Damoh: लंदन से आए जिस डॉक्टर के ऑपरेशन से हुई 7 मौतें, उसके कई बड़े कांड आ गए सामने

Damoh Death Case: दमोह में चल रहे ईसाई मिशनरी के मिशन अस्पताल में बीते महीने करीब एक महीने में 7 मरीजों की मौत के आरोप के बाद खलबली मच गई है. इन मौतों के लिए एक डॉक्टर को जिम्मेदार बताया जा रहा है. आरोप है कि डॉक्टर फर्जी था खुद को कॉर्डियोलॉजिस्ट बताकर लोगों की हार्ट सर्जरी कर रहा था.

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शांतनु भारत

07 Apr 2025 (अपडेटेड: 07 Apr 2025, 04:54 PM)

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ब्रिटेन के फेमस डॉक्टर के नाम पर दमोह के मिशनरी अस्पताल में फर्जीवाड़ा

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डॉक्टर ने कर डाली हार्ट सर्जरी, 7 मरीजों की मौत का आरोप इलाके में सनसनी

मध्य प्रदेश के दमोह में मिशनरी अस्पताल में सात मरीजों की मौत के आरोप के बाद हड़कंप मचा हुआ है. खुद को लंदन का प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट बताने वाले डॉ एन जोन केम ने दमोह के ईसाई मिशनरी अस्पताल में 15 मरीजों का ऑपरेशन कर दिया, जिससे 7 लोगों की मौत हो गई. इसका खुलासा होने पर देर रात इस फर्जी डॉक्टर के खिलाफ दमोह के सीएमएचओ ने एफआईआर दर्ज करा दी है. हालांकि इस एफआईआर में डॉक्टर की फर्जी डिग्री पेश करने और उसके आधार पर फर्जीवाड़ा करने का जिक्र है, जिसके आधार पर प्रशासन इस मामले की जांच करा रहा है.

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बता दें कि दमोह में चल रहे ईसाई मिशनरी के मिशन अस्पताल में बीते महीने करीब एक महीने में 7 मरीजों की मौत के आरोप के बाद खलबली मच गई है. इन मौतों के लिए एक डॉक्टर को जिम्मेदार बताया जा रहा है. आरोप है कि डॉक्टर फर्जी था खुद को कॉर्डियोलॉजिस्ट बताकर लोगों की हार्ट सर्जरी कर रहा था और इसी वजह से 7 मरीजों की मौत हो गई. दरअसल दमोह के एक एडवोकेट औऱ बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दीपक तिवारी ने इस मामले का खुलासा किया और कलेक्टर को शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद डीएम ने जांच के आदेश दिये हैं.

सीएम मोहन यादव ने दिखाई सख्ती  

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दमोह में फर्जी डाक्टर द्वारा ऑपरेशन की घटना पर दिए सख्ती के निर्देश. सीएम मोहन यादव ने कहा, "घटना की जानकारी सरकार को हुई, उस पर सरकार सख्त कार्रवाई कर रही है. उन्होंने कहा कि आपने देखा होगा कि ऐसी घटनाओं में हमारी सरकार ने लगातार भारत सरकार के साथ मिलकर काम किया है. अगर कोई कमी, गलती या तथ्य छिपाए गए हैं तो हमारी सरकार कार्रवाई करने में देरी नहीं करेगी..." इस तरह के मामलों में कठोर कार्रवाई के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट को निर्देश दिए हैं.

शिकायतकर्ता दीपक तिवारी का दावा है कि उन्होंने जो शिकायत दर्ज कराई थी, उसमें उनके द्वारा बताए मौत के आंकड़े यानी 7 मौतों की पुष्टि जांच में भी हो गई है. जबकि मौतों का आंकड़ा इससे भी कहीं ज्यादा हो सकता है. इस मामले में पुलिस का बयान सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि आरोपी के खिलाफ फर्जी डिग्री पेश करने का मामला दर्ज किया गया है.

मिशन अस्पताल पर लगे गंभीर आरोप के पीछे एक कार्डियोलॉजिस्ट है, जिनका नाम डॉ एन जॉन केम है. इस नाम के फेमस कार्डियोलॉजिस्ट लंदन ब्रिटेन में है. पुलिस शिकायत में कहा गया है कि डॉक्टर ने ब्रिटेन के फेमस डॉक्टर के नाम के फर्जी दस्तावेज बताकर मिशन अस्पताल में नौकरी ली और फिर बिना किसी अनुभव के ऑपरेशन किये, जिससे मरीजों की मौते हुईं. 

ऐसे पता चला फर्जी है ये डॉक्टर?

कलेक्टर के आदेश पर जो जांच चल रही है. उस जांच कमेटी ने मिशन अस्पताल से तमाम दस्तावेज जब्त किए. इन दस्तावेजों में आरोपी डॉक्टर यानी डॉ एन जॉन केम ने इसी नाम से अपनी डिग्रियां और बाकी के डॉक्यूमेंट लगाए हैं. असल में ये वो एन जोन केम नहीं, जिनकी चर्चा ब्रिटेन से लेकर दुनियाभर में होती है. जब जांच-पड़ताल की गई तो मालूम चला कि ये शख्स नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है. अब तक की जांच में इसके डॉक्टर होने की पुष्टि नहीं हुई है. इसी आधार पर एफआईआर दर्ज कराया गया है.

पहले भी विवादों में रहा है ये शख्स

नरेंद्र विक्रमादित्य यादव का विवादों से नाता पहली बार नहीं है. जब इसके रिकॉर्ड खंगाले गए और पता किया गया तो पता चला कि यह लगातार विवादों में रहा है. हैदराबाद में इस व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज है. इसके अलावा भी देश के कई शहरों में ये लोगो के साथ धोखाधड़ी कर चुका है. इतना ही नहीं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के साथ फोटो साझा कर भी ये शख्स विवादों में आया है. साल 2023 में इस शख्स यानी फर्जी डॉक्टर डॉ एन जॉन केम की ट्वीटर आईडी से एक ट्वीट किया गया था. ये आईडी ट्वीटर की वेरिफाइड आईडी थी. ट्वीट भी यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ वाली थी.

सीएम योगी को लेकर किया था ट्वीट

1 जुलाई 2023 को डॉक्टर एन जॉन केम के नाम की आईडी से ट्वीट किया गया था, फ्रांस में भड़के दंगो को रोकने के लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को फ्रांस भेजना चाहिये. इस ट्वीट ने सुर्खिया बटोरी औऱ असदुद्दीन ओवैसी ने इस ट्वीट और फिर उत्तरप्रदेश के सीएम ऑफिस से हुई ट्वीट पर कटाक्ष किया था और देश में जमकर चर्चा हुई थी. असल में ये ट्वीट ब्रिटेन के मशहूर शख्स का नहीं था, बल्कि भारत के रहने वाले नरेंद्र विक्रमादित्य यादव की आईडी से किया गया ट्वीट था. कई यूजर्स ने इस फर्जी शख्स की कलई खोली. 

बाद में ये मामला शांत हो गया लेकिन इस फर्जी डॉक्टर एन जॉन केम की हरकतें शांत नही हुईं. दमोह के मिशनरी अस्पताल में आने से पहले ये शख्स एमपी के नरसिहंपुर में भी नौकरी कर चुका है. जब वहां बात नहीं बनी तो वह दमोह आया. इस शख्स पर जो आरोप लग रहे हैं. इसे लेकर जब और जांच पड़ताल की गई तो इसका कोई स्थायी पता ठिकाना नहीं है. बल्कि जिस भी शहर में रहता है. उस शहर की किसी होटल में रहता है. कब लापता हो जाये कोई ठिकाना नहीं. 

दीपक तिवारी ने खोल दी कलई

शिकायतकर्ता दीपक तिवारी भी बताते हैं कि जब उसके खिलाफ पूछताछ हुई तो वो गायब हो गया. तिवारी के मुताबिक, उनके नालेज में ये मामला तब आया जब एक पीड़ित व्यक्ति ने उनसे सम्पर्क किया. बताया कि उसके दादा जी को हार्ट प्रॉब्लम हुई वो उन्हें लेकर मिशन अस्पताल गया लेकिन उसे डॉक्टर पर शक हुआ उसने खोजबीन की. डॉ एन जॉन केम के फर्जी होने की बात मालूम चली, वो यहां बिना इलाज कराए उन्हें लेकर जबलपुर चला गया और उसके दादाजी स्वस्थ्य हैं लेकिन वो कार्यवाही चाहता था, इस पीड़ित व्यक्ति ने कलेक्टर से शिकायत दर्ज कराई और उसके बाद ये सब खुलासा हुआ.

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सामने नहीं आया कोई पीड़ित

हालांकि इस पूरे मामले में अब तक एक भी वो व्यक्ति सामने नही आया है, जिसके मरीज की मौत हुई है और न ही ऐसा कोई शख्स कैमरे के सामने आया है. शिकायतकर्ता दीपक तिवारी के मुताबिक, जल्दी ही पीड़ित परिवार भी सामने आएंगे. इस सनसनीखेज मामले में कुछ और भी तथ्य है जो गले नही उतरते, इनमें पहला ये की जिन सात मौतों की बात कही जा रही है. उनमें एक भी शव का पोस्टमार्टम नही हुआ, एक भी मृत्यु की सूचना पुलिस को नही दी गई, किसी भी सरकारी दस्तावेज में मौतों के बारे में जानकारी नही है. 

हालांकि मिशन अस्पताल के दस्तावेजों में इन मौतों की पुष्टि जांच में मिली है. इस मामले में जिले के स्वास्थ्य विभाग की भी बड़ी लापरवाही भी सामने आई है. नियमानुसार जब किसी निजी अस्पताल में कोई डॉक्टर नियुक्त होता है तो उसके दस्तावेजों की जांच पड़ताल मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय करता है. इस फर्जी डॉ एन जॉन केम के दस्तावेजों को भी अधिकारी ने डिग्री की जांच गंभीरता से नहीं की. दमोह के इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में भी की गई और आयोग ने मामले को गंभीरता से लेकर जांच शुरू की है. आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने बयान जारी कर इस बात की पुष्टि की है.

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