मध्यप्रदेश: इस अनोखी समस्या के चलते गांव में बढ़ने लगी कुंवारे लड़कों की संख्या, प्रॉब्लम जान हैरान रह जाएंगे

Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में एक गांव ऐसा है जहां मोबाइल नेटवर्क की कमी न सिर्फ रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित कर रही है, बल्कि युवकों की शादी में भी अड़चन आ रही है. यह गांव है कुरई ब्लॉक का नएगांव है, जो पेंच टाइगर रिजर्व के बफर जोन में बसा एक वनग्राम है.

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• 03:18 PM • 06 Mar 2025

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Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में एक गांव ऐसा है जहां मोबाइल नेटवर्क की कमी न सिर्फ रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित कर रही है, बल्कि युवकों की शादी में भी अड़चन आ रही है. यह गांव है कुरई ब्लॉक का नएगांव है, जो पेंच टाइगर रिजर्व के बफर जोन में बसा एक वनग्राम है. यहां के लोग मोबाइल तो रखते हैं, लेकिन नेटवर्क के अभाव में उन्हें फोन पर बात करने के लिए तीन किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. इस अनोखी समस्या के चलते गांव में कुंवारे युवकों की संख्या बढ़ती जा रही है, क्योंकि कोई भी परिवार अपनी बेटी की शादी इस गांव में करने को तैयार नहीं है.

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नेटवर्क न होने से शादी में आ रही अड़चन

नएगांव की रहने वाली श्यामा बाई अपने 29 साल के बेटे की शादी को लेकर परेशान हैं. वह बताती हैं कि उनके दो बेटों की शादी हो चुकी है, लेकिन छोटे बेटे के लिए रिश्ता ढूंढना मुश्किल हो रहा है. लड़की वाले बार-बार एक ही बात कहते हैं, "यहां नेटवर्क नहीं है, फोन नहीं लगता, हम अपनी बेटी से बात कैसे करेंगे?" गांव के डुलम सिंह कुंजाम भी इस समस्या से जूझ रहे हैं. उनका कहना है कि नेटवर्क की कमी के कारण लोग अपनी लड़कियां देने से कतराते हैं. आपात स्थिति में एम्बुलेंस बुलाने के लिए भी ग्रामीणों को दूर तक पैदल जाना पड़ता है, जिससे उनकी परेशानी और बढ़ जाती है.

युवाओं की नाराजगी, रोजगार तक प्रभावित

गांव के युवा इस स्थिति से सबसे ज्यादा परेशान हैं. 29 साल के चैतलाल उइके कहते हैं, "आज के दौर में मोबाइल के बिना जिंदगी चलाना मुश्किल है. हम रिचार्ज तो कराते हैं, लेकिन नेटवर्क पकड़ने के लिए दो-तीन किलोमीटर दूर जाना पड़ता है." नेटवर्क न होने से बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई भी प्रभावित होती है. कई युवा रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र के नागपुर जैसे शहरों में चले गए हैं, क्योंकि गांव में संचार सुविधाओं का अभाव उनके भविष्य की राह में रोड़ा बन रहा है. चैतलाल आगे कहते हैं, "इमरजेंसी में कोई हमसे संपर्क नहीं कर पाता. शिकायत करने पर कहा जाता है कि जंगल क्षेत्र है, इसलिए टावर नहीं लगेगा. लेकिन हम यहां के निवासी हैं, हमारे लिए सुविधा क्यों नहीं?"

650 लोगों की आबादी, लेकिन सुविधा शून्य

लगभग 650 लोगों की आबादी वाले इस गांव में नेटवर्क की कमी ने हर किसी की जिंदगी को प्रभावित किया है. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से लेकर स्कूल शिक्षकों तक को अपने काम में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. गांव में किसी भी टेलीकॉम कंपनी का सिग्नल नहीं पहुंचता, जिसके चलते लोग संचार के लिए पूरी तरह से बाहर की दुनिया पर निर्भर हैं.

बीएसएनएल लाएगा राहत, टावर लगाने की प्रक्रिया शुरू

इस समस्या के समाधान के लिए अब उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है. पेंच टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार की योजना के तहत बीएसएनएल उन गांवों में टावर लगा रहा है जहां नेटवर्क कवरेज नहीं है. हाल ही में चार गांवों में टावर स्थापित किए जा चुके हैं, और अगले चरण में नएगांव का नाम भी शामिल हो सकता है. बीएसएनएल के इस प्रयास से न सिर्फ संचार सुविधा बेहतर होगी, बल्कि गांव के युवकों की शादी की समस्या भी हल हो सकती है.

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