रही है, जबकि हकीकत यह है कि बीजेपी ने आदिवासी क्षेत्रों में सड़कें बनवाई. 24 घंटे बिजली दी. सिंचाई की क्षमता बढ़ाई. आदिवासी इलाकों में सीएम राइज स्कूल खोले गये. आदिवासी बहनों को सशक्त बनाने के लिए लाडली बहना योजना लागू की गयी.

डामोर कहते हैं कि अगर कहीं अपराध हुआ है तो शिवराज सरकार ने प्रभावी कार्रवाई की है. डामोर कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि प्रदेश में छह दशक‌ तक राज करने के बावजूद कांग्रेस आदिवासियों के मुद्दों को अब समझने का दावा कर रही है. जबकि उनकी सरकारों के समय आदिवासी समुदाय झोपड़ी में था अब पक्के मकानों में शिफ्ट हो रहा है. कांग्रेस के जमाने ओर हमारे जमाने की साक्षरता दर आप देख लीजिए. कांग्रेस के राज में आदिवासियों की भुख से मरने की खबरें रिपोर्ट होती थी लेकिन अब मुफ्त राशन की खबरें रिपोर्ट होती है.

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