Cheetah Project: कूनो नेशनल पार्क में विदेशी चीतों को लाने के बाद अब चीतों (Cheetah) का दूसरा घर भी तैयार हो रहा है. नीमच-मंदसौर जिले का गांधीसागर अभ्यारण्य (Gandhi Sagar Abhyaranya) चीतों का दूसरा घर होगा, जो बनकर लगभग तैयार है. जानकारी के मुताबिक फरवरी में दक्षिण अफ्रीकी प्रतिनिधिमंडल मध्य प्रदेश के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य आएगा और स्थितियों का जायजा लेगा.
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अधिकारियों ने गुरुवार को न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि वन्यजीव विशेषज्ञों सहित एक दक्षिण अफ्रीकी प्रतिनिधिमंडल मध्य प्रदेश के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य की स्थितियों का आंकलन करने के लिए फरवरी में दौरा करेगा.
368 वर्ग KM में फैला है गांधी सागर
जानकारी के मुताबिक गांधी सागर को चीतों के लिए वन्यजीव अभयारण्य तैयार करने का 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है. गांधी सागर कूनो से लगभग छह घंटे की दूरी पर है. यह 368 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और इसके आसपास 2,500 वर्ग किलोमीटर का अतिरिक्त क्षेत्र है. यह मध्य प्रदेश के मंदसौर-नीमच जिले के साथ ही राजस्थान के चित्तौड़ व कोटा जिले में भी फैला हुआ है.
इन चीतों को गांधी सागर में लाएंगे
प्रोजेक्ट टाइगर के तहत आठ चीतों का पहला बैच सितंबर 2022 में नामीबिया से भारत लाया गया था. 12 चीतों का दूसरा बैच पिछले फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था. पर्यावरण मंत्रालय में अतिरिक्त वन महानिदेशक एसपी यादव ने पहले न्यूज एजेंसी पीटीआई को जानकारी देते हुए बताया था कि दक्षिण अफ्रीका से लाये गए चीतों को गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में लाया जाएगा.
कूनो में हैं 21 चीते
कूनो नेशनल पार्क में वर्तमान में चीतों की कुल संख्या 21 (6 नर, 7 मादा और 8 शावक) हैं. एक ओर जहां जनवरी में सात शावकों का जन्म हुआ, वहीं दूसरी ओर शौर्य नामक एक वयस्क नामीबियाई चीता मौत हो गई. अब तक कुल सात वयस्क चीतों की मौत हो चुकी है. मरने वाले सात वयस्क चीतों में – तीन मादा और चार नर शाम हैं. जिनमें साशा, उदय, दक्ष, तेजस, सूरज, धात्री और शौर्य शामिल हैं.
मादा चीतों को जंगल में कब छोड़ेंगे
अधिकारियों का कहना है कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में मौसम की स्थिति में सुधार होने तक मादा चीतों और उनके शावकों को जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा. बता दें कि नामीबियाई चीता ज्वाला ने 20 जनवरी को चार शावकों को जन्म दिया था. वहीं जनवरी की शुरुआत में एक अन्य नामीबियाई चीता, आशा ने तीन शावकों को जन्म दिया था. यह ज्वाला का दूसरा बच्चा है और 10 महीने के अंतराल के बाद आया है. बेहतर निगरानी के लिए मादा चीतों और उनके शावकों को बड़े बाड़ों में रखा जा रहा है.
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