मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक ऐसी घोषणा की है, जिसने प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है. 8 साल से लंबित पदोन्नति की मांग को पूरा करने का वादा करते हुए उन्होंने कहा कि जल्द ही 4 लाख से अधिक कर्मचारियों और अधिकारियों को पदोन्नति का सुखद समाचार मिलेगा. यह घोषणा न केवल कर्मचारियों के लिए राहत देने वाली खबर है, बल्कि मध्य प्रदेश की नौकरशाही और प्रशासनिक ढांचे के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
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पदोन्नति की राह में 8 साल की बाधा
मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की पदोन्नति का मुद्दा लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है. 2017 से यह मांग अधर में लटकी हुई थी, जिसके चलते कर्मचारियों में असंतोष बढ़ता जा रहा था. कई कर्मचारी संगठनों ने इस मुद्दे को बार-बार उठाया, लेकिन समाधान नहीं निकल पाया. मोहन यादव ने दिसंबर 2023 में मध्य प्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री का पद संभालते ही इस मसले को प्राथमिकता दी. उन्होंने अलग-अलग स्तरों पर चर्चा कर इस जटिल समस्या का हल निकालने का दावा किया है.
मुख्यमंत्री ने अपने आधिकारिक X हैंडल पर इसकी घोषणा करते हुए लिखा, "प्रदेश के सभी कर्मचारियों एवं अधिकारियों को हार्दिक बधाई... हम शीघ्र ही लगभग 4 लाख से अधिक कर्मचारियों-अधिकारियों की पदोन्नति के सुखद समाचार की घोषणा करने वाले हैं." इस पोस्ट के साथ उनकी एक तस्वीर भी साझा की गई, जिसमें वह गंभीर और आत्मविश्वास से भरे नजर आ रहे हैं.
सीएम मोहन यादव ने कर दिया बड़ा ऐलान
कर्मचारियों में खुशी, लेकिन मांगें अभी बाकी
मुख्यमंत्री की इस घोषणा का स्वागत तो हुआ है, लेकिन कई कर्मचारी संगठनों और व्यक्तियों ने अपनी अन्य मांगों को भी सामने रखा है। X पर इस पोस्ट के जवाब में कई यूजर्स ने अपनी बात रखी. तरुण नागपाल (@tarunmodel81) ने इसे सराहनीय कदम बताते हुए मुख्यमंत्री को बधाई दी, वहीं अजय सिंह राजपूत (@AJAYSINGHR28949) ने 9300 जनसेवा मित्र युवाओं को रोजगार देने की मांग उठाई. एक अन्य यूजर विक्की ठाकरे (@vickeyThakre2) ने कंप्यूटर इंस्ट्रक्टर्स के लिए 12 महीने की नौकरी की मांग की, ताकि समग्र शिक्षा अभियान के तहत बच्चों को बेहतर डिजिटल शिक्षा मिल सके.
हालांकि, कुछ यूजर्स ने इस घोषणा के बीच अपनी निराशा भी जाहिर की। शुभी (@shubhi3120) ने भ्रष्टाचार और अधिकारियों की अनदेखी की शिकायत करते हुए कहा, "पदोन्नति करते रहिएगा, लेकिन हमारे साथ जो गलत हो रहा है, उसका क्या? इतनी बार शिकायत की, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं." यह टिप्पणी इस बात की ओर इशारा करती है कि पदोन्नति के साथ-साथ प्रशासनिक सुधारों की भी जरूरत है.
क्या कहते हैं आंकड़े और विशेषज्ञ?
मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों का मुद्दा हमेशा से संवेदनशील रहा है. ऑनलाइन उपलब्ध जानकारी के अनुसार, 2017 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई थी कि प्रदेश में 11.24 लाख शिक्षित बेरोजगार थे. इसके अलावा, बीजेपी सरकार ने 2003 से 2023 तक हर साल औसतन 17,600 नौकरियां सृजित कीं, लेकिन यह संख्या बेरोजगारी की समस्या को हल करने के लिए नाकाफी रही. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र 60 से बढ़ाकर 62 साल कर दी थी, जिसका युवाओं ने विरोध किया था, क्योंकि इससे नई भर्तियों पर असर पड़ा.
प्रशासनिक विशेषज्ञों का मानना है कि पदोन्नति से कर्मचारियों का मनोबल तो बढ़ेगा, लेकिन इसके साथ-साथ नौकरशाही में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना भी जरूरी है. एक विशेषज्ञ ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "पदोन्नति एक सकारात्मक कदम है, लेकिन अगर भ्रष्टाचार और पक्षपात को नहीं रोका गया, तो इसका लाभ सीमित रह जाएगा."
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